
महाशिवरात्रि 2025 तिथि एवं पूजा मुहूर्त (Maha Shivaratri 2025): महाशिवरात्रि Maha Shivaratri), जिसे भगवान शिव की आराधना का विशेष पर्व माना जाता है, हर साल भक्तों द्वारा श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि आत्मिक शुद्धि और ध्यान का भी प्रतीक है। 2025 में महाशिवरात्रि का उत्सव विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन की पूजा विधि और मुहूर्त भक्तों के लिए विशेष फलदायी माने जाते हैं।
इस लेख में हम महाशिवरात्रि के महत्व, 2025 Maha Shivaratri 2025 में इसकी तिथि और पूजा के सही मुहूर्त के बारे में विस्तार से जानेंगे, ताकि आप इस पावन अवसर का सही लाभ उठा सकें। महाशिवरात्रि का पर्व भारतीय संस्कृति में एक अद्वितीय स्थान रखता है, जो न केवल भगवान शिव के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने और आत्मिक उन्नति का अवसर भी प्रदान करता है। इस दिन भक्तजन उपवास रखते हैं, रातभर जागकर शिव की आराधना करते हैं और विभिन्न अनुष्ठान करते हैं। 2025 में महाशिवरात्रि का पर्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन की पूजा विधि और मुहूर्त भक्तों के लिए विशेष फलदायी माने जाते हैं।
इस लेख में हम जानेंगे कि महाशिवरात्रि क्या होती है, 2025 में यह कब मनाई जाएगी, और इस दिन के सभी प्रहर के पूजा मुहूर्त क्या होंगे। आइए, इस दिव्य पर्व की गहराई में उतरें और जानें कि कैसे आप इस महापर्व का हिस्सा बन सकते हैं…..
महाशिवरात्रि क्या होती है | Maha Shivratri kya Hoti Hai
महाशिवरात्रि (Maha Shivaratri) हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे भगवान शिव और माता पार्वती के दिव्य मिलन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया था और इसी दिन शिवलिंग का प्राकट्य भी हुआ था। यह पर्व शिवभक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इसे भगवान शिव की आराधना और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का पवित्र अवसर माना जाता है।
महाशिवरात्रि (Maha Shivaratri) पर दिनभर व्रत रखा जाता है और रात्रि के चार प्रहरों में विशेष पूजा की जाती है। भक्त शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद और बेलपत्र अर्पित करते हैं। साथ ही, ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप किया जाता है। इस दिन निशिता काल में पूजा करने का विशेष महत्व है, क्योंकि यह समय भगवान शिव की कृपा पाने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। महाशिवरात्रि आत्मशुद्धि, साधना, और शिव भक्ति का पर्व है, जो जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति लाता है।
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महाशिवरात्रि 2025 कब है | Maha Shivratri 2025 kab Hai

पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी 2025 को प्रातः 11:08 बजे आरंभ होकर 27 फरवरी 2025 को प्रातः 8:54 बजे समाप्त होगी। इसी दिन महाशिवरात्रि का पावन पर्व मनाया जाएगा। इस अवसर पर निशिता काल पूजा का विशेष महत्व होता है, जो रात्रि के मध्य समय में की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस पूजा में भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करने से अद्भुत फल प्राप्त होते हैं। महाशिवरात्रि का यह शुभ अवसर भक्तों को भगवान शिव की कृपा पाने और अपने जीवन को शुद्ध व पवित्र बनाने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध, और बेलपत्र चढ़ाकर विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
महाशिवरात्रि 2025 पूजा मुहूर्त | Maha Shivaratri 2025 Puja Muhurat
पूजा काल | शुभ मुहूर्त का समय |
निशिता काल पूजा | 12:09 AM से 12:59 AM (27 फरवरी) |
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा | 06:19 PM से 09:26 PM (26 फरवरी) |
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा | 09:26 PM से 12:34 AM (27 फरवरी) |
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Conclusion:-Maha Shivaratri 2025
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FAQ’s:-Maha Shivaratri 2025
Q. महाशिवरात्रि 2025 कब मनाई जाएगी?
Ans. महाशिवरात्रि 2025 का पर्व 26 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा, क्योंकि चतुर्दशी तिथि इसी दिन प्रातः 11:08 बजे आरंभ होगी।
Q. महाशिवरात्रि का धार्मिक महत्व क्या है?
Ans. यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के दिव्य मिलन का प्रतीक है और इसे भगवान शिव की कृपा पाने का पवित्र अवसर माना जाता है।
Q. महाशिवरात्रि की पूजा में किस काल का विशेष महत्व है?
Ans. निशिता काल पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि यह रात्रि के मध्य समय में होती है और अत्यंत शुभ मानी जाती है।
Q. महाशिवरात्रि 2025 में निशिता काल पूजा का समय क्या है?
Ans. निशिता काल पूजा का शुभ समय 27 फरवरी 2025 को रात्रि 12:09 बजे से 12:59 बजे तक है।
Q. महाशिवरात्रि पर भक्त कौन-कौन से अनुष्ठान करते हैं?
Ans. भक्त व्रत रखते हैं, रातभर जागकर भगवान शिव की आराधना करते हैं और शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, और बेलपत्र चढ़ाते हैं।
Q. महाशिवरात्रि का पर्व क्यों मनाया जाता है?
Ans. यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह तथा शिवलिंग के प्राकट्य की स्मृति में मनाया जाता है।