
नवंबर एकादशी 2025 (Ekadashi November Vrat 2025): नवंबर 2025 में दो महत्वपूर्ण एकादशी पड़ रही हैं – उत्पन्ना एकादशी और देवउठनी एकादशी। ये दोनों एकादशी हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखती हैं और भगवान विष्णु की आराधना और पूजा के लिए मनाई जाती हैं। उत्पन्ना एकादशी और देवउठनी एकादशी दोनों ही एकादशी हमें अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का अवसर प्रदान करती हैं। ये एकादशी हमें सिखाती हैं कि कैसे हम अपने जीवन में शुभता और समृद्धि को बढ़ा सकते हैं।
नवंबर 2025 में एकादशी एक ऐसा अवसर है जो हमें अपने जीवन में आध्यात्मिक और धार्मिक ज्ञान को बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है। यह अवसर हमें सिखाता है कि कैसे हम अपने जीवन में शुभता और समृद्धि को बढ़ा सकते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नवंबर की उत्पन्ना एकादशी और देवउठनी एकादशी कब है?, दोनों एकादशी का शुभ मुहूर्त क्या है?, इसका महत्व क्या है?, दोनों ही एकादशी की कथाएं क्या हैं?, दोनों एकादशी की पूजा विधि क्या है? और इन एकादशी को कैसे मनाया जाता है? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए, आइए हम नवंबर 2025 में एकादशी के बारे में विस्तार से जानते हैं।
तो आइए, नवंबर महीने में आने वाली इन दोनों ही एकादशियों के बारे में विस्तार से जानते हैं और उनके महत्व को समझते हैं…..
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देवउठनी एकादशी क्या है? | Dev Uthani Ekadashi kya Hai?
देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi), जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं। यह तिथि विशेष रूप से विवाह, मांगलिक कार्यों और तुलसी विवाह के लिए शुभ मानी जाती है। इस दिन व्रत और भजन-कीर्तन का विशेष महत्व होता है।
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साल 2025 की सभी एकादशी (Ekadashi 2025 Date and Time)
तारीख | माह | दिन | आरंभ | समाप्त | एकादशी |
10 जनवरी | शुक्रवार | 12:22 अपराह्न, 09 जनवरी | प्रातः 10:19 बजे, 10 जनवरी | पौष पुत्रदा एकादशी |
25 जनवरी | शनिवार | 07:25 अपराह्न, 24 जनवरी | 25 जनवरी, रात्रि 08:31 बजे | षटतिला एकादशी |
8 फ़रवरी | शनिवार | रात्रि 09:26 बजे, 07 फरवरी | रात्रि 08:15 बजे, फरवरी 08 | जया एकादशी |
24 फरवरी | सोमवार | 01:55 अपराह्न, 23 फरवरी | 01:44 अपराह्न, 24 फरवरी | विजया एकादशी |
10 मार्च | सोमवार | प्रातः 07:45, मार्च 09 | प्रातः 07:44, मार्च 10 | आमलकी एकादशी |
25 मार्च | मंगलवार | प्रातः 05:05, मार्च 25 | प्रातः 03:45, मार्च 26 | पापमोचनी एकादशी |
26 मार्च | बुधवार | प्रातः 05:05, मार्च 25 | प्रातः 03:45, मार्च 26 | वैष्णव पापमोचनी एकादशी |
8 अप्रैल | मंगलवार | 08:00 अपराह्न, 07 अप्रैल | रात्रि 09:12 बजे, अप्रैल 08 | कामदा एकादशी |
24 अप्रैल | गुरुवार | 04:43 अपराह्न, 23 अप्रैल | 02:32 अपराह्न, 24 अप्रैल | वरुथिनी एकादशी |
8 मई | गुरूवार | प्रातः 10:19 बजे, 07 मई | 12:29 PM, 08 मई | मोहिनी एकादशी |
23 मई | शुक्रवार | 01:12 AM, 23 मई | रात्रि 10:29 बजे, 23 मई | अपरा एकादशी |
6 जून | शुक्रवार | 02:15 पूर्वाह्न, 06 जून | प्रातः 04:47, जून 07 | निर्जला एकादशी |
21 जून | शनिवार | प्रातः 07:18 बजे, 21 जून | प्रातः 04:27, जून 22 | योगिनी एकादशी |
22 जून | रविवार | प्रातः 07:18 बजे, 21 जून | प्रातः 04:27 बजे, 22 जून | गौना योगिनी एकादशी |
6 जुलाई | रविवार | सायं 06:58 बजे, 05 जुलाई | रात्रि 09:14 बजे, 06 जुलाई | देवशयनी एकादशी |
21 जुलाई | सोमवार | 12:12 अपराह्न, 20 जुलाई | प्रातः 09:38 बजे, 21 जुलाई | कामिका एकादशी |
5 अगस्त | मंगलवार | 11:41 पूर्वाह्न, 04 अगस्त | 01:12 अपराह्न, 05 अगस्त | श्रावण पुत्रदा एकादशी |
19 अगस्त | मंगलवार | 05:22 अपराह्न, 18 अगस्त | 03:32 अपराह्न, 19 अगस्त | अजा एकादशी |
