
गणेश चालीसा पढ़ने के फायदे (Ganesha Chalisa Padhne Ke Fayde): सनातन धर्म में भगवान गणेश (Bhagwan Ganesh) को विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता और बुद्धि एवं समृद्धि के अधिपति के रूप में पूजा जाता है। वे प्रथम पूज्य देव हैं, जिनका स्मरण किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले अनिवार्य माना जाता है। गणपति बाप्पा की भक्ति से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं और सौभाग्य, शांति व सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है। भक्तगण विशेष रूप से बुधवार और चतुर्थी के दिन उनकी उपासना में लीन रहते हैं। भगवान गणेश की महिमा का गुणगान करने वाला एक अत्यंत प्रभावशाली माध्यम है – गणेश चालीसा (Ganesh Chalisa)। यह चालीस छंदों वाला भक्ति गीत गणपति की लीलाओं, चमत्कारों और भक्तों पर उनकी कृपा को भावपूर्ण शब्दों में समेटता है।
इसका नियमित पाठ न केवल मानसिक शांति और आत्मबल प्रदान करता है, बल्कि जीवन से समस्त विघ्नों का नाश कर सफलता की राह आसान करता है। इस लेख में हम विस्तारपूर्वक बताएंगे कि गणेश चालीसा क्या है, इसके पाठ से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं, और क्यों यह चालीसा गणेश भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक संजीवनी मानी जाती है। साथ ही, हम आपके लिए गणेश चालीसा को हिंदी में संपूर्ण रूप से प्रस्तुत कर रहे हैं ताकि आप इसे सहजता से पढ़ सकें और इसका दिव्य फल प्राप्त कर सकें। इतना ही नहीं, लेख में हम आपको गणेश चालीसा का एक PDF फॉर्मेट भी साझा करेंगे, जिसे आप अपने मोबाइल या कंप्यूटर में डाउनलोड करके नित्य अथवा विशेष अवसरों पर श्रद्धापूर्वक इसका पाठ कर सकें।
यदि आप भगवान गणेश (Ganesh Chalisa Padhne Ke Fayde) की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं और अपने जीवन से विघ्न-बाधाओं का अंत कर सुख, सफलता और सौभाग्य की कामना करते हैं, तो यह लेख आपके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा! इसे अंत तक अवश्य पढ़ें…
श्री गणेश चालीसा क्या है? | Ganesh Chalisa kya Hai?
गणेश चालीसा (Bhagwan Ganesh) भगवान गणेश (Bhagwan Ganesh) की स्तुति में रचित एक भक्ति काव्य है। यह हिंदू धर्म में अत्यंत लोकप्रिय है और भक्त इसे गणपति की कृपा प्राप्त करने के लिए पढ़ते हैं। गणेश चालीसा का प्रारंभ दोहा से होता है, जिसमें गणेश जी की महिमा का वर्णन किया जाता है, इसके बाद चौपाइयों में उनके गुणों, शक्ति और कार्यों का बखान होता है। इसे संत तुलसीदास या किसी अन्य भक्त कवि द्वारा रचित माना जाता है। यह भक्ति, श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है, जो भक्तों को जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति दिलाने में सहायक मानी जाती है। गणेश चालीसा का पाठ करने से मन शांत होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह विशेष रूप से गणेश चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी या किसी शुभ कार्य की शुरुआत में पढ़ी जाती है। गणेश जी को विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता कहा जाता है, इसलिए इस चालीसा का महत्व और भी बढ़ जाता है।
श्री गणेश चालीसा पढ़ने के क्या फायदे हैं? | Ganesh Chalisa Padhne Ke Fayde Hain?
- बाधाओं से मुक्ति: गणेश चालीसा (Ganesh Chalisa Padhne Ke Fayde) का नियमित पाठ करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाएँ दूर होती हैं। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, इसलिए यह चालीसा पढ़ने से कार्यों में सफलता मिलती है और रुकावटें समाप्त होती हैं। यह भक्तों के लिए आध्यात्मिक शक्ति का स्रोत है।
- मन की शांति: गणेश चालीसा का नियमित पाठ मन को अद्भुत शांति और गहरी स्थिरता प्रदान करता है। इसके मंत्रों की शक्ति तनाव, चिंता और नकारात्मक सोच को दूर करके अंतर्मन को प्रकाश से भर देती है। जब इसे श्रद्धा और पूर्ण भक्ति भाव से पढ़ा जाता है, तो आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और जीवन के प्रति दृष्टिकोण सकारात्मकता से भर उठता है।
- बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि: गणेश जी बुद्धि के देवता हैं। उनकी चालीसा पढ़ने से बुद्धि तेज होती है और ज्ञान की प्राप्ति होती है। विद्यार्थियों के लिए यह विशेष रूप से लाभकारी है, क्योंकि इससे एकाग्रता बढ़ती है और पढ़ाई में सफलता मिलती है।
- शुभ कार्यों में सफलता: किसी भी नए कार्य की शुरुआत से पहले गणेश चालीसा पढ़ने से शुभ फल मिलते हैं। यह मंगलकारी होती है और कार्यों को निर्विघ्न पूरा करने में मदद करती है। भक्त इसे शुभता और समृद्धि का प्रतीक मानते हैं।
- आध्यात्मिक उन्नति: गणेश चालीसा का पाठ भक्ति और श्रद्धा को बढ़ाता है। यह भक्त को ईश्वर के करीब लाता है और आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने में सहायता करता है। नियमित पाठ से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
गणेश चालीसा पढ़ने के नियम क्या हैं | Ganesh Chalisa Padhne Ke Niyam kya Hain?
