
रविवार व्रत विधि (Ravivar Vrat Vidhi): रविवार व्रत (Ravivar Vrat) हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है, जिसे विशेष रूप से भगवान सूर्य की पूजा करने के लिए रखा जाता है। यह व्रत व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित होता है और इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है जो अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहे होते हैं या जिनका स्वास्थ्य कमजोर होता है। रविवार व्रत क्या है?, रविवार व्रत कैसे किया जाता है?
इसकी पूजा विधि और उद्यापन विधि क्या है? Ravivar Vrat Vidhi इसके नियम क्या है?, इसकी कथा क्या है और इसके फायदे क्या है?, क्या आप जानते हैं कि रविवार व्रत के साथ कुछ खास नियम भी जुड़े होते हैं जिन्हें पालन करना आवश्यक होता है? इसके अलावा, इस व्रत के फायदे और पूजा विधि भी विशेष महत्व रखते हैं। यह सभी सवाल इस व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी को जानने के लिए हर व्यक्ति के मन में आते हैं। यदि आप भी इन सवालों के उत्तर ढूंढ रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए एक सही मार्गदर्शक साबित होगा।
अगर आप भी इस व्रत को पूरी श्रद्धा और सही विधि से करना चाहते हैं, तो इस लेख में दी गई जानकारी आपके लिए बेहद उपयोगी साबित होगी। इसलिए इस लेख को अंत तक पढ़ें और जानें रविवार व्रत से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें……
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रविवार व्रत क्या है? | Ravivar Vrat kya Hai?
रविवार व्रत (Ravivar Vrat) सूर्यदेव (Surya Dev) की उपासना के लिए किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत स्वास्थ्य, ऊर्जा, सफलता और आत्मबल को बढ़ाने के लिए रखा जाता है। हिंदू धर्म में सूर्यदेव को जीवनदायिनी ऊर्जा का स्रोत माना जाता है, और उनकी कृपा से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता, तेज और आत्मविश्वास बढ़ता है। इस व्रत में व्रती को सूर्योदय से पहले स्नान कर सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए तथा दिनभर संयम और सात्विक आहार का पालन करना चाहिए। कई लोग इस दिन नमक रहित या फलाहार भोजन करते हैं। रविवार व्रत से नेत्र, हड्डियों और त्वचा संबंधी रोगों में लाभ मिलता है तथा जीवन में सफलता और समृद्धि आती है। यह व्रत विशेष रूप से सूर्यदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
रविवार व्रत के क्या फायदे हैं? | Ravivar Vrat ke kya Fayde Hain?

रविवार व्रत (Sunday fast) के प्रमुख लाभ कुछ इस प्रकार हैं:
- स्वास्थ्य में सुधार और ऊर्जा वृद्धि: रविवार व्रत सूर्यदेव की कृपा पाने का उत्तम माध्यम है, जिससे शरीर में ऊर्जा का संचार बढ़ता है। यह हड्डियों, नेत्रों और पाचन तंत्र को मजबूत करता है तथा रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होता है।
- आर्थिक समृद्धि और सफलता: इस व्रत के प्रभाव से जीवन में धन, मान-सम्मान और सफलता प्राप्त होती है। सूर्यदेव की कृपा से कार्यक्षेत्र में तरक्की मिलती है और व्यापार में वृद्धि होती है, जिससे आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है।
- सकारात्मकता और आत्मविश्वास में वृद्धि: सूर्यदेव आत्मबल और नेतृत्व क्षमता के देवता हैं। रविवार व्रत रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, मानसिक तनाव कम होता है और व्यक्ति में आत्मविश्वास, साहस एवं निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है।
रविवार व्रत की पूजा विधि क्या है? | Ravivar Vrat ki Puja Vidhi kya Hai?
- स्नान और संकल्प: रविवार व्रत (Ravivar vrat) करने वाले व्यक्ति को प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। स्नान के बाद, सूर्यदेव के समक्ष दीप जलाकर व्रत का संकल्प लें।
- सूर्य अर्घ्य और मंत्र जाप: व्रती को तांबे के लोटे में जल, लाल फूल, अक्षत और गुड़ मिलाकर सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए। अर्घ्य देते समय “ॐ घृणिः सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
- पूजा स्थल की तैयारी: घर के पूर्व दिशा में सूर्यदेव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। लाल रंग का वस्त्र बिछाकर पूजा सामग्री जैसे धूप, दीप, नैवेद्य, जल, रोली, अक्षत और गुड़ रखें।
- सूर्यदेव की विधिपूर्वक पूजा: सूर्यदेव को रोली, अक्षत, लाल फूल, धूप और दीप अर्पित करें। गुड़ और गेहूं से बनी मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद “ॐ आदित्याय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्” मंत्र का जाप करें।
- व्रत कथा का श्रवण: रविवार व्रत (Ravivar vrat) के दौरान व्रती को सूर्यदेव की कथा का पाठ या श्रवण करना चाहिए। कथा सुनने से व्रत का पुण्य फल प्राप्त होता है और जीवन में आने वाली कठिनाइयों का निवारण होता है।
- भोजन और नियम पालन: व्रत के दिन नमक रहित भोजन ग्रहण करना चाहिए। गेहूं, गुड़, दूध और फल का सेवन कर सकते हैं। व्रती को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और असत्य, निंदा व क्रोध से बचना चाहिए।
रविवार व्रत की उद्यापन विधि क्या है? | Ravivar Vrat ki Udyapan Vidhi kya Hai?
