
भारतीय मंदिर, (Indian Temple) अपनी भव्य वास्तुकला और महान धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के साथ, हमेशा उन यात्रियों को आकर्षित करते हैं जो वास्तविक भारत की खोज की यात्रा पर निकले हैं। ये पूजा स्थल भारत के सबसे अच्छे आकर्षण बन गए हैं, जो इतिहास प्रेमियों, वास्तुकला प्रेमियों, तीर्थयात्रियों और आध्यात्मिक रूप से इच्छुक यात्रियों को समान रूप से आकर्षित करते हैं। गुजरात (Gujarat) का सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple), भारतीय सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासत का अमूल्य रत्न है जो गुजरात के पश्चिमी किनारे पर स्थित है। यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर है, जिसे महादेव शिव के पवित्र रूप में पूजा जाता है और इसे ‘भारतीय धरोहर का हीरा’ माना जाता है।
गुजरात का सोमनाथ मंदिर, 12 ज्योतिर्लिंगों में से पहला (वह स्थान जहां भगवान शिव एक उज्ज्वल, अनंत प्रकाश के रूप में प्रकट हुए थे) और हिंदुओं के लिए एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल, भारत में सबसे अधिक देखे जाने वाले मंदिरों में से एक है । आज के इस लेख के जरिए हम आपको सोमनाथ मंदिर (somnath temple)के बारे में विस्तृत जानकारियां प्रदान करेंगे हम आपको बताएंगे कि सोमनाथ मंदिर का इतिहास क्या है?, सोमनाथ मंदिर का महत्व क्या है?, सोमनाथ मंदिर के रोचक तथ्य क्या है?, सोमनाथ मंदिर कैसे पहुंचे?, सोमनाथ मंदिर की समय सारणी क्या है? , इसीलिए हमारे इस लेखक को अंत तक जरूर पढ़िए ।

Somnath Temple Overview
टॉपिक | सोमनाथ मंदिर का इतिहास और वहां कैसे पहुंचे? |
लेख प्रकार | आर्टिकल |
प्रमुख देवता | भगवान शिव |
स्थान | गुजरात के वेरावल बंदरगाह |
दर्शन के लिए उचित समय | सुबह 6:00 से रात 9:00 बजे तक |
प्रसिद्धि का कारण | पितृगणों के श्राद्ध, नारायण बलि |
मंदिर का पुनः निर्माण वर्ष | 649 ईस्वी |
ऊंचाई | 150 फीट |
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सोमनाथ मंदिर का इतिहास, History of Somnath Temple

भारत के पश्चिमी राज्य गुजरात (Gujarat) में स्थित सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple) लाखों भक्तों के दिलों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और देश के सबसे प्रतिष्ठित और प्राचीन मंदिरों में से एक है। इसका इतिहास समृद्ध है, मिथकों, किंवदंतियों और आक्रमणों और पुनर्निर्माणों की श्रृंखला से भरा हुआ है। यह लेख सोमनाथ मंदिर से जुड़े इतिहास, पौराणिक कथाओं और किंवदंतियों पर प्रकाश डालेगा, इसके सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व की व्यापक समझ प्रदान करेगा।
आरंभिक इतिहास-
सोमनाथ मंदिर का इतिहास प्राचीन काल से है। ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण मूल रूप से चंद्रमा देवता, सोम द्वारा किया गया था, और यह भगवान शिव को समर्पित है, जो हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। “सोमनाथ” नाम स्वयं “सोम” और “नाथ” के संयोजन से बना है, जिसका अर्थ है “चंद्रमा का भगवान।”
आक्रमणकारी का लक्ष्य-
अपने लंबे इतिहास में, मंदिर को कई आक्रमणों का सामना करना पड़ा है, विशेष रूप से 11वीं शताब्दी में एक क्रूर अफगान विजेता महमूद गजनी द्वारा। महमूद के हमले के परिणामस्वरूप मंदिर में लूटपाट और विनाश हुआ, जो इसके इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। चालुक्य वंश और मुगलों सहित बाद के शासकों ने मंदिर के पतन में योगदान दिया।
पुनर्निर्माण के प्रयास-
विध्वंस के बावजूद, सोमनाथ मंदिर (somnath temple)का विभिन्न हिंदू राजवंशों और राजाओं द्वारा बार-बार पुनर्निर्माण किया गया। मंदिर का पुनर्निर्माण न केवल हिंदू आस्था के लचीलेपन का प्रतीक है, बल्कि भक्तों के अपने पवित्र स्थल को पुनर्जीवित करने के दृढ़ संकल्प का भी प्रतीक है। आज का सोमनाथ मंदिर इन्हीं पुनर्निर्माण प्रयासों का परिणाम है।
