
बुध अष्टमी व्रत, पूजा विधि और कथा (Budh Ashtami Vrat Puja Vidhi Aur katha): बुधाष्टमी व्रत (Budh Ashtami Vrat) एक पवित्र और शक्तिशाली व्रत है, जो हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है। यह व्रत भगवान गणेश और भगवान बुध की आराधना और पूजा के लिए मनाया जाता है, जो हमारे जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता का प्रतीक हैं। बुधाष्टमी व्रत एक ऐसा व्रत है जो हमें अपने जीवन में आध्यात्मिक और धार्मिक ज्ञान को बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।
यह व्रत हमें सिखाता है कि कैसे हम अपने जीवन में शुभता और समृद्धि को बढ़ा सकते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। तो आइए, बुधाष्टमी व्रत के बारे में विस्तार से जानते हैं और इसके महत्व को समझते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बुधाष्टमी व्रत क्या है? बुधाष्टमी व्रत कब है?, बुधाष्टमी व्रत का महत्व क्या है?, बुधाष्टमी की पूजा विधि क्या है?, बुधाष्टमी व्रत कथा क्या है? और इस व्रत को कैसे मनाया जाता है? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए, इस लेख में हम इन सभी सवालों के जवाब जानेंगे
बुधाष्टमी व्रत (Budh Ashtami Vrat) हमें सिखाता है कि कैसे हम अपने जीवन में शुभता और समृद्धि को बढ़ा सकते हैं। तो लिए इस विशेष लेख केसरिया जानते हैं बुधाष्टमी व्रत के बारे में सब कुछ बेहद विस्तार से….
यह भी पढ़े:-–एकादशी माता आरती
बुध अष्टमी व्रत क्या है? | Buddha Ashtami Vrat kya Hai?
बुध अष्टमी व्रत (Budh Ashtami Vrat) का पालन प्रत्येक उस अष्टमी तिथि पर किया जाता है, जो बुधवार के दिन पड़ती है। इस पावन अवसर पर भगवान गणेश और बुध ग्रह की आराधना की जाती है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य, धन-धान्य और संतान सुख की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत साधकों को शुभ फल प्रदान करता है और उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
बुध अष्टमी व्रत कब है? | Buddha Ashtami Vrat kab Hai?
साल 2025 में फरवरी महीने में बुद्धअष्टमी व्रत 5(Budh Ashtami Vrat) फरवरी, बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन मासिक दुर्गाष्टमी और भीष्म अष्टमी भी पड़ रही है।
बुध अष्टमी की पूजा विधि क्या है? | Buddha Ashtami ki Puja Vidhi kya Hai?
बुध अष्टमी (Budh Ashtami Vrat) की पूजा विधि कुछ इस प्रकार निम्नलिखित है-
- स्नान और संकल्प: बुध अष्टमी के दिन प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और व्रत एवं पूजा का संकल्प लें। मन में भगवान गणेश और बुध ग्रह का ध्यान करें और शुभ फल प्राप्ति की प्रार्थना करें।
- व्रत और उपवास: इस दिन व्रत रखने का विशेष महत्व है। भक्त निर्जला या फलाहार उपवास रख सकते हैं। पूरे दिन सात्त्विकता का पालन करें और संयमित जीवनशैली अपनाएं। संध्या के समय पूजा-अर्चना के बाद व्रत का पारण किया जाता है।
- भगवान गणेश और बुध ग्रह की पूजा: पूजा में भगवान गणेश और बुध ग्रह का ध्यान करें। गणेश जी को दूर्वा, मोदक और पीले फूल अर्पित करें। बुध ग्रह को प्रसन्न करने के लिए हरे रंग के वस्त्र, हरी मूंग और तुलसी चढ़ाएं और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें।
- विशेष मंत्रों का जाप: इस दिन “ॐ बुं बुधाय नमः” और “ॐ गण गणपतये नमः” मंत्र का जाप करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। कम से कम 108 बार मंत्रों का जाप करें, जिससे बुध ग्रह की कृपा बनी रहे और जीवन में सुख-समृद्धि आए।
- कथा श्रवण और हवन: बुध अष्टमी व्रत कथा का पाठ या श्रवण करना शुभ माना जाता है। इसके बाद हवन किया जाता है, जिसमें गाय के घी, काले तिल और हवन सामग्री अर्पित कर विशेष आहुति दी जाती है, जिससे ग्रह दोषों का निवारण होता है।
- दान और ब्राह्मण भोजन: व्रत के समापन पर हरी वस्तुएं जैसे हरी मूंग, हरे वस्त्र और धन का दान करें। ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन कराएं और आशीर्वाद प्राप्त करें। इससे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
बुध अष्टमी व्रत का महत्व क्या है? | Buddha Ashtami Vrat ka Mahatva kya Hai?
