
स्कंद षष्ठी 2025 (Skanda Shashti 2025): धार्मिक परंपराओं और व्रत-त्योहार की गूढ़ता में स्कंद षष्ठी का विशेष स्थान है। यह पर्व भगवान कार्तिकेय की आराधना के लिए समर्पित है, जिन्हें स्कंद, मुरुगन और शिवकुमार के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में भगवान कार्तिकेय (Bhagwan Kartikeya) को युद्ध और विजय के देवता माना जाता है, जो असुरों के संहारक और धर्म के रक्षक हैं। हर माह में आने वाली षष्ठी तिथि पर भक्त विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, लेकिन कार्तिक मास और दक्षिण भारत में विशेष तिथियों पर मनाई जाने वाली स्कंद षष्ठी का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। इस पर्व के दौरान भक्त उपवास रखते हैं, भक्ति-भाव से भगवान कार्तिकेय की स्तुति करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष अनुष्ठान भी संपन्न करते हैं।
स्कंद षष्ठी मुख्य रूप से तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भव्य रूप से मनाई जाती है, जहां भगवान मुरुगन के प्रति गहरी श्रद्धा देखने को मिलती है। इस अवसर पर कई मंदिरों में विशाल शोभायात्राएं निकलती हैं, भक्त कांवड़ यात्रा और पदयात्रा करते हैं, और भगवान कार्तिकेय की कृपा प्राप्त करने के लिए भक्ति गीतों और मंत्रों का जाप करते हैं। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक उपवास और पूजा करने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और शक्ति, साहस एवं विजय का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि स्कंद षष्ठी 2025 में कब-कब आएगी, इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व क्या है, तथा इसकी पूजा-विधि क्या है। यदि आप भी इस पावन व्रत से जुड़ी सभी आवश्यक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें……
स्कंद षष्ठी क्या है? | Skanda Shashti kya Hai?
स्कंद षष्ठी (Skanda Shashti) भगवान कार्तिकेय (Bhagwan Kartikeya) (स्कंद या मुरुगन) की पूजा का विशेष पर्व है, जिसे हिंदू धर्म में बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से दक्षिण भारत में प्रसिद्ध है, विशेषकर तमिलनाडु में। यह त्योहार हर महीने की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को आता है, लेकिन कार्तिक और मार्गशीर्ष माह की स्कंद षष्ठी विशेष महत्व रखती है। इस दिन भगवान कार्तिकेय ने राक्षस तारकासुर का वध कर देवताओं को उसके अत्याचार से मुक्त किया था। भक्तगण उपवास रखते हैं, स्कंद षष्ठी व्रत कथा सुनते हैं और भगवान मुरुगन के मंत्रों का जाप करते हैं। यह व्रत नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर बाधाओं से मुक्ति दिलाता है और जीवन में सुख-समृद्धि लाने वाला माना जाता है।
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स्कंद षष्ठी 2025 कब-कब है? | Skanda Shashti 2025 kab-Kab Hai?
माह | तिथि | दिन |
पौष | 05 जनवरी | रविवार |
माघ | 03 फरवरी | सोमवार |
फाल्गुन | 04 मार्च | मंगलवार |
चैत्र | 03 अप्रैल | गुरुवार |
वैशाख | 02 मई | शुक्रवार |
ज्येष्ठ | 01 जून | रविवार |
आषाढ़ | 30 जून | सोमवार |
सावन | 30 जुलाई | बुधवार |
भाद्रपद | 28 अगस्त | गुरुवार |
आश्विन | 27 सितंबर | शनिवार |
कार्तिक | 27 अक्टूबर | सोमवार |
मार्गशीर्ष | 26 नवंबर | बुधवार |
पौष | 25 दिसंबर | गुरुवार |
स्कंद षष्ठी का महत्व क्या है? | Skanda Shashti ka Mahatva kya Hai?
- राक्षस तारकासुर का वध एवं बुराई पर विजय: स्कंद षष्ठी (Skanda Shashti) भगवान कार्तिकेय (Bhagwan Kartikeya) द्वारा राक्षस तारकासुर के वध की याद में मनाई जाती है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है और भक्तों को जीवन में निडरता, साहस और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
- संकटों से मुक्ति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति: स्कंद षष्ठी व्रत रखने और भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं। यह व्रत विशेष रूप से शत्रु भय, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाकर जीवन में सुख-समृद्धि लाने में सहायक होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति और शक्ति का जागरण: इस दिन किए गए उपवास, मंत्र जाप और आराधना से व्यक्ति की आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है। स्कंद षष्ठी व्रत करने से साधक की आत्मशुद्धि होती है और उसमें सकारात्मक ऊर्जा, आत्मविश्वास और भक्ति की भावना विकसित होती है।
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स्कंद षष्ठी की पूजा विधि क्या है? | Skanda Shashti ki Puja Vidhi kya Hai?