- शारीरिक और मानसिक शुद्धता: गणेश चालीसा (Bhagwan Ganesh) पढ़ने से पहले स्नान करके शुद्ध हो जाएँ और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मन को शांत रखें और भक्ति भाव से तैयार हों। यह शुद्धता पाठ को प्रभावशाली बनाती है और गणेश जी की कृपा प्राप्त करने में मदद करती है।
- शांत और पवित्र स्थान: चालीसा पढ़ने के लिए एक शांत, स्वच्छ और पवित्र स्थान चुनें, जहाँ कोई व्यवधान न हो। इससे मन एकाग्र रहता है और भक्ति में ध्यान केंद्रित होता है। मंदिर या पूजा कक्ष इसके लिए सबसे उत्तम स्थान माना जाता है।
- शुभ समय का चयन: गणेश चालीसा (Bhagwan Ganesh) का पाठ सुबह के समय या संकष्टी चतुर्थी जैसे शुभ दिन पर करें। यह समय गणेश जी की पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है और इससे पाठ का फल अधिक मिलता है।
- पूजा सामग्री का उपयोग: पाठ से पहले गणेश जी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक और धूप जलाएँ। फूल और प्रसाद चढ़ाएँ। यह वातावरण को पवित्र बनाता है और भक्ति भाव को बढ़ाने में सहायता करता है।
- श्रद्धा और स्पष्ट उच्चारण: चालीसा को पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ पढ़ें। शब्दों का उच्चारण स्पष्ट और सही करें, जल्दबाजी न करें। इससे गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है और पाठ का पूरा लाभ मिलता है|
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गणेश चालीसा हिंदी में | Ganesh Chalisa Hindi Mein
॥दोहा॥
जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥
अर्थ:-हे सद्गुणों के सदन भगवान श्री गणेश आपकी जय हो, कवि भी आपको कृपालु बताते हैं। आप कष्टों का हरण कर सबका कल्याण करते हो, माता पार्वती के लाडले श्री गणेश जी महाराज आपकी जय हो।
॥चौपाई॥
जय जय जय गणपति गणराजू। मंगल भरण करण शुभः काजू॥
जै गजबदन सदन सुखदाता। विश्व विनायका बुद्धि विधाता॥
वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना। तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥
राजत मणि मुक्तन उर माला। स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं। मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित। चरण पादुका मुनि मन राजित॥
धनि शिव सुवन षडानन भ्राता। गौरी लालन विश्व-विख्याता॥
ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे। मुषक वाहन सोहत द्वारे॥
अर्थ:-हे देवताओं के स्वामी, देवताओं के राजा, हर कार्य को शुभ व कल्याणकारी करने वाले भगवान श्री गणेश जी आपकी जय हो, जय हो, जय हो। घर-घर सुख प्रदान करने वाले हे हाथी से विशालकाय शरीर वाले गणेश भगवान आपकी जय हो। श्री गणेश आप समस्त विश्व के विनायक यानि विशिष्ट नेता हैं, आप ही बुद्धि के विधाता है बुद्धि देने वाले हैं। हाथी के सूंड सा मुड़ा हुआ आपका नाक सुहावना है पवित्र है। आपके मस्तक पर तिलक रुपी तीन रेखाएं भी मन को भा जाती हैं अर्थात आकर्षक हैं। आपकी छाती पर मणि मोतियां की माला है आपके शीष पर सोने का मुकुट है व आपकी आखें भी बड़ी बड़ी हैं। आपके हाथों में पुस्तक, कुठार और त्रिशूल हैं। आपको मोदक का भोग लगाया जाता है व सुगंधित फूल चढाए जाते हैं। पीले रंग के सुंदर वस्त्र आपके तन पर सज्जित हैं। आपकी चरण पादुकाएं भी इतनी आकर्षक हैं कि ऋषि मुनियों का मन भी उन्हें देखकर खुश हो जाता है। हे भगवान शिव के पुत्र व षडानन अर्थात कार्तिकेय के भ्राता आप धन्य हैं। माता पार्वती के पुत्र आपकी ख्याति समस्त जगत में फैली है। ऋद्धि-सिद्धि आपकी सेवा में रहती हैं व आपके द्वार पर आपका वाहन मूषक खड़ा रहता है।
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी। अति शुची पावन मंगलकारी॥
एक समय गिरिराज कुमारी। पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा। तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा॥
अतिथि जानी के गौरी सुखारी। बहुविधि सेवा करी तुम्हारी॥
अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा। मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला। बिना गर्भ धारण यहि काला॥
गणनायक गुण ज्ञान निधाना। पूजित प्रथम रूप भगवाना॥
