
आमलकी एकादशी कथा और व्रत विधि (Amalaki Ekadashi katha Aur Vrat Vidhi): आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) एक पवित्र और शक्तिशाली पर्व है, जो हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है। यह पर्व भगवान विष्णु की आराधना और पूजा के लिए मनाया जाता है, जो हमारे जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता का प्रतीक हैं। आमलकी एकादशी एक ऐसा पर्व है जो हमें अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का अवसर प्रदान करता है। यह पर्व हमें सिखाता है कि कैसे हम अपने जीवन में शुभता और समृद्धि को बढ़ा सकते हैं। आमलकी एकादशी एक ऐसा पर्व है जो हमें अपने जीवन में आध्यात्मिक और धार्मिक ज्ञान को बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।
यह पर्व हमें सिखाता है कि कैसे हम अपने जीवन में शुभता और समृद्धि को बढ़ा सकते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आमलकी एकादशी क्या है? आमलकी एकादशी 2025 में कब है? और आमलकी एकादशी का महत्व क्या है?, आमलकी एकादशी की पूजा विधि क्या है? इसकी कथा क्या है? और इस एकादशी का महत्व क्या है? इस लेख में हम इन्हीं सभी सवालों के जवाब जानने की कोशिश करेंगे।
तो लिए इस विशेष लेख के जरिए जानते हैं आमलकी एकादशी 2025 (Amalaki Ekadashi 2025) से संबंधित संपूर्ण जानकारी बेहद विस्तार से…..
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साल 2025 की सभी एकादशी (Ekadashi 2025 Date and Time)
तारीख | माह | दिन | आरंभ | समाप्त | एकादशी |
10 जनवरी | शुक्रवार | 12:22 अपराह्न, 09 जनवरी | प्रातः 10:19 बजे, 10 जनवरी | पौष पुत्रदा एकादशी |
25 जनवरी | शनिवार | 07:25 अपराह्न, 24 जनवरी | 25 जनवरी, रात्रि 08:31 बजे | षटतिला एकादशी |
8 फ़रवरी | शनिवार | रात्रि 09:26 बजे, 07 फरवरी | रात्रि 08:15 बजे, फरवरी 08 | जया एकादशी |
24 फरवरी | सोमवार | 01:55 अपराह्न, 23 फरवरी | 01:44 अपराह्न, 24 फरवरी | विजया एकादशी |
10 मार्च | सोमवार | प्रातः 07:45, मार्च 09 | प्रातः 07:44, मार्च 10 | आमलकी एकादशी |
25 मार्च | मंगलवार | प्रातः 05:05, मार्च 25 | प्रातः 03:45, मार्च 26 | पापमोचनी एकादशी |
26 मार्च | बुधवार | प्रातः 05:05, मार्च 25 | प्रातः 03:45, मार्च 26 | वैष्णव पापमोचनी एकादशी |
8 अप्रैल | मंगलवार | 08:00 अपराह्न, 07 अप्रैल | रात्रि 09:12 बजे, अप्रैल 08 | कामदा एकादशी |
24 अप्रैल | गुरुवार | 04:43 अपराह्न, 23 अप्रैल | 02:32 अपराह्न, 24 अप्रैल | वरुथिनी एकादशी |
