
Yogini Ekadashi 2025: भारतीय संस्कृति में व्रत और त्योहारों का अत्यधिक महत्व है, क्योंकि ये हमें भगवान के प्रति आस्था और भक्ति को सशक्त करने का मार्ग दिखाते हैं। प्रत्येक माह में अनेक एकादशी व्रत होते हैं, जिनमें से योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) एक विशेष व्रत है, जो आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है।
इस वर्ष, यह पावन पर्व 21 जून 2025 को आयेगा। योगिनी एकादशी का व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी पापों का नाश होता है और भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही, इस व्रत के पुण्य से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के समान पुण्य फल मिलता है। कहा जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से किसी भी दिए हुए श्राप का भी निवारण हो जाता है, जिससे भक्त को जीवन में शांति और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
आइए, हम जानते हैं योगिनी एकादशी व्रत से जुड़ी कुछ दिव्य और रोचक बातें, जो हमें इस पावन व्रत की महानता को समझने में मदद करेंगी। इस लेख में हम योगिनी एकादशी की कथा, महत्व, पूजा विधि और व्रत के नियमों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। साथ ही, हम जानेंगे कि इस व्रत को करने से भक्त को कौन-कौन से आशीर्वाद और लाभ मिलते हैं।
तो चलिए, इस दिव्य व्रत की अद्भुत यात्रा की शुरुआत करते हैं…
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प्रदोष व्रत 2025 लिस्ट | List of Pradosh Vrat in 2025
प्रदोष व्रत जनवरी 2025 (Pradosh Vrat January 2025)
11 जनवरी 2025 | शनिवार | शनि प्रदोष व्रत |
27 जनवरी 2025 | सोमवार | सोम प्रदोष व्रत |
प्रदोष व्रत फरवरी 2025 (Pradosh Vrat Feb 2025)
9 फरवरी 2025 | रविवार | रवि प्रदोष व्रत |
25 फरवरी 2025 | मंगलवार | भौम प्रदोष व्रत |
प्रदोष व्रत मार्च 2025 (Pradosh Vrat March 2025)
11 मार्च 2025 | मंगलवार | भौम प्रदोष व्रत |
27 मार्च 2025 | बृहस्पतिवार | गुरु प्रदोष व्रत |
प्रदोष व्रत अप्रैल 2025 (Pradosh Vrat April 2025)
10 अप्रैल 2025 | बृहस्पतिवार | गुरु प्रदोष व्रत |
25 अप्रैल 2025 | शुक्रवार | शुक्र प्रदोष व्रत |
प्रदोष व्रत मई 2025 (Pradosh Vrat May 2025)
09 मई 2025 | शुक्रवार | शुक्र प्रदोष व्रत |
24 मई 2025 | शनिवार | शनि प्रदोष व्रत |
प्रदोष व्रत जून 2025 (Pradosh Vrat June 2025)
08 जून 2025 | रविवार | रवि प्रदोष व्रत |
23 जून 2025 | सोमवार | सोम प्रदोष व्रत |
प्रदोष व्रत जुलाई 2025 (Pradosh Vrat July 2025)
08 जुलाई 2025 | मंगलवार | भौम प्रदोष व्रत |
22 जुलाई 2025 | मंगलवार | भौम प्रदोष व्रत |
प्रदोष व्रत अगस्त 2025 (Pradosh Vrat August 2025)
06 अगस्त 2025 | बुधवार | बुध प्रदोष व्रत |
20 अगस्त 2025 | बुधवार | बुध प्रदोष व्रत |
प्रदोष व्रत सितम्बर 2025 (Pradosh Vrat September 2025)
05 सितम्बर 2025 | शुक्रवार | शुक्र प्रदोष व्रत |
19 सितम्बर 2025 | शुक्रवार | शुक्र प्रदोष व्रत |
प्रदोष व्रत अक्टूबर 2025 (Pradosh Vrat October 2025)
04 अक्टूबर 2025 | शनिवार | शनि प्रदोष व्रत |
18 अक्टूबर 2025 | शनिवार | शनि प्रदोष व्रत |
प्रदोष व्रत नवम्बर 2025 (Pradosh Vrat November 2025)
03 नवम्बर 2025 | सोमवार | सोम प्रदोष व्रत |
17 नवम्बर 2025 | सोमवार | सोम प्रदोष व्रत |
प्रदोष व्रत दिसम्बर 2025 (Pradosh Vrat December 2025)
02 दिसम्बर 2025 | मंगलवार | भौम प्रदोष व्रत |
07 दिसम्बर 2025 | बुधवार | बुध प्रदोष व्रत |
Table Of Content
S.NO | प्रश्न |
1 | योगिनी एकादशी व्रत |
