
माता सीता की तीन बहनें Mata Sita ki Teen Behen: रामायण (Ramayan) की अमर गाथा में माता सीता (Mata Sita) का चरित्र जहां नारी शक्ति और आदर्श पतिव्रता का प्रतीक है, वहीं उनकी तीन बहनें- ऊर्मिला, मांडवी, और श्रुतकीर्ति अपने अद्वितीय त्याग, समर्पण और धैर्य के लिए भारतीय संस्कृति में अमिट छाप छोड़ती हैं। इन बहनों की कहानी केवल राजकुमारी होने तक सीमित नहीं, बल्कि उनके जीवन का प्रत्येक क्षण प्रेम, बलिदान और धर्म की मिसाल है। उनके विवाह ने न केवल मिथिला और अयोध्या जैसे महान राजवंशों को जोड़ा, बल्कि भारतीय संस्कृति में पारिवारिक और आध्यात्मिक मूल्यों को भी सुदृढ़ किया।
इनके बच्चों ने अपने कुल की गौरव गाथा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। माता सीता की तरह उनकी बहनें भी अपने साहस, धैर्य और पवित्रता के कारण आज भी पूजनीय हैं। इनके जीवन की अनकही कहानियां, उनके माता-पिता का दिव्य संदर्भ, उनके विवाह के पवित्र बंधन, उनकी संतानों की विरासत और उनका आध्यात्मिक महत्व रामायण को और भी गहन बनाता है। क्या आप जानना चाहेंगे कि कैसे इन बहनों ने अपने मौन बलिदानों से इतिहास के पन्नों को स्वर्णिम बनाया? इस लेख में हम इन सभी बातों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
तो चलिए इस विशेष लेख के साथ उनकी गाथा में डूब जाएं और जानें कि क्यों ऊर्मिला, मांडवी और श्रुतकीर्ति आज भी हमारी श्रद्धा की पात्र हैं। यह यात्रा आपको उनके जीवन के अनछुए पहलुओं से जोड़ेगी……
सीता माता कौन है और उनकी कितनी बहने हैं? Mata Sita ki Teen Behen
सीता माता (Sita Mata) हिन्दू धर्म में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम (Sri Ram) की पत्नी और विष्णु के अवतार की अर्धांगिनी के रूप में पूजनीय हैं। उन्हें जनकपुरी (वर्तमान जनकपुर, नेपाल) के राजा जनक की पुत्री माना जाता है, जो हल चलाते समय भूमि से प्राप्त हुई थीं, इसलिए उन्हें “भूमिजा” या “धरती की बेटी” भी कहा जाता है। वे आदर्श पत्नी, सतीत्व और नारी शक्ति की प्रतीक मानी जाती हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, सीता माता की तीन बहनें थीं- ऊर्मिला, मांडवी और श्रुतकीर्ति। ऊर्मिला लक्ष्मण की पत्नी बनीं, जबकि मांडवी और श्रुतकीर्ति क्रमशः भरत और शत्रुघ्न से विवाह कर अयोध्या राजवंश की अन्य बहुओं के रूप में प्रतिष्ठित हुईं। चारों बहनें एक ही कुल की बेटियाँ थीं और राम-लक्ष्मण-भरत-शत्रुघ्न की पत्नियाँ बनीं।
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1. उर्मिला (Urmila) Mata Sita ki Teen Behen
उर्मिला (Urmila), राजा जनक की पुत्री और लक्ष्मण की पत्नी, अखंड पतिव्रत धर्म की प्रतीक थीं। जब राम, लक्ष्मण और सीता वनवास के लिए गए, उर्मिला ने भी साथ जाने की इच्छा जताई, लेकिन लक्ष्मण ने उन्हें अयोध्या में माताओं और राज्य की जिम्मेदारी सौंपकर रोक दिया। उर्मिला ने पति के निर्णय का सम्मान किया और 14 वर्ष तक अयोध्या में रही। रावण-पुत्र मेघनाद को यह वरदान था कि केवल वही उसे हरा सकता है जो 14 वर्ष तक न सोया हो। लक्ष्मण ने राम और सीता की सेवा में 14 वर्ष तक नींद त्याग दी, जबकि उर्मिला ने उनकी नींद का हिस्सा स्वयं ले लिया और 14 वर्ष तक सोती रही। यह उनकी पति-भक्ति का अनुपम उदाहरण है। उर्मिला के दो पुत्र, अंगद और चंद्रकेतु, थे। उनकी त्यागमयी जीवनशैली और समर्पण ने उन्हें रामायण में एक विशेष स्थान दिलाया।
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2. मांडवी (Mandvi)
