
शनि चालीसा पढ़ने के फायदे (Shani Chalisa Padhne Ke Fayde): शनिदेव (Shanidev) को न्याय के देवता, कर्मफल दाता और कष्टों का निवारण करने वाले के रूप में पूजा जाता है। वे भक्तों के जीवन में संतुलन, अनुशासन और सत्य का मार्ग प्रशस्त करते हैं। शनिदेव का स्मरण जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने और कर्मों के अनुसार फल प्रदान करने के लिए विशेष महत्व रखता है। शनिदेव की महिमा का गुणगान करने वाला एक अत्यंत प्रभावशाली माध्यम है – शनि चालीसा (Shani Chalisa)। इसका नियमित पाठ न केवल मानसिक शांति और आत्मबल प्रदान करता है, बल्कि जीवन से समस्त कष्टों और बाधाओं का नाश कर सुख, शांति और समृद्धि की राह आसान करता है।
इस लेख में हम विस्तारपूर्वक बताएंगे कि शनि चालीसा क्या है, इसके पाठ से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं, और क्यों यह चालीसा शनिदेव के भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक संजीवनी मानी जाती है। साथ ही, हम आपके लिए शनि चालीसा को हिंदी में संपूर्ण रूप से प्रस्तुत कर रहे हैं ताकि आप इसे सहजता से पढ़ सकें और इसका दिव्य फल प्राप्त कर सकें। इतना ही नहीं, लेख में हम आपको शनि चालीसा का एक PDF फॉर्मेट भी साझा करेंगे, जिसे आप अपने मोबाइल या कंप्यूटर में डाउनलोड करके नित्य अथवा विशेष अवसरों पर श्रद्धापूर्वक इसका पाठ कर सकें।
यदि आप शनिदेव (Shanidev) की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं और अपने जीवन से कष्टों व बाधाओं का अंत कर सुख, शांति और कर्मफल की प्राप्ति की कामना करते हैं, तो यह लेख आपके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा……..
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शनि चालीसा क्या है? | Shani Chalisa kya Hai?
शनि चालीसा (Shani Chalisa) भगवान शनिदेव (Bhagwan Shani Dev) की स्तुति में रचित एक भक्ति भजन है, जिसमें चालीस छंदों के माध्यम से उनकी महिमा, शक्ति और न्यायप्रिय स्वभाव का वर्णन किया गया है। यह हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, क्योंकि शनिदेव को कर्मफल दाता और न्याय का देवता माना जाता है। शनि चालीसा का पाठ भक्तों को शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और अन्य अशुभ प्रभावों से मुक्ति दिलाने में सहायक माना जाता है। यह भक्तों के जीवन से कष्ट, भय और बाधाओं को दूर करता है। शनिवार के दिन इसका पाठ विशेष रूप से फलदायी होता है। शनि चालीसा का नियमित पाठ करने से भक्तों का मन शुद्ध होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह भक्तों को धैर्य, अनुशासन और विनम्रता जैसे गुणों को अपनाने की प्रेरणा देता है।
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शनि चालीसा पढ़ने के क्या फायदे हैं? | Shani Chalisa Padhne ke kya Fayde Hain?
- साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति: शनि चालीसा (Shani Chalisa) का नियमित पाठ शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के अशुभ प्रभावों को कम करता है। यह भक्तों को मानसिक शांति प्रदान करता है और जीवन की कठिनाइयों से उबारता है। शनिदेव की कृपा से बाधाएं दूर होती हैं और भक्त सुखी जीवन जीता है।
- सुख-समृद्धि की प्राप्ति: शनि चालीसा का पाठ करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं। यह आर्थिक तंगी को दूर करता है और रुके हुए कार्यों को पूर्ण करने में मदद करता है। इससे जीवन में स्थिरता आती है।
- मानसिक शांति और सकारात्मकता: शनि चालीसा का पाठ मन को शांत करता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। यह भक्तों को भय, चिंता और नकारात्मक विचारों से मुक्ति दिलाता है। शनिदेव की भक्ति से आत्मविश्वास और धैर्य बढ़ता है।
- कर्मों का शुद्धिकरण: शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ भक्तों के कर्मों को शुद्ध करता है। शनिदेव, जो कर्मों के आधार पर फल देते हैं, इस पाठ से प्रसन्न होकर भक्तों के बुरे कर्मों के प्रभाव को कम करते हैं, जिससे जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है।
- विपत्तियों से रक्षा: शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ भक्तों को संकटों और विपत्तियों से बचाता है। शनिदेव की कृपा से जीवन की बाधाएं हटती हैं और भक्त सुरक्षित रहते हैं। यह पाठ परिवार की सुख-शांति और समृद्धि को भी सुनिश्चित करता है।
शनि चालीसा पढ़ने के नियम क्या हैं? | Shani Chalisa Padhne Ke Niyam kya Hain?