- विशेष पूजा और हवन: उद्यापन के दिन रविवार व्रत की विशेष पूजा करें। सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद, यथासंभव हवन करें जिसमें गुड़, तिल और गाय के घी से आहुति दी जाए। इसके बाद “आदित्य हृदय स्तोत्र” का पाठ करें और सूर्यदेव से व्रत के सफल समापन की प्रार्थना करें।
- ब्राह्मण और निर्धनों को भोजन: उद्यापन के अंत में, 11 या 21 ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराएं। उन्हें वस्त्र, गुड़, गेहूं, तांबे का बर्तन और दक्षिणा देकर आशीर्वाद प्राप्त करें। इसके बाद स्वयं व्रत खोलें और सूर्यदेव का आभार व्यक्त करें, जिससे जीवन में उन्नति और सुख-समृद्धि बनी रहे।
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रविवार व्रत के क्या नियम हैं? | Ravivar Vrat ke kya Niyam Hain?
रविवार व्रत के मुख्य नियम (Ravivar vrat rules) निम्नलिखित हैं:
- सूर्योदय से पूर्व स्नान एवं संकल्प: रविवार व्रत रखने वाले व्यक्ति को प्रातः जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। संकल्प में दिनभर संयम, नियम और पूजा-पाठ का पालन करने का संकल्प किया जाता है।
- नमक रहित या फलाहार भोजन: इस व्रत में कई लोग पूरे दिन उपवास रखते हैं, जबकि कुछ लोग नमक रहित या केवल फलाहार भोजन ग्रहण करते हैं। सात्विक भोजन करना चाहिए और तामसिक व मांसाहार भोजन से पूरी तरह बचना चाहिए।
- सूर्यदेव की विशेष पूजा: इस दिन सूर्यदेव की विशेष पूजा की जाती है। उन्हें जल में लाल फूल, गुड़ और अक्षत डालकर अर्घ्य देना चाहिए। साथ ही, आदित्य हृदय स्तोत्र, सूर्य चालीसा या सूर्य मंत्र का पाठ करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
- ब्राह्मण एवं जरूरतमंदों को दान: व्रती को इस दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन, वस्त्र, गुड़, गेहूं, तांबे के बर्तन आदि का दान करना चाहिए। यह दान सूर्यदेव को प्रसन्न करता है और व्यक्ति को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- सात्विक आचरण एवं नियमों का पालन: रविवार व्रत करने वाले व्यक्ति को क्रोध, छल-कपट, अपशब्दों और नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए। इस दिन पवित्रता बनाए रखते हुए भगवान सूर्य की उपासना करनी चाहिए और अपने मन, वचन एवं कर्म को शुद्ध रखना चाहिए।
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रविवार व्रत की कथा क्या है? | Ravivar Vrat ki katha kya Hai?
सूर्यदेव की कृपा: बुढ़िया और सोने की गाय की अनोखी कथा
प्राचीनकाल में एक नगर में एक वृद्धा निवास करती थी, जो अत्यंत श्रद्धालु और धर्मपरायण थी। प्रत्येक रविवार वह प्रातःकाल स्नानादि करके अपने आंगन को गोबर से लीपती, फिर सूर्यदेव की विधिपूर्वक पूजा कर उन्हें भोग अर्पित करती और तभी अन्न ग्रहण करती। किंतु उसके पास स्वयं की कोई गाय नहीं थी, इसलिए वह पड़ोसन की गाय का गोबर लाकर यह कार्य करती। वृद्धा की आस्था इतनी प्रबल थी कि सूर्यदेव की कृपा से उसके जीवन में कभी कोई कष्ट नहीं आया।
किन्तु पड़ोसन को वृद्धा का यह सुखमय जीवन सहन नहीं था। उसकी ईर्ष्या बढ़ती गई, और एक दिन रविवार को उसने अपनी गाय को अंदर बांध लिया ताकि वृद्धा को गोबर न मिल सके। बुढ़िया अपने नियम का पालन करने में असमर्थ रही और भूखी ही सो गई। उसी रात्रि, सूर्यदेव ने स्वप्न में प्रकट होकर उससे भोजन न करने का कारण पूछा। वृद्धा ने विनम्रता से अपनी विवशता बताई कि बिना आंगन लीपे वह पूजा नहीं कर सकती थी।
सूर्यदेव उसकी भक्ति से अति प्रसन्न हुए और वरदान स्वरूप उसे एक दिव्य गाय प्रदान की, जो न केवल उसकी आवश्यकताओं को पूरा करेगी, बल्कि समस्त मनोरथ भी सिद्ध करेगी। प्रातः जब वृद्धा ने अपने आंगन में एक सुंदर गाय और उसके बछड़े को खड़ा देखा, तो उसकी आंखें श्रद्धा से छलक उठीं। उसने पूरी भक्ति और सेवा-भाव से उस गाय की देखभाल शुरू कर दी।