सोमनाथ मंदिर का पौराणिक महत्व | Mythological Importance of Somnath Temple

चन्द्र देव की कथा
सोमनाथ मंदिर (somnath temple)के आसपास की पौराणिक कथाएँ हिंदू धार्मिक ग्रंथों और महाकाव्यों में गहराई से निहित हैं। एक किंवदंती के अनुसार, चंद्रमा देवता, सोम ने उन पर एक श्राप लगाया था जिसके कारण उनका पतन हुआ। कहा जाता है कि मोक्ष की तलाश में और अपनी खोई हुई महिमा वापस पाने के लिए, सोमा ने इसी स्थान पर भगवान शिव से प्रार्थना की थी। भक्ति के इस कार्य के कारण मंदिर की स्थापना हुई।
भगवान शिव का लिंगम
सोमनाथ मंदिर का केंद्रीय देवता एक ज्योतिर्लिंग (Jyotirling) है, जो भगवान शिव का पवित्र प्रतिनिधित्व है। यह भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, माना जाता है कि प्रत्येक में अपार आध्यात्मिक शक्ति है। लिंगम भगवान शिव (bhagvan shiv) की अनंत और सर्वव्यापी प्रकृति का प्रतीक है और दूर-दूर से भक्तों को आकर्षित करता है
सोमनाथ मंदिर के आसपास देखने योग्य स्थान | Places to Visit Around Somnath Temple:
- पुराना सोमनाथ मंदिर
- प्रभास पाटन संग्रहालय/सोमनाथ संग्रहालय
- त्रिवेणी संगम
- कृष्ण पादुका
- सोमनाथ समुद्र तट
- सारदा मठ
- सूर्य मंदिर और माता हिंगलाज माताजी गुफा
- गीता मंदिर
- बलदेव जी गुफा
- वेणेश्वर महादेव मंदिर
- लक्ष्मीनारायण मंदिर
- जूनागढ़ गिर सफारी
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर तक कैसे पहुँचें?
सोमनाथ मंदिर सौराष्ट्र में प्रभास पाटन के पास स्थित है। यहां बताया गया है कि आप हवाई, रेल या सड़क मार्ग से इस मंदिर तक कैसे पहुंच सकते हैं।
- उड़ान द्वारा: केशोद हवाई अड्डा (Keshod Airport) और दीव हवाई अड्डा (Diu Airport) दो निकटतम हवाई अड्डे हैं, जो सोमनाथ से क्रमशः 50 और 90 किमी की दूरी पर स्थित हैं। सोमनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए आप हवाई अड्डे से बसें ले सकते हैं या टैक्सी या कैब किराए पर ले सकते हैं। अहमदाबाद में सरदार वल्लभभाई पटेल हवाई अड्डा (Sardar Vallabhbhai Patel Airport) निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। इंडियन ईगल अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर सर्वोत्तम सौदे प्रदान करता है। तो, जल्दी करें, अपनी यात्रा की योजना बनाएं और सोमनाथ मंदिर की रहस्यमय आभा का अनुभव करने के लिए गुजरात के लिए उड़ान भरें!
- ट्रेन से: सोमनाथ का अपना रेलवे स्टेशन है। अहमदाबाद (Ahmedabad), मुंबई (Mumbai), पुणे (Pune), जबलपुर (jabalpur )और अन्य प्रमुख शहरों से सोमनाथ के लिए ट्रेनें नियमित रूप से चलती हैं। पास में स्थित वेरावल रेलवे स्टेशन आपके पास एक और विकल्प है।
- बस द्वारा: कई सार्वजनिक और निजी बसें सोमनाथ को राजकोट, पोरबंदर, अहमदाबाद आदि शहरों से जोड़ती हैं
सोमनाथ मंदिर की समय सारणी | Somnath Temple Time Table
मंदिर सुबह 6 बजे दर्शन के लिए खुलता है और रात 9 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है। मंदिर में तीन बार आरती होती है। इस प्रकार भक्त सुबह 7 बजे, फिर दोपहर 12 बजे और फिर शाम को 7 बजे आरती में शामिल हो सकते हैं।
सोमनाथ मंदिर का दर्शन करने का समय | |
सुबह 6 बजे | रात 9 बजे तक |
सुबह 7 बजे | दोपहर 12 बजे फिर शाम को 7 बजे आरती |
यदि आप ‘जय सोमनाथ’ लाइट एंड साउंड (Light and Sound Show) शो देखना चाहते हैं, तो आपको रात 8 बजे तक वहां पहुंचना होगा। यह शो रात 8 बजे शुरू होता है और रात 9 बजे तक चलता है
सोमनाथ मंदिर के बारे में रोचक तथ्य | Interesting Facts About Somnath Temple
- ऋग्वेद, शिव पुराण, श्रीमद्भगवद गीता और स्कंद पुराण जैसे प्राचीन पवित्र ग्रंथों में सोमनाथ मंदिर का उल्लेख है।