8 मई | गुरूवार | प्रातः 10:19 बजे, 07 मई | 12:29 PM, 08 मई | मोहिनी एकादशी |
23 मई | शुक्रवार | 01:12 AM, 23 मई | रात्रि 10:29 बजे, 23 मई | अपरा एकादशी |
6 जून | शुक्रवार | 02:15 पूर्वाह्न, 06 जून | प्रातः 04:47, जून 07 | निर्जला एकादशी |
21 जून | शनिवार | प्रातः 07:18 बजे, 21 जून | प्रातः 04:27, जून 22 | योगिनी एकादशी |
22 जून | रविवार | प्रातः 07:18 बजे, 21 जून | प्रातः 04:27 बजे, 22 जून | गौना योगिनी एकादशी |
6 जुलाई | रविवार | सायं 06:58 बजे, 05 जुलाई | रात्रि 09:14 बजे, 06 जुलाई | देवशयनी एकादशी |
21 जुलाई | सोमवार | 12:12 अपराह्न, 20 जुलाई | प्रातः 09:38 बजे, 21 जुलाई | कामिका एकादशी |
5 अगस्त | मंगलवार | 11:41 पूर्वाह्न, 04 अगस्त | 01:12 अपराह्न, 05 अगस्त | श्रावण पुत्रदा एकादशी |
19 अगस्त | मंगलवार | 05:22 अपराह्न, 18 अगस्त | 03:32 अपराह्न, 19 अगस्त | अजा एकादशी |
3 सितम्बर | बुधवार | 03:53 पूर्वाह्न, 03 सितंबर | प्रातः 04:21, सितम्बर 04 | पार्श्व एकादशी |
17 सितम्बर | बुधवार | 12:21 पूर्वाह्न, 17 सितंबर | रात्रि 11:39 बजे, 17 सितम्बर | इन्दिरा एकादशी |
3 अक्टूबर | शुक्रवार | 07:10 अपराह्न, 02 अक्टूबर | 06:32 अपराह्न, 03 अक्टूबर | पापांकुशा एकादशी |
17 अक्टूबर | शुक्रवार | प्रातः 10:35 बजे, 16 अक्टूबर | 11:12 पूर्वाह्न, 17 अक्टूबर | रमा एकादशी |
2 नवंबर | रविवार | प्रातः 09:11 बजे, 01 नवम्बर | प्रातः 07:31 बजे, 02 नवम्बर | देवउत्थान एकादशी |
15 नवंबर | शनिवार | 12:49 पूर्वाह्न, 15 नवंबर | 02:37 पूर्वाह्न, 16 नवंबर | उत्पन्ना एकादशी |
1 दिसंबर | सोमवार | रात्रि 09:29 बजे, 30 नवंबर | 07:01 अपराह्न, 01 दिसम्बर | मोक्षदा एकादशी |
15 दिसंबर | सोमवार | 06:49 अपराह्न, 14 दिसंबर | रात्रि 09:19 बजे | सफला एकादशी |
31 दिसंबर | बुधवार | प्रातः 07:50 बजे, 30 दिसम्बर | प्रातः 05:00 बजे, 31 दिसम्बर | पौष पुत्रदा एकादशी |
आमलकी एकादशी क्या है? | Amalaki Ekadashi kya Hai?

फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) के रूप में मनाया जाता है, जिसे रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस शुभ तिथि पर भगवान विष्णु की आराधना के साथ-साथ आंवले के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे भगवान विष्णु का वास होता है, इसलिए श्रद्धालु भक्ति भाव से इसकी पूजा कर अक्षय पुण्य के भागी बनते हैं।
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आमलकी एकादशी 2025 कब है? | Amalaki Ekadashi 2025 kab Hai?