- स्वच्छता का ध्यान: शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ करने से पहले स्नान करना चाहिए और साफ वस्त्र पहनने चाहिए, पूजा स्थल को शुद्ध रखें। ये सब करने से मन पवित्र होता है और शनिदेव की कृपा प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
- शनिवार का समय: शनिवार को शाम के समय शनि चालीसा का पाठ करना विशेष फलदायी है। शनि मंदिर या पीपल के पेड़ के नीचे पाठ करें। इससे शनिदेव जल्दी प्रसन्न होते हैं।
- श्रद्धा और भक्ति: शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ करें। शनिदेव के प्रति समर्पण भाव रखें। इससे पाठ का प्रभाव बढ़ता है और मन को शांति मिलती है।
- तेल का दीपक: पाठ से पहले शनिदेव की मूर्ति या चित्र के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं। काले तिल और प्रसाद चढ़ाएं। इससे शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।
- नियमितता बनाए रखें: शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ नियमित रूप से करें, विशेषकर शनिवार को। निरंतरता से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
शनि चालीसा हिंदी में | Shani Chalisa Padhne Ke Fayde
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
दीनन को दुःख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥
पर्वत पुत्री माता पार्वती के पुत्र भगवान गणेश, आपकी जय हो। आप हम सभी का भला करते हो। आप याचकों के दुःख हरते हो और हम सभी का उद्धार करते हो।
जय-जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥
हे शनि देव! आपकी जय हो, जय हो। कृपया कर हम भक्तों की विनती सुनिए। हे भगवान सूर्य के पुत्र, हम सभी पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें और अपने भक्तों के मान-सम्मान की रक्षा कीजिए।
॥ चौपाई ॥
जयति-जयति शनिदेव दयाला। करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥
हे शनि देव!! आपकी जय हो, आपकी जय हो, आप हम सभी पर दया करने वाले हो। आप सदैव अपने भक्तों की रक्षा करते हो।
चारि भुजा तन श्याम विराजै। माथे रतन मुकुट छवि छाजै॥
आपके चार हाथ हैं और आपका वर्ण श्याम अर्थात सांवला है। आपने मस्तक पर रत्नों से जड़ित मुकुट पहना हुआ है जो आपकी शोभा को और भी बढ़ा रहा है।
परम विशाल मनोहर भाला। टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥
आपका रूप अत्यधिक विशाल व मन को मोह लेने वाला है। आपकी दृष्टि टेढ़ी है अर्थात आप तिरछा देखते हैं और आपकी भौहें भी बहुत बड़ी व सघन है।
कुण्डल श्रवण चमाचम चमकै। हिय माल मुक्तन मणि दमकै॥
आपके कानो में कुण्डल चमक रहे हैं और छाती पर मोतियों की माला सुशोभित है।
कर में गदा त्रिशूल कुठारा। पल विच करैं अरिहिं संहारा॥
आपने अपने हाथों में गदा, त्रिशूल व कुठार धारण किया हुआ है और इसकी सहायता से आप दुष्टों का एक क्षण में संहार कर देते हैं।
पिंगल कृष्णो छायानन्दन। यम कोणस्थ रौद्र दुःखभंजन॥
सौरि मन्द शनी दशानामा। भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥
पिंगल, कृष्ण, छायानंदन, यम, कोणस्थ, रोद्र, दुःखभंजन, सौरी, मंद, शनि यह आपके दस नाम हैं। आप भगवान सूर्य के पुत्र हो और आपकी पूजा करने से सभी कार्य सफल होते हैं।
जापर प्रभु प्रसन्न हवैं जाहीं। रंकहु राव करैं क्षण माहीं॥