3 सितम्बर | बुधवार | 03:53 पूर्वाह्न, 03 सितंबर | प्रातः 04:21, सितम्बर 04 | पार्श्व एकादशी |
17 सितम्बर | बुधवार | 12:21 पूर्वाह्न, 17 सितंबर | रात्रि 11:39 बजे, 17 सितम्बर | इन्दिरा एकादशी |
3 अक्टूबर | शुक्रवार | 07:10 अपराह्न, 02 अक्टूबर | 06:32 अपराह्न, 03 अक्टूबर | पापांकुशा एकादशी |
17 अक्टूबर | शुक्रवार | प्रातः 10:35 बजे, 16 अक्टूबर | 11:12 पूर्वाह्न, 17 अक्टूबर | रमा एकादशी |
2 नवंबर | रविवार | प्रातः 09:11 बजे, 01 नवम्बर | प्रातः 07:31 बजे, 02 नवम्बर | देवउत्थान एकादशी |
15 नवंबर | शनिवार | 12:49 पूर्वाह्न, 15 नवंबर | 02:37 पूर्वाह्न, 16 नवंबर | उत्पन्ना एकादशी |
1 दिसंबर | सोमवार | रात्रि 09:29 बजे, 30 नवंबर | 07:01 अपराह्न, 01 दिसम्बर | मोक्षदा एकादशी |
15 दिसंबर | सोमवार | 06:49 अपराह्न, 14 दिसंबर | रात्रि 09:19 बजे | सफला एकादशी |
31 दिसंबर | बुधवार | प्रातः 07:50 बजे, 30 दिसम्बर | प्रातः 05:00 बजे, 31 दिसम्बर | पौष पुत्रदा एकादशी |
देवउठनी एकादशी 2025 कब है? | Dev Uthani Ekadashi 2025 kab Hai?
वर्ष 2025 में देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) 2 नवंबर, रविवार को मनाई जाएगी। यह दिन हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि भगवान विष्णु इस दिन योगनिद्रा से जागते हैं। इसी दिन से विवाह, गृह प्रवेश और अन्य मांगलिक कार्य पुनः प्रारंभ हो जाते हैं। तुलसी विवाह भी इसी दिन संपन्न होता है।
देवउठनी एकादशी का महत्व | Dev Uthani Ekadashi ka Mahatva
- विवाह और मांगलिक कार्यों का आरंभ: देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) से चार महीने तक रुके हुए विवाह और अन्य मांगलिक कार्य पुनः आरंभ होते हैं। यह तिथि शुभ कार्यों के लिए बेहद पवित्र मानी जाती है।
- पुण्य फल और मोक्ष प्राप्ति: इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की आराधना करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन के समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- तुलसी विवाह का महत्व: तुलसी विवाह करने से वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इसे विष्णु और लक्ष्मी के पावन मिलन का प्रतीक माना जाता है, जिससे घर में शुभता बनी रहती है।
देवउठनी एकादशी की पूजा विधि | Dev Uthani Ekadashi ki Puja Vidhi
- स्नान व संकल्प: प्रातः स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प लें। व्रत रखने का संकल्प लेते हुए जल, फूल और अक्षत अर्पित करें।
- भगवान विष्णु की पूजा: विष्णुजी की मूर्ति या चित्र पर पीले पुष्प, चंदन, धूप और दीप अर्पित करें। तुलसी दल चढ़ाकर भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं और सुगंधित पुष्प अर्पित करें।
- व्रत कथा का पाठ: देवउठनी एकादशी की व्रत कथा का पाठ करें और परिवार के सदस्यों के साथ श्रवण करें। कथा सुनने से व्रत का फल मिलता है और पापों का नाश होता है।
- तुलसी विवाह: इस दिन तुलसी विवाह का विशेष महत्व है। तुलसी माता और शालिग्राम (भगवान विष्णु) का विधिपूर्वक विवाह कराकर भक्ति भाव से पूजा करें और मंगल गीत गाएं।
- दीपदान और कीर्तन: संध्या समय घर और मंदिर में दीप जलाएं। भजन-कीर्तन का आयोजन करें और भगवान विष्णु की महिमा का गुणगान करते हुए आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करें।
- अन्नदान और भोग: व्रत के उपरांत ब्राह्मणों, गरीबों और जरूरतमंदों को अन्नदान करें। भगवान को पंचामृत, मिठाई और फल का भोग लगाकर प्रसाद रूप में वितरित करें।
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देवउठनी एकादशी 2025 का शुभ मुहूर्त | Dev Uthani Ekadasi 2025 Shubh Muhurat
विवरण | तिथि | समय |
तिथि प्रारंभ | 1 नवंबर | सुबह 9:11 बजे |
तिथि समाप्त | 2 नवंबर | सुबह 7:31 बजे (उदया तिथि के अनुसार व्रत 2 नवंबर को है) |
पारण समय | 3 नवंबर | सुबह 6:34 से 8:46 बजे तक |
उत्पन्ना एकादशी क्या है? | Utpanna Ekadashi kya Hai?
उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। यह मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस व्रत का संबंध भगवान विष्णु की शक्ति माँ एकादशी के प्राकट्य से है, जिन्होंने राक्षस मुर को पराजित किया था। इस दिन व्रत रखने से सभी पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
उत्पन्ना एकादशी 2025 कब है? | Utpanna Ekadashi 2025 kab Hai?
2025 में उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) 15 नवंबर, शनिवार को मनाई जाएगी। यह व्रत मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा कर व्रत रखने से पुण्य की प्राप्ति होती है। श्रद्धालु उपवास, कथा श्रवण और दान-पुण्य करके इस व्रत का पालन करते हैं।
उत्पन्ना एकादशी का महत्व | Utpanna Ekadashi ka Mahatva
- पाप नाशक और मोक्ष प्रदायक: इस व्रत को करने से जीवन के सभी पाप नष्ट होते हैं। यह व्रत मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति कराता है और विष्णु लोक में स्थान मिलता है।
- धार्मिक एवं आध्यात्मिक उन्नति: उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) का व्रत व्यक्ति को सात्त्विक और धार्मिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। यह भक्ति, संयम और आत्मसंयम को बढ़ाने में सहायक होता है।
- सुख-समृद्धि और कल्याण: इस व्रत के प्रभाव से परिवार में सुख-शांति, धन-धान्य और समृद्धि आती है। भगवान विष्णु की कृपा से सभी कष्टों का निवारण होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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उत्पन्ना एकादशी की पूजा विधि | Utpanna Ekadashi ki Puja Vidhi
- स्नान और संकल्प: प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु की आराधना का संकल्प लें और व्रत का पालन करने के लिए स्वयं को मानसिक रूप से तैयार करें।
- विष्णु पूजा: भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित करें। तुलसी पत्र, चंदन, पुष्प और प्रसाद अर्पित करें। विष्णु सहस्रनाम या एकादशी व्रत कथा का पाठ करें।
- उपवास और नियम: इस दिन पूर्ण उपवास रखें या फलाहार करें। लहसुन, प्याज और तामसिक भोजन से परहेज करें। मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहकर भगवान विष्णु का ध्यान करें।
- कीर्तन और भजन: दिनभर भजन-कीर्तन और विष्णु स्तुति करें। विष्णु सहस्रनाम, श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करें। रात्रि जागरण करके भगवान विष्णु के चरणों में मन लगाएं।
- दान-पुण्य और सेवा: जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा का दान करें। गौसेवा करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं। यह व्रत दान-पुण्य करने से अधिक फलदायी होता है।
- पारण विधि: द्वादशी तिथि को स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। ब्राह्मणों को भोजन कराकर, दान देकर और स्वयं सात्त्विक भोजन ग्रहण करके व्रत का पारण करें।
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उत्पन्ना एकादशी 2025 का शुभ मुहूर्त | Utpanna Ekadashi 2025 Shubh Muhurat
विवरण | तिथि | समय |
एकादशी तिथि आरंभ | 15 नवंबर | मध्य रात्रि 12:49 बजे |
एकादशी तिथि समाप्त | 16 नवंबर | मध्य रात्रि 2:37 बजे |
व्रत पारण तिथि | 16 नवंबर | सूर्योदय के पश्चात |
Conclusion:-Ekadashi November Vrat 2025
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FAQ’s:-Ekadashi November Vrat 2025
Q. देवउठनी एकादशी किस महीने और तिथि को मनाई जाती है?
Ans. देवउठनी एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है, जब भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं।
Q. 2025 में देवउठनी एकादशी कब मनाई जाएगी?
Ans. वर्ष 2025 में देवउठनी एकादशी 2 नवंबर, रविवार को मनाई जाएगी, जो विवाह और मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मानी जाती है।
Q. देवउठनी एकादशी का धार्मिक महत्व क्या है?
Ans. इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं और चार महीने से रुके हुए शुभ कार्य पुनः प्रारंभ होते हैं, जिससे इसे अत्यंत शुभ माना जाता है।
Q. उत्पन्ना एकादशी का क्या महत्व है?
Ans. उत्पन्ना एकादशी भगवान विष्णु की शक्ति माँ एकादशी के प्राकट्य से जुड़ी है, जो सभी पापों का नाश करके मोक्ष प्रदान करने वाली मानी जाती है।
Q. 2025 में उत्पन्ना एकादशी कब मनाई जाएगी?
Ans. 2025 में उत्पन्ना एकादशी 15 नवंबर, शनिवार को मनाई जाएगी, जो मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आती है।
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Q. तुलसी विवाह का क्या महत्व है?
Ans. तुलसी विवाह देवउठनी एकादशी के दिन किया जाता है, जिसे भगवान विष्णु और लक्ष्मी के पावन मिलन का प्रतीक माना जाता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि आती है।