- बुध ग्रह के दोष निवारण के लिए: बुधाष्टमी व्रत (Budh Ashtami Vrat) बुध ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए किया जाता है। यह व्रत बुध के शुभ प्रभाव को बढ़ाता है और व्यक्ति की समृद्धि व सुख में वृद्धि करता है।
- मानसिक शांति और संतुलन: इस व्रत से व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती है और उसका मन शांत रहता है। यह व्रत मानसिक तनाव को कम करता है और जीवन में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
- व्यापार और नौकरी में सफलता: बुध ग्रह व्यापार, संचार, और नौकरी से संबंधित होता है। बुधाष्टमी व्रत करने से व्यापारी और नौकरी पेशा लोग अपने क्षेत्र में सफलता और समृद्धि प्राप्त करते हैं।
- ज्ञान व बुद्धिमत्ता में वृद्धि: बुध ग्रह बुद्धि, ज्ञान और शिक्षा का कारक है। इस व्रत से विद्यार्थी और शोधकर्ता अपनी बुद्धिमत्ता में वृद्धि पाते हैं और अध्ययन में सफलता प्राप्त करते हैं।
- संतान सुख और संतान के लिए कल्याण: यह व्रत संतान सुख की प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह विशेष रूप से उन दंपत्तियों के लिए लाभकारी है, जो संतान प्राप्ति की कामना करते हैं।
बुध अष्टमी व्रत कथा | Budh Ashtami Vrat Puja Vidhi Aur katha
मिथिला नामक नगर में एक समय निमि नामक राजा राज करते थे, लेकिन एक युद्ध में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी पत्नी, उर्मिला, अपने पति के निधन के बाद अकेली हो गई और निराश्रित होकर इधर-उधर भटकने लगी। अपने दो बच्चों के साथ वह अवंती देश चली गई और वहां एक ब्राह्मण के घर में गेहूं पीसने का काम करने लगी। अपने बच्चों को खिलाने के लिए वह कुछ गेहूं चुराकर रख लेती थी। समय बीतने के बाद उर्मिला का निधन हो गया, और उसके बच्चे बड़े हो गए। बेटा मिथिला लौट आया और अपने पिता का राज्य पुनः प्राप्त कर शासन करने लगा। उसकी बहन श्यामला भी विवाह योग्य हो गई और अत्यंत रूपवती होने के कारण उसका विवाह अवंती देश के राजा धर्मराज से हुआ।
धर्मराज ने एक दिन श्यामला से कहा, “प्रिय! तुम हर काम करो, लेकिन इन सात बंद कमरों में से किसी भी कमरे में प्रवेश मत करना, क्योंकि इनमें तुम्हारे लिए बहुत भयानक दृश्य हैं।” श्यामला ने यह स्वीकार किया, परंतु उसके मन में उत्सुकता बनी रही।
एक दिन, जब धर्मराज किसी काम में व्यस्त थे, श्यामला ने उन सात बंद कमरों में से एक का ताला खोला। अंदर का दृश्य देखकर वह हैरान रह गई—उसकी मां उर्मिला को यमदूतों ने पकड़ा हुआ था और वह तप्त तेल के कढ़ाह में बार-बार डाली जा रही थी। लज्जित होकर श्यामला ने उस कमरे का दरवाजा बंद कर दिया। फिर दूसरे कमरे में घुसी, तो वहां भी उर्मिला को यमदूत शिला पर रखकर पीस रहे थे और वह कराह रही थी। तीसरे कमरे में श्यामला ने देखा कि यमदूत उर्मिला के सिर में कील ठोक रहे थे, और चौथे कमरे में उर्मिला को भयंकर श्रावण कीड़े खा रहे थे। पाचवें कमरे में लोहे के संधंश उसे पीड़ित कर रहे थे, जबकि छठे कमरे में कोल्हू के बीच उर्मिला को रौंदा जा रहा था। सातवें कमरे में, उसके शरीर पर हजारों कृमि भक्षण कर रहे थे।
यह सब देख कर श्यामला ने विचार किया, “मेरी मां ने ऐसा कौन सा पाप किया था जिससे वह इस भयंकर स्थिति में फंसी हैं?” श्यामला ने धर्मराज से यह पूरी घटना बताई। धर्मराज ने कहा, “प्रिय! मैंने तुम्हें इसलिए यह सात ताले न खोलने की सलाह दी थी, क्योंकि तुम्हारी मां ने किसी ब्राह्मण के खेत से गेहूं चुराया था। यही उसकी सजा है। ब्राह्मण का धन चुराना या स्नेह से उसका सेवन करना किसी के लिए भी घातक होता है।”