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 9 मार्च को प्रातः 7 बजकर 45 मिनट से होगा, जबकि शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 10 मार्च को प्रातः 7 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी। इसी दिन भक्तजन श्रद्धा और भक्ति के साथ आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) का पावन व्रत रखेंगे और भगवान विष्णु की उपासना कर पुण्य लाभ अर्जित करेंगे।
साल 2025 की सभी एकादशी (Ekadashi 2025 Date and Time)
तारीख | माह | दिन | आरंभ | समाप्त | एकादशी |
10 जनवरी | शुक्रवार | 12:22 अपराह्न, 09 जनवरी | प्रातः 10:19 बजे, 10 जनवरी | पौष पुत्रदा एकादशी |
25 जनवरी | शनिवार | 07:25 अपराह्न, 24 जनवरी | 25 जनवरी, रात्रि 08:31 बजे | षटतिला एकादशी |
8 फ़रवरी | शनिवार | रात्रि 09:26 बजे, 07 फरवरी | रात्रि 08:15 बजे, फरवरी 08 | जया एकादशी |
24 फरवरी | सोमवार | 01:55 अपराह्न, 23 फरवरी | 01:44 अपराह्न, 24 फरवरी | विजया एकादशी |
10 मार्च | सोमवार | प्रातः 07:45, मार्च 09 | प्रातः 07:44, मार्च 10 | आमलकी एकादशी |
25 मार्च | मंगलवार | प्रातः 05:05, मार्च 25 | प्रातः 03:45, मार्च 26 | पापमोचनी एकादशी |
26 मार्च | बुधवार | प्रातः 05:05, मार्च 25 | प्रातः 03:45, मार्च 26 | वैष्णव पापमोचनी एकादशी |
8 अप्रैल | मंगलवार | 08:00 अपराह्न, 07 अप्रैल | रात्रि 09:12 बजे, अप्रैल 08 | कामदा एकादशी |
24 अप्रैल | गुरुवार | 04:43 अपराह्न, 23 अप्रैल | 02:32 अपराह्न, 24 अप्रैल | वरुथिनी एकादशी |
8 मई | गुरूवार | प्रातः 10:19 बजे, 07 मई | 12:29 PM, 08 मई | मोहिनी एकादशी |
23 मई | शुक्रवार | 01:12 AM, 23 मई | रात्रि 10:29 बजे, 23 मई | अपरा एकादशी |
6 जून | शुक्रवार | 02:15 पूर्वाह्न, 06 जून | प्रातः 04:47, जून 07 | निर्जला एकादशी |
21 जून | शनिवार | प्रातः 07:18 बजे, 21 जून | प्रातः 04:27, जून 22 | योगिनी एकादशी |
22 जून | रविवार | प्रातः 07:18 बजे, 21 जून | प्रातः 04:27 बजे, 22 जून | गौना योगिनी एकादशी |
6 जुलाई | रविवार | सायं 06:58 बजे, 05 जुलाई | रात्रि 09:14 बजे, 06 जुलाई | देवशयनी एकादशी |
21 जुलाई | सोमवार | 12:12 अपराह्न, 20 जुलाई | प्रातः 09:38 बजे, 21 जुलाई | कामिका एकादशी |
5 अगस्त | मंगलवार | 11:41 पूर्वाह्न, 04 अगस्त | 01:12 अपराह्न, 05 अगस्त | श्रावण पुत्रदा एकादशी |
19 अगस्त | मंगलवार | 05:22 अपराह्न, 18 अगस्त | 03:32 अपराह्न, 19 अगस्त | अजा एकादशी |
3 सितम्बर | बुधवार | 03:53 पूर्वाह्न, 03 सितंबर | प्रातः 04:21, सितम्बर 04 | पार्श्व एकादशी |
17 सितम्बर | बुधवार | 12:21 पूर्वाह्न, 17 सितंबर | रात्रि 11:39 बजे, 17 सितम्बर | इन्दिरा एकादशी |
3 अक्टूबर | शुक्रवार | 07:10 अपराह्न, 02 अक्टूबर | 06:32 अपराह्न, 03 अक्टूबर | पापांकुशा एकादशी |
17 अक्टूबर | शुक्रवार | प्रातः 10:35 बजे, 16 अक्टूबर | 11:12 पूर्वाह्न, 17 अक्टूबर | रमा एकादशी |
2 नवंबर | रविवार | प्रातः 09:11 बजे, 01 नवम्बर | प्रातः 07:31 बजे, 02 नवम्बर | देवउत्थान एकादशी |
15 नवंबर | शनिवार | 12:49 पूर्वाह्न, 15 नवंबर | 02:37 पूर्वाह्न, 16 नवंबर | उत्पन्ना एकादशी |
1 दिसंबर | सोमवार | रात्रि 09:29 बजे, 30 नवंबर | 07:01 अपराह्न, 01 दिसम्बर | मोक्षदा एकादशी |
15 दिसंबर | सोमवार | 06:49 अपराह्न, 14 दिसंबर | रात्रि 09:19 बजे | सफला एकादशी |
31 दिसंबर | बुधवार | प्रातः 07:50 बजे, 30 दिसम्बर | प्रातः 05:00 बजे, 31 दिसम्बर | पौष पुत्रदा एकादशी |
आमलकी एकादशी का महत्व क्या है? | Amalaki Ekadashi ka Mahatva kya hai?
