
गंगा सप्तमी 2025 (Ganga Saptami 2025): गंगा सप्तमी (Ganga Saptami) का पर्व हर वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार इसी दिन मां गंगा का अवतार धरती पर हुआ था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि गंगा सप्तमी का हिन्दू धर्म में इतना अधिक महत्व क्यों है? आखिर इस दिन को “गंगा जन्मोत्सव” क्यों कहा जाता है? गंगा सप्तमी 2025 में कब पड़ रही है, और इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व क्या है? सबसे अहम सवाल! क्या आपको पता है कि गंगा सप्तमी के दिन गंगा नदी में कौन-कौन सी चीजें भूलकर भी नहीं डालनी चाहिए, ताकि आपके ऊपर पाप न चढ़े? अगर नहीं, तो यह लेख आपके लिए है! हिन्दू धर्म में गंगा को केवल एक नदी नहीं, बल्कि देवी का स्वरूप माना जाता है।
यही कारण है कि गंगा सप्तमी का दिन आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान से सभी पापों का नाश होता है, लेकिन कई लोग अनजाने में ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जो पुण्य के बजाय पाप का कारण बन जाती हैं। अगर आप भी गंगा सप्तमी पर गंगा स्नान की योजना बना रहे हैं, तो यह जानना जरूरी है कि इस दिन किन वस्तुओं को गंगा जल में प्रवाहित करने से बचना चाहिए।
इस लेख में हम गंगा सप्तमी के महत्व, 2025 की तिथि, और उन गलतियों पर विस्तार से चर्चा करेंगे, जो इस दिन भूलकर भी नहीं करनी चाहिए…….
गंगा सप्तमी क्या है? | Ganga Saptami kya Hai?
गंगा सप्तमी (Ganga Saptami) का पर्व हर वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था, जिसे गंगा जयंती भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव (Bhagwan Shiv) ने गंगा के वेग को नियंत्रित करने के लिए उन्हें अपनी जटाओं में धारण किया था। इस दिन भक्तगण गंगा नदी में स्नान करते हैं, पूजा करते हैं और दान करते हैं। गंगा सप्तमी पर मां गंगा के 108 नामों का जाप करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और पापों से मुक्ति मिलती है। यह दिन श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। गंगा सप्तमी का पर्व भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है।
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गंगा सप्तमी 2025 कब है? | Ganga Saptami 2025 kab Hai?
गंगा सप्तमी 2025 (Ganga Saptami 2025) में 3 मई, शनिवार को मनाई जाएगी। यह पर्व हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को आता है। भक्तजन इस दिन गंगा स्नान करते हैं और गंगा माता की आराधना करते हैं। गंगा सप्तमी का आयोजन विशेष रूप से प्रयाग, हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे तीर्थ स्थलों पर धूमधाम से किया जाता है। इस दिन का पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10:58 बजे से दोपहर 1:38 बजे तक रहेगा।
गंगा सप्तमी के दिन गंगा में क्या नहीं डालना चाहिए? | Ganga Saptami ke Din Ganga Mein kya Nahi Dalna Chahiye?