श्यामला ने धर्मराज से विनती की, “महाराज! क्या कोई उपाय है जिससे मेरी मां को इस नरक से मुक्ति मिल सके?” धर्मराज कुछ समय तक विचार करते रहे और फिर कहा, “प्रिये! सात जन्म पहले तुम्हारी मां एक ब्राह्मणी थी। उस समय तुमने अपने सखियों के साथ बुधाष्टमी का व्रत किया था। यदि तुम उस व्रत के पुण्य का फल अपनी मां को दोगी, तो वह इस नरक से मुक्त हो सकती है।”
यह सुनते ही श्यामला स्नान करके व्रत का पुण्य फल अपनी मां के लिए संकल्पपूर्वक दान कर देती है। व्रत के प्रभाव से उर्मिला तुरंत दिव्य देह धारण करती है और विमान में बैठकर अपने पति के साथ स्वर्गलोक की ओर प्रस्थान करती है। वह बुध ग्रह के पास पहुंच जाती है, और इस प्रकार वह अपनी संतान के पुण्य से नरक के दुखों से मुक्ति पाती है।
यह व्रत विशेष रूप से सन्तान को अपनी माता के लिए रखना चाहिए। इस व्रत को करने से व्यक्ति को धन, धान्य, पुत्र, पौत्र, दीर्घायु और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
यह भी पढ़े:- देवउठनी एकादशी | रमा एकादशी | पापांकुशा एकादशी | एकादशी | कामिका एकादशी | देवशयनी एकादशी | योगिनी एकादशी | निर्जला एकादशी | अपरा एकादशी मोहिनी एकादशी | मोक्षदा एकादशी, तुलसी विवाह, तुलसी माता की आरती, तुलसी चालीसा , आमलकी एकादशी
Conclusion
हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (बुध अष्टमी व्रत, जानें बुधाष्टमी पूजा विधि और कथा) Budh Ashtami Vrat Puja Vidhi Aur katha यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके पास किसी भी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद
FAQ’s:-Budh Ashtami Vrat Puja Vidhi Aur katha
Q. बुधाष्टमी व्रत कब मनाया जाता है?
Ans. बुधाष्टमी व्रत (Budh Ashtami Vrat) उस अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जो बुधवार के दिन पड़ती है।
Q. बुधाष्टमी व्रत का पालन करने से क्या लाभ होता है?
Ans. इस व्रत से बुध ग्रह के दोष निवारण के साथ-साथ व्यक्ति को मानसिक शांति, व्यापार में सफलता, और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
Q. बुधाष्टमी व्रत की पूजा विधि क्या है?
Ans. पूजा विधि में प्रातः स्नान के बाद संकल्प लें, भगवान गणेश और बुध ग्रह की पूजा करें, मंत्रों का जाप करें और दान करें।
Q. बुधाष्टमी व्रत के लिए कौन से मंत्र का जाप किया जाता है?
Ans. “ॐ बुं बुधाय नमः” और “ॐ गण गणपतये नमः” मंत्र का जाप बुधाष्टमी व्रत में विशेष रूप से किया जाता है।
Q. बुध ग्रह का क्या प्रभाव होता है?
Ans. बुध ग्रह व्यापार, संचार और ज्ञान के कारक होते हैं, जिनका सही प्रभाव व्यक्ति की समृद्धि और बुद्धिमत्ता में वृद्धि करता है।
Q. बुधाष्टमी व्रत का महत्व क्यों है?
Ans. यह व्रत बुध ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को कम करता है और मानसिक संतुलन, व्यापारिक सफलता, और संतान सुख की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण है।
इससे संबंधित लेख:– हिन्दू कैलेंडर जनवरी 2025 | फरवरी 2025 | मार्च 2025 | अप्रैल 2025 | मई 2025 | जून 2025 | जुलाई 2025 | अगस्त 2025 | सितम्बर 2025 | अक्टूबर 2025 | नवंबर 2025 | दिसंबर 2025 | लाला रामस्वरूप कैलेंडर 2025 | श्री महालक्ष्मी मराठी कैलेंडर | किशोर जंत्री कैलेंडर | रुचिका कालदर्शक कैलेंडर | हिंदी पंचांग कैलेंडर 2025 | ठाकुर प्रसाद कैलेंडर 2025 | कालनिर्णय कैलेंडर 2025 | कालदर्शक कैलेंडर 2025 | अमावस्या 2025 लिस्ट | पूर्णिमा 2025 कैलेंडर