अस कही अन्तर्धान रूप हवै। पालना पर बालक स्वरूप हवै॥
अर्थ:-हे प्रभु आपकी जन्मकथा को कहना व सुनना बहुत ही शुभ व मंगलकारी है। एक समय गिरिराज कुमारी यानि माता पार्वती ने पुत्र प्राप्ति के लिए भारी तप किया। जब उनका तप व यज्ञ अच्छे से संपूर्ण हो गया तो ब्राह्मण के रुप में आप वहां उपस्थित हुए। आपको अतिथि मानकार माता पार्वती ने आपकी अनेक प्रकार से सेवा की, जिससे प्रसन्न होकर आपने माता पार्वती को वर दिया। आपने कहा कि हे माता आपने पुत्र प्राप्ति के लिए जो तप किया है, उसके फलस्वरूप आपको बहुत ही बुद्धिमान बालक की प्राप्ति होगी और बिना गर्भ धारण किए इसी समय आपको पुत्र मिलेगा। जो सभी देवताओं का नायक कहलाएगा, जो गुणों व ज्ञान का निर्धारण करने वाला होगा और समस्त जगत भगवान के प्रथम रुप में जिसकी पूजा करेगा। इतना कहकर आप अंतर्धान हो गए व पालने में बालक के स्वरुप में प्रकट हो गए।
बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना। लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना॥
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं। नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं॥
शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं। सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा। देखन भी आये शनि राजा॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं। बालक, देखन चाहत नाहीं॥
अर्थ:-माता पार्वती के उठाते ही आपने रोना शुरु किया, माता पार्वती आपको गौर से देखती रही आपका मुख बहुत ही सुंदर था माता पार्वती में आपकी सूरत नहीं मिल रही थी। सभी मगन होकर खुशियां मनाने लगे नाचने गाने लगे। देवता भी आकाश से फूलों की वर्षा करने लगे। भगवान शंकर माता उमा दान करने लगी। देवता, ऋषि, मुनि सब आपके दर्शन करने के लिए आने लगे। आपको देखकर हर कोई बहुत आनंदित होता। आपको देखने के लिए भगवान शनिदेव भी आये। लेकिन वह मन ही मन घबरा रहे थे ( दरअसल शनि को अपनी पत्नी से श्राप मिला हुआ था कि वे जिस भी बालक पर मोह से अपनी दृष्टि डालेंगें उसका शीष धड़ से अलग होकर आसमान में उड़ जाएगा) और बालक को देखना नहीं चाह रहे थे।
गिरिजा कछु मन भेद बढायो। उत्सव मोर, न शनि तुही भायो॥
कहत लगे शनि, मन सकुचाई। का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ। शनि सों बालक देखन कहयऊ॥
पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा। बालक सिर उड़ि गयो अकाशा॥
अर्थ:-शनिदेव को इस तरह बचते हुए देखकर माता पार्वती नाराज हो गई व शनि को कहा कि आप हमारे यहां बच्चे के आने से व इस उत्सव को मनता हुआ देखकर खुश नहीं हैं। इस पर शनि भगवान ने कहा कि मेरा मन सकुचा रहा है, मुझे बालक को दिखाकर क्या करोगी? कुछ अनिष्ट हो जाएगा। लेकिन इतने पर माता पार्वती को विश्वास नहीं हुआ व उन्होंनें शनि को बालक देखने के लिए कहा। जैसे ही शनि की नजर बालक पर पड़ी तो बालक का सिर आकाश में उड़ गया।
गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी। सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी॥
हाहाकार मच्यौ कैलाशा। शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो। काटी चक्र सो गज सिर लाये॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो। प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे। प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे॥
अर्थ:-अपने शिशु को सिर विहिन देखकर माता पार्वती बहुत दुखी हुई व बेहोश होकर गिर गई। उस समय दुख के मारे माता पार्वती की जो हालत हुई उसका वर्णन भी नहीं किया जा सकता। इसके बाद पूरे कैलाश पर्वत पर हाहाकार मच गया कि शनि ने शिव-पार्वती के पुत्र को देखकर उसे नष्ट कर दिया। उसी समय भगवान विष्णु गरुड़ पर सवार होकर वहां पंहुचे व अपने सुदर्शन चक्कर से हाथी का शीश काटकर ले आये। इस शीष को उन्होंनें बालक के धड़ के ऊपर धर दिया। उसके बाद भगवान शंकर ने मंत्रों को पढ़कर उसमें प्राण डाले। उसी समय भगवान शंकर ने आपका नाम गणेश रखा व वरदान दिया कि संसार में सबसे पहले आपकी पूजा की जाएगी। बाकि देवताओं ने भी आपको बुद्धि निधि सहित अनेक वरदान दिये।