मांडवी (Mandvi), राजा कुशध्वज (Raja Kushadhwaja) की पुत्री और भरत की पत्नी, एक साध्वी स्वभाव की महिला थीं। उनका विवाह अयोध्या के राजकुमार भरत से हुआ। जब राम वनवास गए, भरत ने अयोध्या के सिंहासन को ठुकराकर नंदीग्राम में तपस्वी जीवन चुना। उन्होंने राम की चरण-पादुका सिंहासन पर स्थापित की और स्वयं सरयू नदी के तट पर जमीन पर सोते थे। मांडवी ने पति के इस समर्पण और श्रीराम के प्रति भक्ति का पूर्ण सम्मान किया। वे हर कदम पर भरत का साथ देती थीं और कुल की मर्यादा के अनुसार आचरण करती थीं। मांडवी ने अपने पति के कठोर जीवन को सहजता से अपनाया और उनकी हर जिम्मेदारी में सहयोग दिया। उनके दो पुत्र, तक्ष और पुष्कल, थे। मांडवी का जीवन पति-धर्म और परिवार के प्रति उनके अटूट समर्पण का प्रतीक है, जो रामायण में उनकी महत्ता को दर्शाता है।
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3. श्रुतकीर्ति Srutakirti
श्रुतकीर्ति (Srutakirti), राजा कुशध्वज (Raja Kushadhwaja) की पुत्री और शत्रुघ्न की पत्नी, राजा दशरथ की सबसे छोटी पुत्रवधू थीं। उनका विवाह राम के छोटे भाई शत्रुघ्न से हुआ। श्रुतकीर्ति की तीन बहनें- सीता, उर्मिला और मांडवी- भी दशरथ के पुत्रों की पत्नियाँ थीं, जिससे एक ही परिवार में चार बहनों का विवाह हुआ। श्रुतकीर्ति ने अपने पति शत्रुघ्न के कर्तव्यों और राम के प्रति उनकी निष्ठा का पूरा साथ दिया। वे मर्यादित और धर्मनिष्ठ जीवन जीती थीं। उनके दो पुत्र, शत्रुघति और सुबाहु, थे। श्रुतकीर्ति का व्यक्तित्व उनकी सौम्यता, पति-भक्ति और परिवार के प्रति समर्पण से परिपूर्ण था। रामायण में उनका उल्लेख भले ही कम हो, लेकिन उनकी भूमिका रघुकुल की मर्यादा और एकता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण थी। वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूर्ण निष्ठा से करती थीं।
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Conclusion:-Mata Sita ki Teen Behen
हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (सीता की तरह उनकी 3 बहनें भी थीं खास) यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके पास किसी भी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद
FAQ’s:-Mata Sita ki Teen Behen
Q. सीता माता कौन थीं और उन्हें कैसे प्राप्त किया गया था?
Ans. सीता माता (Sita Mata) राजा जनक की दत्तक पुत्री थीं, जिन्हें हल चलाते समय भूमि से प्राप्त किया गया था। इसलिए उन्हें भूमिजा या धरती की बेटी कहा जाता है।
Q. सीता माता की कुल कितनी बहनें थीं और उनके नाम क्या थे?
Ans. सीता माता (Sita Mata) की तीन बहनें थीं—ऊर्मिला, मांडवी और श्रुतकीर्ति। इनका विवाह राम के भाइयों लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न से हुआ था।
Q. उर्मिला ने लक्ष्मण के वनवास काल में क्या त्याग किया था?
Ans. उर्मिला ने लक्ष्मण की 14 वर्षों की नींद अपने ऊपर ले ली और स्वयं 14 वर्ष तक सोती रहीं, ताकि लक्ष्मण निरंतर राम और सीता की सेवा कर सकें।
Q. मांडवी का विवाह किससे हुआ और उनका स्वभाव कैसा था?
Ans. मांडवी का विवाह भरत से हुआ था। वे साध्वी स्वभाव की थीं और पति भरत के साथ हर कठिनाई में खड़ी रहीं, विशेष रूप से उनके नंदीग्रामवास के समय।
Q. मांडवी ने भरत के कठिन तपस्वी जीवन में कैसे साथ दिया?
Ans. मांडवी ने भरत के कठिन जीवन को सहजता से अपनाया और उनके हर निर्णय में सहयोग दिया। वे भरत की भक्ति और राम के प्रति समर्पण में सहभागी रहीं।
Q. श्रुतकीर्ति किसकी पत्नी थीं और उनके पति का क्या कर्तव्य था?
Ans. श्रुतकीर्ति शत्रुघ्न की पत्नी थीं। शत्रुघ्न ने राम की आज्ञा पर राजा लवणासुर का वध कर मधुपुरी का शासन संभाला, जिसमें श्रुतकीर्ति ने उनका साथ दिया।