जिस किसी से भी शनि देव प्रसन्न हो जाते हैं वह पल भर में ही दरिद्र से राजा बन जाता है।
पर्वतहू तृण होई निहारत। तृणहू को पर्वत करि डारत॥
यदि आप प्रसन्न हैं तो किसी की पहाड़ जैसी समस्या को भी एक तिनके के समान बना देते हैं लेकिन किसी से रुष्ट हैं तो उसकी छोटी सी समस्या को भी पहाड़ जैसा बना देते हैं।
राज मिलत बन रामहिं दीन्हा। कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हा॥
आपके कारण ही भगवान श्रीराम को राज मिलते-मिलते रह गया और उन्हें चौदह वर्ष का कठोर वनवास मिला। उनकी सौतेली माता कैकेयी की बुद्धि आपने ही भ्रष्ट की थी।
बनहूँ में मृग कपट दिखाई। मातु जानकी गई चुराई॥
आपने ही मारीच के द्वारा सुंदर मृग बनकर छल किया और उसी छल में फंसाकर दुष्ट रावण माता सीता को हर कर ले गया।
लखनहिं शक्ति विकल करि डारा। मचिगई दल में हाहाकारा॥
आपके प्रभाव के कारण ही मेघनाद ने लक्ष्मण को शक्तिबाण चलाकर मूर्छित कर दिया जिससे संपूर्ण वानर दल में त्राहिमाम मच गया था।
रावण की गति-मति बौराई। रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥
आपके कारण ही राक्षसों के राजा रावण की बुद्धि भ्रष्ट हो गयी थी और उसने नारायण के रूप श्रीराम से शत्रुता मोल ली।
दियो कीट करि कंचन लंका। बजि बजरंग वीर की डंका॥
आपके प्रभाव से ही हनुमान ने लंका को जलाकर उसका विनाश कर दिया जिस कारण बजरंग बली का मान संपूर्ण विश्व में बढ़ गया।
नृप विक्रम पर जब पगु धारा। चित्र मयूर निगलि गै हारा॥
आपकी टेढ़ी दृष्टि जब राजा विक्रमादित्य पर पड़ी तब उनका भी अनिष्ट हुआ। उनके सामने ही मोर के चित्र ने नौलखा हार निगल लिया।
हार नौलखा लाग्यो चोरी। हाथ पैर डरवायो तोरी॥
नौलखा हार राजा के पास से गायब होने पर उन पर ही चोरी का आरोप लगा जिसने उन्हें अत्यधिक कष्ट दिया।
भारी दशा निकृष्ट दिखायो। तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥
आपकी भारी दृष्टि के कारण ही राजा विक्रमादित्य को सबकुछ त्यागना पड़ा और एक तैली के घर कोल्हू चलाना पड़ा।
विनय राग दीपक महं कीन्हों। तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हों॥
तब राजा विक्रमादित्य ने आपके सम्मुख दीपक की रोशनी में याचना की और आपने उनसे प्रसन्न होकर उन्हें सब कुछ पुनः प्रदान किया।
हरिश्चन्द्रहुं नृप नारि बिकानी। आपहुं भरे डोम घर पानी॥
आपकी टेढ़ी दृष्टि के कारण ही महान राजा हरिश्चंद्र को अपनी पत्नी तक को बेचना पड़ा और स्वयं एक डोम के घर पानी भरने का कार्य करना पड़ा।
तैसे नल पर दशा सिरानी। भूंजी मीन कूद गई पानी॥
आपकी दृष्टि के कारण ही नल को भी कष्ट झेलना पड़ा और भुनी हुई मछली भी पुनः पानी में कूद गयी।
श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई। पारवती को सती कराई॥
आपने जब अपनी टेढ़ी दृष्टि भगवान शंकर पर दौड़ाई तो उनकी पत्नी पार्वती (मूल नाम सती) को आत्मदाह करना पड़ा।
तनिक विलोकत ही करि रीसा। नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥
आपके प्रकोप के कारण ही माता पार्वती के पुत्र भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग होकर आकाश में उड़ गया।
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी। बची द्रौपदी होति उघारी॥
आपने जब अपनी दृष्टि पांडवों पर दौड़ाई तो उनकी धर्मपत्नी द्रौपदी वस्त्रहीन होते-होते बची।
कौरव के भी गति मति मारयो। युद्ध महाभारत करि डारयो॥