- मोक्ष और पुण्य की प्राप्ति: आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) का व्रत रखने से व्यक्ति को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ माध्यम माना गया है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
- आंवले के वृक्ष की पूजा का महत्व: इस एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ आंवले के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है। आंवला स्वास्थ्यवर्धक होने के साथ-साथ आध्यात्मिक रूप से भी शुभ माना जाता है, और इसकी पूजा करने से अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
- होली महोत्सव की शुरुआत: आमलकी एकादशी को रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन से होली महोत्सव की शुरुआत होती है। कहा जाता है कि इसी दिन भगवान शिव ने माता पार्वती का गौना किया था, जिससे यह तिथि और भी शुभ मानी जाती है।
आमलकी एकादशी व्रत कथा | Amalaki Ekadashi Vrat Katha
प्राचीन काल में चित्रसेन नामक एक धर्मपरायण राजा का राज्य था, जहां एकादशी व्रत का विशेष महत्व था। राजा स्वयं भी आमलकी एकादशी के प्रति अपार श्रद्धा रखते थे और नियमित रूप से इस व्रत का पालन करते थे। एक दिन, जब राजा शिकार के उद्देश्य से घने जंगल में गए, तो रास्ता भटककर दूर निकल गए। तभी कुछ क्रूर पहाड़ी डाकुओं ने उन्हें घेर लिया और घातक शस्त्रों से हमला कर दिया।
आश्चर्यजनक रूप से, जैसे ही डाकुओं के शस्त्र राजा के निकट पहुंचे, वे पुष्पों में परिवर्तित हो गए। डाकुओं की संख्या अधिक होने के कारण राजा अंततः संघर्ष करते हुए अचेत होकर धरती पर गिर पड़े। तभी उनके शरीर से एक दिव्य शक्ति प्रकट हुई, जिसने उन सभी डाकुओं का संहार कर दिया और फिर अदृश्य होकर राजा के शरीर में समाहित हो गई।
जब राजा की चेतना लौटी, तो उन्होंने चारों ओर डाकुओं के निष्प्राण शरीर देखे और यह चमत्कार देखकर चकित रह गए। तभी आकाशवाणी हुई – “हे राजन! यह चमत्कारी रक्षा तुम्हारे आमलकी एकादशी व्रत के प्रभाव से हुई है। तुम्हारी देह से प्रकट हुई वैष्णवी शक्ति ने इन दुष्टों का नाश कर तुम्हारी रक्षा की है।” यह सुनकर राजा हर्षित हुए और अपने राज्य लौटकर सभी को आमलकी एकादशी व्रत का महत्व समझाया, जिससे प्रजा में भक्ति और श्रद्धा और भी बढ़ गई।
आमलकी एकादशी व्रत विधि | Amalaki Ekadashi Vrat Vidhi
आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) व्रत विधि कुछ इस प्रकार निम्नलिखित है:
- व्रत का संकल्प एवं पूर्व संध्या की तैयारी- आमलकी एकादशी व्रत का संकल्प दशमी तिथि की रात को लिया जाता है। इस दिन सात्विक भोजन करके अगली सुबह स्नान के बाद व्रत का निश्चय करना चाहिए।
- प्रातःकाल स्नान एवं पूजा- ब्रह्ममुहूर्त में उठकर गंगाजल या पवित्र जल से स्नान करें। इसके बाद भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी और आंवले के वृक्ष की पूजा करने की तैयारी करें।
- आंवले के वृक्ष की पूजा- आमलकी एकादशी पर आंवले के वृक्ष का विशेष पूजन किया जाता है। जल, कुमकुम, हल्दी, अक्षत और फूल अर्पित करें तथा दीप जलाकर परिक्रमा करें।