स्कंद षष्ठी (Skanda Shashti) की पूजा विधि कुछ इस प्रकार है:
- स्नान एवं संकल्प: स्कंद षष्ठी के दिन प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा के लिए शुद्ध घी का दीप जलाएं और भगवान कार्तिकेय (मुरुगन) का ध्यान करें। संकल्प लेते समय व्रत के नियमों का पालन करने का प्रण करें। इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना और सात्विक आहार ग्रहण करना आवश्यक होता है।
- भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा या चित्र स्थापना: पूजा स्थल को साफ करके भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। मूर्ति को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं और उन्हें पीले, लाल या केसरिया वस्त्र पहनाएं। पूजा स्थान को फूलों और आम के पत्तों से सजाना शुभ माना जाता है।
- धूप, दीप और नैवेद्य अर्पण: भगवान कार्तिकेय की पूजा के लिए दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें। इसके बाद उन्हें फल, मिठाई, पंचामृत और खासतौर पर गुड़ एवं तिल का प्रसाद चढ़ाएं। नारियल और मुरमुरे (लाई) का भी भोग लगाना शुभ माना जाता है।
- स्कंद षष्ठी व्रत कथा का पाठ: पूजा के दौरान स्कंद षष्ठी व्रत कथा का पाठ करना आवश्यक होता है। इस कथा में भगवान कार्तिकेय के जन्म, असुर तारकासुर का वध और उनके दिव्य कार्यों का वर्णन किया जाता है। कथा पढ़ने या सुनने से श्रद्धालु को विशेष फल की प्राप्ति होती है।
- स्कंद षष्ठी कवच और मंत्र जाप: इस दिन भगवान कार्तिकेय के मंत्रों का जाप करना शुभ होता है। विशेष रूप से “ॐ शरवनभवाय नमः” मंत्र का जाप 108 बार करें। स्कंद षष्ठी कवच का पाठ करने से नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
- भजन-कीर्तन और आरती: भगवान कार्तिकेय की पूजा में भजन-कीर्तन का विशेष महत्व होता है। ‘सुब्रह्मण्य अष्टकम’ और ‘स्कंद षष्ठी कवचम’ का पाठ करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। अंत में कपूर जलाकर भगवान की आरती करें और सभी भक्तों को प्रसाद वितरित करें।
- व्रत पारण एवं दान-पुण्य: स्कंद षष्ठी का व्रत करने वाले श्रद्धालु पूरे दिन उपवास रख सकते हैं या एक समय फलाहार कर सकते हैं। अगले दिन सप्तमी तिथि को व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन ब्राह्मणों, गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
Conclusion:-Skanda Shashti 2025
हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया स्कंद षष्ठी 2025 पर यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके पास किसी भी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद
FAQ’s:-Skanda Shashti 2025
Q. स्कंद षष्ठी क्या है?
Ans. स्कंद षष्ठी भगवान कार्तिकेय (Bhagwan Kartikeya) की पूजा का विशेष पर्व है, जिसे हिंदू धर्म में श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। यह मुख्य रूप से दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडु में लोकप्रिय है।
Q. स्कंद षष्ठी 2025 में कब मनाई जाएगी?
Ans. स्कंद षष्ठी 2025 में 4 मार्च, मंगलवार को मनाई जाएगी। इसका शुभ मुहूर्त 4 मार्च सुबह 4:37 बजे से 5 मार्च सुबह 8:15 बजे तक रहेगा।
Q. स्कंद षष्ठी के दिन कौन सा विशेष कार्य किया जाता है?
Ans. इस दिन भक्त भगवान कार्तिकेय की पूजा करते हैं, उपवास रखते हैं, स्कंद षष्ठी व्रत कथा का पाठ करते हैं और उनके मंत्रों का जाप करते हैं।
Q. स्कंद षष्ठी व्रत रखने का क्या महत्व है?
Ans. इस व्रत से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, बाधाओं से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। यह विशेष रूप से शत्रु भय और कष्टों से रक्षा करता है।
Q. भगवान कार्तिकेय की पूजा में कौन से प्रसाद अर्पित किए जाते हैं?
Ans. भगवान कार्तिकेय (Bhagwan Kartikeya) को फल, मिठाई, पंचामृत, गुड़, तिल, नारियल और मुरमुरे (लाई) का प्रसाद अर्पित किया जाता है।
Q. स्कंद षष्ठी के दिन कौन सा मंत्र जाप करना शुभ होता है?
Ans. इस दिन “ॐ शरवनभवाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।