2 | योगिनी एकादशी कब है |
3 | क्या है योगिनी एकादशी |
4 | योगिनी एकादशी का महत्व |
5 | योगिनी एकादशी पारण समय |
योगिनी एकादशी व्रत । Yogini Ekadashi Fast
योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) एक पवित्र दिवस है, जो भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की उपासना के लिए समर्पित है। इस दिन का पालन करने वाले व्यक्ति को अपने ग्यारह इंद्रियों को नियंत्रित करना होता है। व्रत की कथा राजा कुबेर और उनके माली हेम के आधार पर होती है, जिन्होंने अपनी पत्नी के प्रति गहरी प्रेम भावना के कारण पूजा के फूल लाने में देरी कर दी थी। इसके परिणामस्वरूप, कुबेर ने हेम पर शाप दिया, जिससे वह अपनी पत्नी से अलग हो गया और मनुष्य लोक में वृक्ष के रूप में पुनर्जीवित हुआ। अपने दुख को साझा करने के बाद, मार्कंडेय ऋषि ने हेम को योगिनी एकादशी व्रत का पालन करने का उपदेश दिया, जिससे वह अपने पापों से मुक्त हुआ और शाप से मुक्त हो गया।

योगिनी एकादशी कब है । Yogini Ekadashi kab Hai
हिंदू कैलेंडर के आषाढ़ महीने में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि भगवान विष्णु के पांचवे अवतार, भगवान वामन, को समर्पित होती है और इसे योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के भक्तों द्वारा किया जाने वाला व्रत या उपवास योगिनी एकादशी व्रत कहलाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, यह दिन हर साल जून-जुलाई में आता है।
योगिनी एकादशी 2025 में 21 जून, शनिवार को है। इस दिन एकादशी तिथि का आरंभ 21 जून को सुबह 7:19 बजे होगा, और यह तिथि 22 जून को सुबह 4:28 बजे समाप्त होगी। पारण का समय 22 जून को दोपहर 1:49 बजे से शाम 4:30 बजे तक रहेगा। आयोजन में अभी 7 महीने बाकी हैं।
योगिनी एकादशी क्या है । Yogini Ekadashi Kya Hai
योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi), हिंदुओं का पावन त्योहार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तारीख को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है और व्रत रखने से धन, सुख और आरोग्य मिलने का वादा किया जाता है। 2025 में योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) 21 जून को शुरू होगी और 22 जून को पारणा अनुष्ठान किया जाएगा।
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योगिनी एकादशी का महत्व । Yogini Ekadashi Significance
योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) का महत्व दो मुख्य बिंदुओं में बताया जा सकता है:
पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति: योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) का व्रत सभी पापों को दूर करने वाला माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस व्रत का फल 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर है। यह एकादशी तीनों लोकों में प्रसिद्ध है और श्री लक्ष्मी-विष्णु जी के पूजन के लिए विशेष महत्व रखती है। योगिनी एकादशी न केवल परलोक में मुक्ति दिलाती है, बल्कि सभी प्रकार के उपद्रव, दरिद्रता और पापों का नाश करने वाली मानी गई है।
मनोकामनाओं की पूर्ति और श्राप से मुक्ति: योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) का व्रत सभी तरह की मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माना जाता है। इस व्रत के प्रभाव से किसी के दिए हुए श्राप का भी निवारण हो जाता है। व्रत कथा के अनुसार हेम माली को कुबेर के श्राप से कोढ़ हो गया था, लेकिन योगिनी एकादशी का व्रत करने से वह श्राप से मुक्त हो गया। इस प्रकार यह व्रत आध्यात्मिक और भौतिक दोनों प्रकार की समस्याओं का निवारण करने में सहायक है।
योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) का व्रत व्यक्ति को पापों से मुक्ति दिलाकर मोक्ष की ओर ले जाता है और उसकी मनोकामनाओं को पूरा करता है। यह व्रत श्री विष्णु और लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त करने का एक शक्तिशाली साधन है।
योगिनी एकादशी पारण समय । Yogini Ekadashi Parana Time
योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi), जो हिन्दू धर्म में श्री नारायण की पूजा के लिए महत्वपूर्ण होती है, 2025 में 21 जून को मनाई जाएगी। इस व्रत की प्रधानता तिथि 21 जून, सुबह 7:19 बजे शुरू होगी, और 22 जून, सुबह 4:28 बजे, समाप्त होगी। योगिनी एकादशी का पारण, जो व्रत का समापन सूचक होता है, 22 जून 2025 को किया जाएगा। पारण समय, जिसे व्रत तोड़ने का समय भी कहा जाता है, वह 22 जून, दोपहर 1:49 बजे – शाम 4:30 बजे तक होगा।
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Conclusion
योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) व्रत का महत्व हिन्दू धर्म में अत्यंत ही गहरा है। पुराणों के अनुसार इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और अंत में उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) के पावन त्यौहार से संबंधित यह बेहद विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो ऐसे ही और भी व्रत एवं प्रमुख हिंदू त्योहार से संबंधित विशेष लेख हमारी वेबसाइट पर आकर जरूर पढ़ें और हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर भी रोजाना विजिट करें।
FAQ’s
Q. योगिनी एकादशी कब मनाई जाती है?
Ans. योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) हर साल आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष 2025 में यह व्रत 21 जून को रखा जाएगा।
Q. योगिनी एकादशी का महत्व क्या है?
Ans. योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) व्रत सभी पापों को दूर करने वाला माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार यह एकादशी परलोक में मुक्ति देने के साथ-साथ तीनों लोकों में प्रसिद्ध है।
Q. योगिनी एकादशी व्रत के क्या लाभ हैं?
Ans. योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) का व्रत करने से समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह व्रत सिद्धि और सफलता देता है। इसके प्रभाव से किसी के दिए हुए श्राप का भी निवारण हो जाता है। यह एकादशी समस्त आधि-व्याधियों को नष्ट कर सुंदर रुप, गुण और यश देने वाली मानी जाती है।
Q. योगिनी एकादशी व्रत के नियम क्या हैं?
Ans. एकादशी से एक दिन पहले दशमी को व्रत का संकल्प लेना चाहिए। व्रत के दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। दिन भर फलाहार ही करना चाहिए। रात्रि में जागरण करना चाहिए। अगले दिन द्वादशी को ब्राह्मणों को दान देकर पारणा करना चाहिए।
Q. योगिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि क्या है?
Ans. व्रत के दिन सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें। मिट्टी का कलश स्थापित करें और उसमें भगवान विष्णु की प्रतिमा रखें। तुलसी पत्र और फूल चढ़ाएं। शुद्ध घी का दीप जलाएं। भगवान विष्णु का विधिवत पूजन करें। एकादशी की कथा पढ़ें या सुनें। अंत में आरती करें।
Q. योगिनी एकादशी पर कौन सा मंत्र जपा जाता है?
Ans. योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) के दिन ‘ॐ नमो नारायण’ या ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:’ मंत्र का 108 बार जाप करने का विधान है। इससे व्रत का विशेष फल प्राप्त होता है।