- भगवान विष्णु की आराधना- भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाकर तुलसी दल अर्पित करें। ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
- व्रत का पालन एवं भजन-कीर्तन- दिनभर उपवास रखते हुए भगवान का ध्यान करें। कुछ लोग फलाहार करते हैं, जबकि कई निर्जल व्रत रखते हैं। दिनभर भजन-कीर्तन एवं सत्संग करें।
- एकादशी व्रत कथा का श्रवण- इस दिन आमलकी एकादशी व्रत कथा सुनना और सुनाना बहुत शुभ माना जाता है। कथा के माध्यम से व्रत का महत्व और पुण्य लाभ प्राप्त किया जाता है।
- पारण एवं दान-पुण्य- द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद पारण करना चाहिए। व्रत का समापन आंवले के फल एवं अन्न का दान करके करें और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।
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Conclusion:-Amalaki Ekadashi katha Aur Vrat Vidhi
हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (आमलकी एकादशी 2025 कब है?) Amalaki Ekadashi katha Aur Vrat Vidhi यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके पास किसी भी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद
FAQ’s:-Amalaki Ekadashi katha Aur Vrat Vidhi
Q. आमलकी एकादशी कब मनाई जाती है?
Ans. आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है, जिसे रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है।
Q. आमलकी एकादशी का दूसरा नाम क्या है और क्यों?
Ans. इसे रंगभरी एकादशी कहा जाता है क्योंकि इस दिन से होली महोत्सव की शुरुआत होती है और भगवान शिव ने माता पार्वती का गौना किया था।
Q. आमलकी एकादशी के दिन कौन-से वृक्ष की पूजा की जाती है?
Ans. इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है, क्योंकि इसे भगवान विष्णु का प्रिय वृक्ष माना जाता है।
Q. आमलकी एकादशी व्रत का क्या महत्व है?
Ans. यह व्रत मोक्ष और पुण्य प्राप्ति के लिए किया जाता है, जिससे व्यक्ति को पापों से मुक्ति और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
Q. आमलकी एकादशी व्रत कथा में राजा चित्रसेन के साथ क्या चमत्कार हुआ था?
Ans. राजा चित्रसेन पर डाकुओं ने हमला किया, लेकिन व्रत के प्रभाव से उनके शरीर से दिव्य शक्ति प्रकट हुई, जिसने डाकुओं का संहार कर दिया।
Q. आमलकी एकादशी के दिन कौन-सा मंत्र जपना शुभ होता है?
Ans. इस दिन ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करना विशेष रूप से शुभ और फलदायी माना जाता है।इससे संबंधित लेख:– हिन्दू कैलेंडर जनवरी 2025 | फरवरी 2025 | मार्च 2025 | अप्रैल 2025 | मई 2025 | जून 2025 | जुलाई 2025 | अगस्त 2025 | सितम्बर 2025 | अक्टूबर 2025 | नवंबर 2025 | दिसंबर 2025 | लाला रामस्वरूप कैलेंडर 2025 | श्री महालक्ष्मी मराठी कैलेंडर | किशोर जंत्री कैलेंडर | रुचिका कालदर्शक कैलेंडर | हिंदी पंचांग कैलेंडर 2025 | ठाकुर प्रसाद कैलेंडर 2025 | कालनिर्णय कैलेंडर 2025 | कालदर्शक कैलेंडर 2025 | अमावस्या 2025 लिस्ट | पूर्णिमा 2025 कैलेंडर