1. पूजा सामग्री (Puja Samagri)
गंगा सप्तमी के दिन पूजा में अशुद्ध या अयोग्य सामग्री का उपयोग नहीं करना चाहिए। केतकी या चम्पा के फूल, सड़े हुए फल, या बासी जल अर्पित करना वर्जित माना जाता है। मान्यता है कि ऐसी सामग्री देवी गंगा की पूजा में अपवित्रता लाती है। केवल ताजे फूल, शुद्ध जल, और सात्विक वस्तुएं (जैसे तुलसी) ही प्रयोग करें। पूजा की शुद्धता पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है।
2. धातुएं (Metals)
इस दिन लोहे या अन्य अशुद्ध धातुओं के बर्तनों में भोजन या पूजा सामग्री रखने से बचें। मान्यता है कि लोहा नकारात्मक ऊर्जा का संवाहक होता है। पूजा के लिए तांबे, पीतल, या मिट्टी के पात्र उपयुक्त माने जाते हैं। धातुओं का गलत चयन पूजा के प्रभाव को कम कर सकता है।
3. अस्थियां (Ashes)
गंगा सप्तमी पर अस्थियों का विसर्जन या उन्हें छूना अशुभ माना जाता है। इस दिन गंगा में श्रद्धांजलि कर्म (जैसे अस्थि विसर्जन) नहीं किए जाते, क्योंकि यह देवी गंगा के जन्मोत्सव को समर्पित है। अस्थियों से जुड़े कर्मकांड अन्य दिनों के लिए छोड़ दिए जाते हैं।
4. चमड़े की वस्तुएं (Leather Items)
इस दिन चमड़े से बनी वस्तुएं (जूते, बेल्ट, बैग) धारण करने या उपयोग करने से परहेज करें। चमड़ा पशु उत्पाद है, जिसे अशुद्ध और तामसिक माना जाता है। पूजा के समय शुद्धता बनाए रखने के लिए सूती या रेशमी वस्त्र पहनना उचित है।
5. तामसिक भोजन (Non-Vegetarian Food)
मांसाहार, अंडे, लहसुन, प्याज, या मदिरा का सेवन वर्जित है। ये तामसिक माने जाते हैं और आध्यात्मिक ऊर्जा को प्रभावित करते हैं। इस दिन सात्विक भोजन (दूध, फल, घी) ग्रहण करने से मन शुद्ध रहता है और पूजा का पूर्ण लाभ मिलता है।
6. रासायनिक रंग और गुलाल (Chemical colours and colours)
गंगा में रंग, गुलाल या कोई अन्य रासायनिक पदार्थ प्रवाहित करना वर्जित माना गया है। यह जल को प्रदूषित करता है और जलीय जीवों के लिए हानिकारक होता है। यदि पूजा में उपयोग किए गए रंग या गुलाल बचे हों, तो उन्हें पेड़-पौधों की जड़ों में डाल देना चाहिए या उचित तरीके से नष्ट करना चाहिए।
7. अनाज और खाद्य सामग्री (Cereals and food stuffs)
इस दिन गंगा में चावल, गेहूं, आटा, मिठाई या अन्य खाद्य पदार्थ प्रवाहित करना वर्जित होता है। धार्मिक दृष्टि से यह अन्न का अपमान माना जाता है और इससे देवी अन्नपूर्णा की कृपा बाधित हो सकती है। यदि किसी को अन्न दान करना हो, तो जरूरतमंदों को देना अधिक शुभ होता है।
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Conclusion:-Ganga Saptami ke Din Ganga Mein kya Nahi Dalna Chahiye
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FAQ’s:-Ganga Saptami ke Din Ganga Mein kya Nahi Dalna Chahiye
Q. गंगा सप्तमी कब मनाई जाती है?
Ans. गंगा सप्तमी हर वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। इसे गंगा जयंती भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन मां गंगा का अवतरण हुआ था।
Q. गंगा सप्तमी 2025 में कब मनाई जाएगी?
Ans. गंगा सप्तमी 2025 में 3 मई, शनिवार को मनाई जाएगी। इस दिन गंगा स्नान,पूजा और दान करने का विशेष महत्व होता है।
Q. गंगा सप्तमी के दिन गंगा में कौन-सी पूजा सामग्री नहीं डालनी चाहिए?
Ans. केतकी या चंपा के फूल, सड़े हुए फल और बासी जल गंगा में नहीं डालना चाहिए। इससे पूजा में अशुद्धि आ सकती है।
Q. गंगा सप्तमी पर किन धातुओं का उपयोग पूजा में नहीं करना चाहिए?
Ans. लोहे और अन्य अशुद्ध धातुओं का प्रयोग वर्जित है। पूजा के लिए तांबा, पीतल या मिट्टी के पात्र उपयुक्त माने जाते हैं।
Q. गंगा सप्तमी पर अस्थियों का विसर्जन क्यों नहीं किया जाता?
Ans. इस दिन मां गंगा के जन्मोत्सव का पर्व होता है, इसलिए अस्थि विसर्जन नहीं किया जाता। यह कर्म अन्य शुभ तिथियों पर किया जाता है।
Q. गंगा सप्तमी के दिन चमड़े की वस्तुएं क्यों नहीं पहननी चाहिए?
Ans. चमड़ा तामसिक और अशुद्ध माना जाता है, इसलिए इस दिन चमड़े की वस्तुएं पहनने या उपयोग करने से बचना चाहिए।