पड़ोसन ने जब यह देखा, तो उसका क्रोध और ईर्ष्या और बढ़ गई। किंतु जब उसे पता चला कि वृद्धा की गाय सोने का गोबर देती है, तो वह लोभ से भर उठी। उसने एक चाल चली—जब वृद्धा घर पर नहीं होती, वह चुपके से सोने का गोबर उठा लेती और बदले में अपनी गाय का साधारण गोबर रख देती। इस प्रकार वह निरंतर सोने का संग्रह करती गई और शीघ्र ही धनवान बन गई।
सूर्यदेव यह सब देख रहे थे। उन्होंने इस छल को रोकने का उपाय सोचा और एक दिन संध्या समय नगर में तेज आंधी चला दी। वृद्धा ने घबराकर अपनी गाय को पहली बार आंगन में बांध दिया। अगले दिन जब उसने देखा कि गाय तो घर के भीतर भी सोने का गोबर दे रही थी, तो उसे पड़ोसन की चोरी का आभास हुआ। अब वृद्धा हर दिन अपनी गाय को भीतर ही रखने लगी, जिससे पड़ोसन का स्वार्थ सिद्ध न हो सका।
जब पड़ोसन को यह ज्ञात हुआ, तो वह अत्यंत क्रोधित हुई। उसने राजा के पास जाकर शिकायत कर दी कि वृद्धा के पास एक ऐसी चमत्कारी गाय है, जो सोने का गोबर देती है। राजा ने इस अद्भुत समाचार को सुनते ही अपने सैनिकों को आदेश दिया कि वे गाय को राजमहल ले आएं।
गाय को जब महल में लाया गया, तो सभी की उत्सुकता चरम पर थी। लेकिन जैसे ही गाय ने गोबर किया, वह साधारण नहीं बल्कि बदबूदार था, जिससे पूरा महल दूषित हो गया। राजा असमंजस में पड़ गया और उसी रात उसे स्वप्न में सूर्यदेव के दर्शन हुए। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह गाय केवल वृद्धा के लिए है क्योंकि वह सच्चे मन से मेरा व्रत करती है और श्रद्धापूर्वक मुझे भोग लगाती है।
प्रातः राजा ने तुरंत वृद्धा को बुलवाकर क्षमा मांगी और गाय को उसे लौटा दिया। साथ ही, उपहारस्वरूप उसे अपार धन भी प्रदान किया। इसके बाद राजा ने नगर में घोषणा करवाई कि अब से नगर के सभी निवासी प्रत्येक रविवार को सूर्यदेव का व्रत रखेंगे और उनकी विधिपूर्वक पूजा करेंगे। इस प्रकार, वृद्धा की निष्ठा ने संपूर्ण नगर को सूर्यदेव की कृपा का पात्र बना दिया।
Conclusion:-Ravivar Vrat Vidhi
हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (रविवार व्रत कब और कैसे करें) Ravivar Vrat Vidhi यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके पास किसी भी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद
FAQ’s:-Ravivar Vrat Vidhi
Q. रविवार व्रत किसके लिए किया जाता है?
Ans. रविवार व्रत सूर्यदेव की उपासना के लिए किया जाता है, ताकि जीवन में ऊर्जा, स्वास्थ्य और सफलता प्राप्त हो सके।
Q. रविवार व्रत करने से क्या लाभ होता है?
Ans. रविवार व्रत से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार, ऊर्जा का संचार और मानसिक शांति मिलती है। इसके साथ ही सफलता और आर्थिक समृद्धि भी बढ़ती है।
Q. रविवार व्रत में कौन सा आहार लिया जाता है?
Ans. रविवार व्रत में नमक रहित या फलाहार भोजन लिया जाता है, ताकि शरीर को शुद्ध रखा जा सके और व्रत का सही तरीके से पालन किया जा सके।
Q. रविवार व्रत की पूजा विधि क्या है?
Ans. रविवार व्रत में सूर्योदय से पहले स्नान करके सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए और उनके मंत्र का जाप करना चाहिए। साथ ही, सात्विक आहार का पालन करना चाहिए।
Q. रविवार व्रत में सूर्यदेव को किस प्रकार अर्घ्य देना चाहिए?
Ans. सूर्यदेव को तांबे के लोटे में जल, गुड़, अक्षत और लाल फूल मिलाकर अर्घ्य देना चाहिए, साथ ही “ॐ घृणिः सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए।
Q. रविवार व्रत के दिन किस वस्तु का दान करना चाहिए?
Ans. रविवार व्रत के दिन ब्राह्मणों और गरीबों को वस्त्र, गुड़, गेहूं, तांबे का बर्तन और दक्षिणा देना चाहिए ताकि सूर्यदेव की कृपा प्राप्त हो सके।