आपने कौरवों पर भी अपनी दृष्टि दौड़ाई और इसी कारण उनकी बुद्धि भ्रष्ट हो गयी और महाभारत युद्ध की शुरुआत हुई।
रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला। लेकर कूदि परयो पाताला॥
आपकी कुदृष्टि से आपके पिता सूर्य देव भी नही बच सके और आप उन्हें अपने मुख में लेकर पाताल लोक में चले गए। (यहाँ भक्त हनुमान के सन्दर्भ में यह बात कही गयी है)
शेष देव लखि विनती लाई। रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥
सूर्य देव के विलुप्त हो जाने के कारण देवताओं में त्राहिमाम मच गया और उनकी लाख विनतियों के बाद आपने सूर्य देव को बंधन मुक्त किया।
वाहन प्रभु के सात सुजाना। गज दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥
जम्बुक सिंह आदि नख धारी। सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥
शनि देव के सात वाहन हैं जिनके नाम हाथी, घोड़ा, गधा, हिरण, कुत्ता, सियार व शेर है जिनके नाखून अत्यधिक बड़े हैं। आप जिस भी वाहन पर बैठकर आते हैं उसी अनुसार ज्योतिष भविष्यवाणी करते हैं।
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं। हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥
यदि आप हाथी पर आते हैं तो लक्ष्मी घर आती है। यदि आप घोड़े पर आते हैं तो सुख-संपत्ति में बढ़ोत्तरी होती है।
गर्दभ हानि करै बहु काजा। सिंह सिद्धकर राज समाजा॥
यदि आप गधे पर आते हैं मनुष्य को बहुत हानि होती है। यदि आप शेर पर आते हैं तो आप सभी कामों को बना देते हैं।
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै। मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥
यदि आप सियार पर आते हैं तो मनुष्य की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। यदि आप हिरण की सवारी करते हुए आते हैं तो मनुष्य को कई तरह के कष्ट झेलने पड़ते हैं जो उसके लिए प्राणघातक तक हो सकते हैं।
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी। चोरी आदि होय डर भारी॥
जब आप कुत्ते पर सवार होकर आते हैं तो मनुष्य को सबकुछ खो जाने या चले जाने का भय रहता है।
तैसहिं चारि चरण यह नामा। स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा॥
आपके चरण चार धातुओं के बने हुए हैं जो हैं सोना, लोहा, चांदी व तांबा।
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं। धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं॥
ऐसे में जब आप अपने लोहे के पैरों के साथ आते हैं तो मनुष्य का धन, संपत्ति, वैभव सब नष्ट हो जाता है।
समता ताम्र रजत शुभकारी। स्वर्ण सर्व सुख मंगल भारी॥
तांबे के चरण होने पर सभी में समानता का भाव आता है व प्रेम में बढ़ोत्तरी होती है तो वहीं चांदी के चरण होने पर मनुष्य को शुभ फल प्राप्त होता है। यदि आप सोने के चरण लेकर आते हैं तो यह मनुष्य के लिए अत्यंत शुभकारी, मंगलकारी, सुख देने वाला होता है।
जो यह शनि चरित्र नित गावै। कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥
जो भी भक्तगण यह शनि चालीसा प्रतिदिन पढ़ता है, उस पर आपकी कुदृष्टि नही रहती है और उसे किसी भी तरह का कष्ट नही झेलना पड़ता है।
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला। करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥
आपकी शनि चालीसा पढ़ने से आप अपनी लीला दिखाते हैं और अपने भक्तों के शत्रुओं व संकटों का नाश कर देते हैं।
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई। विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत। दीप दान दै बहु सुख पावत॥
जो भक्तगण एक योग्य पंडित को अपने घर बुलाकर विधिवत रूप से शनि ग्रह की शांति के उपाय करता है, पीपल के वृक्ष पर हर शनिवार के दिन जल चढ़ाता है, दीपक का दान करता है, उसे शनि देव सभी सुख प्रदान करते हैं।
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा। शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥
शनि देव के दास रामसुंदर यही बात कहते हैं कि शनि देव का ध्यान करने से व्यक्ति को सुख प्राप्त होता है और उसके जीवन में प्रकाश छा जाता है।
॥ दोहा ॥
प्रतिमा श्री शनिदेव की लौह धातु बनवाए।
प्रेम सहित पूजन करै सकल कटि जाय॥
जो भी भक्तगण शनि देव की लोहे की मूर्ति बनवा कर उसकी पूजा करता है, उसके सभी दुःख, कष्ट व संकट समाप्त हो जाते हैं।
चालीसा नितनेम यह कहहिं सुनहिं धरि ध्यान।
निश्चय शनि ग्रह सुखद ह्यें पावहि नर सम्मान॥
जो भी मनुष्य इस शनि चालीसा को पढ़ता या सुनता है और शनि देव का ध्यान करता है, अवश्य ही उसके भाग्य व कुंडली में शनि ग्रह सही रहते हैं और उसे हर जगह सम्मान की प्राप्ति होती है।
शनि चालीसा पीडीएफ डाउनलोड | Shani Chalisa PDF download
इस विशेष लेख के जरिए हम आपको शनि चालीसा (Shani Chalisa) हिंदी में पीडीएफ के जरिए साझा कर रहे हैं। अगर आप चाहें तो इस पीडीएफ को डाउनलोड करके शनि चालीसा (Shani Chalisa) को सरलता एवं श्रद्धा पूर्वक हिंदी में पढ़ सकते हैं।
शनि देव चालीसा PDF Download | View ChalisaConclusion:-Shani Chalisa Padhne Ke Fayde
हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (शनि चालीसा पढ़ने के फायदे) Shani Chalisa Padhne Ke Fayde यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके पास किसी भी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद
FAQ’s :-Shani Chalisa Padhne Ke Fayde
Q. शनि चालीसा क्या है?
Ans. शनि चालीसा (Shani Chalisa) शनिदेव की स्तुति में रचित चालीस छंदों का भक्ति भजन है। यह भक्तों को उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है।
Q. शनि चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
Ans. शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ शनिवार को विशेष रूप से करना शुभ माना जाता है। यह साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव को कम करता है।
Q. शनिदेव को क्यों पूजा जाता है?
Ans. शनिदेव को कर्मफल दाता और न्याय का देवता माना जाता है। उनकी पूजा से जीवन की बाधाएं और कष्ट दूर होते हैं।
Q. शनि चालीसा पढ़ने का मुख्य लाभ क्या है?
Ans. शनि चालीसाका पाठ साढ़ेसाती और ढैय्या के बुरे प्रभावों से मुक्ति दिलाता है और यह मानसिक शांति और सुख-समृद्धि भी प्रदान करता है।
Q. शनि चालीसा पाठ के समय क्या करना चाहिए?
Ans. पाठ से पहले सरसों के तेल का दीपक जलाएं और काले तिल चढ़ाएं। यह शनिदेव को प्रसन्न करने में सहायक है।
Q. शनि चालीसा का पाठ करने का नियम क्या है?
Ans. शनि चालीसा का पाठ स्वच्छता और श्रद्धा के साथ पूरे मन से करें। शनिवार के दिन नियमित पाठ करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।