
प्रयागराज महाकुंभ में Prayagraj Mahakumbh Stampede संगम तट मंगलवार और बुधवार की आधी रात को हुई भगदड़ में 35 से 40 लोग मारे गए हैं। 144 वर्षों बाद आयोजित होने वाला प्रयागराज महाकुंभ देश-विदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु इस भव्य आयोजन का हिस्सा बन रहे हैं। 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर करोड़ों लोगों की भीड़ संगम स्नान के लिए उमड़ी। भीड़ को देखकर पहले ही अनहोनी की आशंका जताई जा रही थी, और दुर्भाग्यवश वही हुआ। रात करीब 1 बजे संगम नोज पर भारी भीड़ के कारण भगदड़ मच गई, जिसमें 30 लोगों की मौत हो गई और 90 से अधिक लोग घायल हो गए।
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हादसा कैसे हुआ?
इस महाकुंभ में हुई भगदड़ के कारणों की जांच की जा रही है। महाकुंभनगर के डीआईजी वैभव कृष्ण के अनुसार, यह घटना अखाड़ा मार्ग पर अत्यधिक भीड़ के कारण हुई। बैरिकेड्स टूटने के कारण लोग नियंत्रण खो बैठे और श्रद्धालु एक-दूसरे पर गिरने लगे। पवित्र ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने की इच्छा रखने वाले श्रद्धालु घाटों पर पहले से ही मौजूद थे, लेकिन जब अचानक भीड़ ने धक्का-मुक्की शुरू की, तो भगदड़ मच गई।
महाकुंभ में भगदड़: पहले भी हो चुके हैं बड़े हादसे
यह पहली बार नहीं है जब कुंभ के दौरान इस तरह की भगदड़ हुई हो। इससे पहले भी कई बार आस्था का यह सबसे बड़ा आयोजन हादसों का गवाह बन चुका है। आइए जानते हैं कि कब-कब कुंभ मेले में ऐसी घटनाएं घटी हैं—
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1954: स्वतंत्र भारत में पहला कुंभ और सबसे बड़ा हादसा
आजादी के बाद 1954 में स्वतंत्र भारत का पहला कुंभ प्रयागराज में आयोजित किया गया था। इस दौरान लाखों श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंचे थे, लेकिन भीड़ नियंत्रण में नहीं रही। अत्यधिक भीड़ और अव्यवस्था के कारण मची भगदड़ में लगभग 800 लोगों की मौत हो गई थी। यह कुंभ के इतिहास की सबसे बड़ी दुर्घटनाओं में से एक मानी जाती है।
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1986 और 2003: हरिद्वार और नासिक में हादसे
साल 1986 में हरिद्वार में आयोजित कुंभ मेले के दौरान भगदड़ मची, जिसमें 200 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। इसके बाद, साल 2003 में नासिक कुंभ में भी इसी तरह की घटना सामने आई।
2013: प्रयागराज कुंभ में फिर से दर्दनाक हादसा
प्रयागराज कुंभ के दौरान 2013 में भी एक बड़ा हादसा हुआ था। कुंभ क्षेत्र में तो भगदड़ मची ही, लेकिन सबसे बड़ा हादसा प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर हुआ, जहां प्लेटफॉर्म पर भीड़ बढ़ने से 42 लोगों की मौत हो गई थी।
2025 महाकुंभ: इतिहास दोहराया गया
2025 महाकुंभ के दौरान भगदड़ Prayagraj Mahakumbh Stampede की भयावह तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं, जो बेहद दुखद और झकझोर देने वाली हैं। रात करीब 1 बजे जब श्रद्धालु घाट की ओर बढ़ रहे थे, तभी बैरिकेडिंग के पास सो रहे लोग भीड़ के दबाव में गिर पड़े। इसके बाद पीछे से आ रही भीड़ बेकाबू हो गई और एक-दूसरे के ऊपर गिरती चली गई। इस दर्दनाक हादसे में अब तक 17 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
महाकुंभ में जाने से पहले इन सावधानियों को रखें ध्यान
- महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन में अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना आवश्यक है—
- स्नान के लिए वही दिन चुनें जब अपेक्षाकृत कम भीड़ हो।
- शाही स्नान के दो दिन पहले और दो दिन बाद जाने से बचें, क्योंकि इन दिनों सबसे अधिक भीड़ होती है।
- वाहनों की कमी और पैदल यात्रा की परेशानी को ध्यान में रखते हुए पहले से पूरी योजना बनाएं।
- संगम नोज पर ही स्नान करने की जिद न करें। जहां जगह मिले, वहीं स्नान करके वापस लौट जाएं।
- यदि मंदिरों में भारी भीड़ हो, तो किसी अन्य दिन दर्शन के लिए आएं।
निष्कर्ष
महाकुंभ न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत और आस्था का प्रतीक भी है। लेकिन बार-बार होने वाली भगदड़ की घटनाएं यह सवाल उठाती हैं कि क्या इतनी बड़ी भीड़ को संभालने के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई थी? श्रद्धालुओं को भी अपनी सुरक्षा का विशेष ध्यान रखना चाहिए, ताकि आस्था का यह महापर्व किसी त्रासदी में न बदल जाए।
FAQ’s:-Prayagraj Mahakumbh Stampede
Q. प्रयागराज महाकुंभ 2025 में भगदड़ कब और कहां हुई?
Ans. 29 जनवरी की रात करीब 1 बजे संगम नोज पर भारी भीड़ के कारण भगदड़ मच गई, जिसमें 30 लोगों की मौत और 90 से अधिक लोग घायल हो गए।
Q. 2025 महाकुंभ में भगदड़ का मुख्य कारण क्या था?
Ans. बैरिकेड्स टूटने और भीड़ के नियंत्रण से बाहर होने के कारण श्रद्धालु एक-दूसरे पर गिरने लगे, जिससे भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई।
Q. 1954 के कुंभ मेले में भगदड़ से कितने लोगों की मौत हुई थी?
Ans. 1954 के प्रयागराज कुंभ में मची भगदड़ में लगभग 800 लोगों की मौत हो गई थी, जो कुंभ के इतिहास की सबसे बड़ी दुर्घटनाओं में से एक मानी जाती है।
Q. 2013 प्रयागराज कुंभ में भगदड़ कहां हुई थी?
Ans. 2013 के कुंभ मेले में सबसे बड़ा हादसा प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर हुआ था, जहां प्लेटफॉर्म पर भीड़ बढ़ने से 42 लोगों की मौत हो गई थी।
Q. हरिद्वार और नासिक कुंभ में कब भगदड़ हुई थी?
Ans. 1986 में हरिद्वार कुंभ में और 2003 में नासिक कुंभ में भगदड़ मची थी, जिनमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई थी।
Q. महाकुंभ में जाने से पहले किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए?
Ans. कम भीड़ वाले दिन स्नान करें, शाही स्नान के दिनों से बचें, पूरी यात्रा की योजना बनाएं, और संगम नोज पर ही स्नान करने की जिद न करें।