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा। पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा॥
चले षडानन, भरमि भुलाई। रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें। तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥
धनि गणेश कही शिव हिये हरषे। नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥
अर्थ:– जब भगवान शंकर ने कार्तिकेय व आपकी बुद्धि परीक्षा ली तो पूरी पृथ्वी का चक्कर लगा आने की कही। आदेश होते ही कार्तिकेय तो बिना सोचे विचारे भ्रम में पड़कर पूरी पृथ्वी का ही चक्कर लगाने के लिए निकल पड़े, लेकिन आपने अपनी बुद्धि लड़ाते हुए उसका उपाय खोजा। आपने अपने माता पिता के पैर छूकर उनके ही सात चक्कर लगाये। इस तरह आपकी बुद्धि व श्रद्धा को देखकर भगवान शिव बहुत खुश हुए व देवताओं ने आसमान से फूलों की वर्षा की।
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई। शेष सहसमुख सके न गाई॥
मैं मतिहीन मलीन दुखारी। करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा। जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा॥
अब प्रभु दया दीना पर कीजै। अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥
अर्थ:-हे भगवान श्री गणेश आपकी बुद्धि व महिमा का गुणगान तो हजारों मुखों से भी नहीं किया जा सकता। हे प्रभु मैं तो मूर्ख हूं, पापी हूं, दुखिया हूं मैं किस विधि से आपकी विनय आपकी प्रार्थना करुं। हे प्रभु आपका दास रामसुंदर आपका ही स्मरण करता है। इसकी दुनिया तो प्रयाग का ककरा गांव हैं जहां पर दुर्वासा जैसे ऋषि हुए हैं। हे प्रभु दीन दुखियों पर अब दया करो और अपनी शक्ति व अपनी भक्ति देनें की कृपा करें।
॥दोहा॥
श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान।
नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान॥
सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ती गणेश॥
अर्थ:-श्री गणेश की इस चालीसा का जो ध्यान से पाठ करते हैं। उनके घर में हर रोज सुख शांति आती रहती है उसे जगत में अर्थात अपने समाज में प्रतिष्ठा भी प्राप्त होती है। सहस्त्र यानि हजारों संबंधों का निर्वाह करते हुए
गणेश चालीसा पीडीएफ डाउनलोड | Ganesh Chalisa PDF download
इस विशेष लेख के जरिए हम आपको गणेश चालीसा (Ganesh Chalisa) हिंदी में पीडीएफ के जरिए साझा कर रहे हैं। अगर आप चाहें तो इस पीडीएफ को डाउनलोड करके गणेश चालीसा को सरलता पूर्वक हिंदी में पढ़ सकते हैं।
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श्री गणेश चालीसा PDF Download | View ChalisaConclusion:- Ganesh Chalisa Padhne Ke Fayde
हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (गणेश चालीसा पढ़ने के फायदे) Ganesh Chalisa Padhne Ke Fayde यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके पास किसी भी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद
FAQ’s :-Ganesh Chalisa Padhne Ke Fayde
Q. गणेश चालीसा क्या है?
Ans. गणेश चालीसा (Ganesh Chalisa) भगवान गणेश (Bhagwan Ganesh) की स्तुति में रचित एक भक्ति काव्य है, जिसे भक्त विघ्नों को दूर करने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पढ़ते हैं।
Q. गणेश चालीसा का पाठ कब किया जाता है?
Ans. यह प्रायः गणेश चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी या किसी शुभ कार्य की शुरुआत में पढ़ी जाती है।
Q. गणेश चालीसा पढ़ने से क्या लाभ होता है?
Ans. इससे जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं, मन शांत होता है, और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
Q. गणेश चालीसा किस शैली में लिखी गई है?
Ans. इसका प्रारंभ दोहा से होता है, और फिर चौपाइयों में भगवान गणेश की महिमा का विस्तार किया गया है।
Q. गणेश चालीसा पढ़ने से विद्यार्थियों को क्या लाभ होता है?
Ans. यह बुद्धि और एकाग्रता बढ़ाने में सहायक होती है, जिससे पढ़ाई में सफलता मिलती है।
Q. गणेश चालीसा पढ़ने के लिए क्या नियम हैं?
Ans. पाठ से पहले स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें, शांत स्थान पर बैठें, और श्रद्धा के साथ स्पष्ट उच्चारण करें।