- स्कंद पुराण में कहा गया है कि मूल सोमनाथ मंदिर लगभग 7,99,25,105 साल पहले बनाया गया था।
- स्कंद पुराण के अनुसार, जब भी भगवान ब्रह्मा दुनिया का पुनर्निर्माण करेंगे तो इस मंदिर का नाम बदल दिया जाएगा। तो, सोमनाथ मंदिर (somnath temple) को एक नई दुनिया में प्राण नाथ मंदिर के रूप में जाना जाएगा जो उस दुनिया की जगह लेगी जिसमें हम अभी रह रहे हैं।
- क्या आप विश्वास कर सकते हैं कि सोमनाथ समुद्र तट और अंटार्कटिका के बीच सीधी रेखा पर भूमि का कोई टुकड़ा मौजूद नहीं है? सोमनाथ मंदिर के दक्षिण की ओर समुद्र पर बने बाण-स्तंभ (तीर स्तंभ) पर इस तथ्य की पुष्टि करने वाला संस्कृत में एक शिलालेख है।
- सोमनाथ मंदिर (somnath temple)में हर दिन एक घंटे का लाइट एंड साउंड शो आयोजित किया जाता है, जो भक्तों को इस सदियों पुराने मंदिर के इतिहास और महत्व के बारे में बताता है
- प्राचीन ग्रंथों में यह भी कहा गया है कि पहले सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की ‘प्राण प्रतिष्ठा’ वैवस्वत मन्वंतर के दसवें त्रेता युग के दौरान श्रावण मास के शुक्ल पक्ष के शुभ तीसरे दिन की गई थी ।
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Conclusion
सोमनाथ मंदिर एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं। सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple) भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह मंदिर हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। सोमनाथ मंदिर एक आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र है। यह मंदिर लोगों को शांति और आशीर्वाद प्रदान करता है। अगर आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रों के साथ साझा करें साथ ही हमारे अन्य आर्टिकल को भी जरूर पढ़ें ।
सोमनाथ मंदिर का इतिहास: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. सोमनाथ मंदिर कहाँ स्थित है?
सोमनाथ मंदिर भारत के गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में, अरब सागर के किनारे, वेरावल के पास स्थित है।
2. सोमनाथ मंदिर का निर्माण किसने करवाया था?
सोमनाथ मंदिर का मूल निर्माण चंद्रदेव (चंद्रमा के देवता) ने करवाया था। बाद में विभिन्न राजाओं और शासकों ने इसे पुनर्निर्मित और पुनर्स्थापित किया, जिनमें सबसे प्रमुख हैं मौर्य सम्राट विक्रमादित्य और चालुक्य राजा भीमदेव।
3. सोमनाथ मंदिर का क्या धार्मिक महत्व है?
सोमनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से पहला है और इसे “प्रभास पाटन” के नाम से भी जाना जाता है। यह हिंदू धर्म में शिव जी के उपासकों के लिए अत्यंत पवित्र स्थान माना जाता है।
4. सोमनाथ मंदिर को कितनी बार नष्ट और पुनर्निर्मित किया गया?
इतिहास के अनुसार, सोमनाथ मंदिर को विदेशी आक्रांताओं द्वारा 17 बार नष्ट किया गया और हर बार इसे पुनर्निर्मित किया गया। महमूद गजनवी द्वारा 1025 ईस्वी में मंदिर को सबसे प्रमुख रूप से लूटा और ध्वस्त किया गया था।
5. वर्तमान सोमनाथ मंदिर का निर्माण कब हुआ?
वर्तमान सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण भारत की स्वतंत्रता के बाद 1951 में सरदार वल्लभभाई पटेल की अगुवाई में हुआ था। मंदिर का उद्घाटन भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने किया था।
6. सोमनाथ मंदिर की वास्तुकला की विशेषताएँ क्या हैं?
मंदिर की वास्तुकला चालुक्य शैली में निर्मित है, जिसमें intricate (सूक्ष्म) नक्काशी, भव्य मंडप और एक विशाल शिखर (गुंबद) है। मंदिर के शिखर की ऊँचाई लगभग 50 मीटर है और उस पर स्थित ध्वज प्रतिदिन बदला जाता है।
7. सोमनाथ मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय कौन सा है?
सोमनाथ मंदिर घूमने के लिए अक्टूबर से मार्च के बीच का समय सबसे उपयुक्त है क्योंकि इस समय मौसम सुहावना रहता है।
8. क्या सोमनाथ मंदिर में विदेशी पर्यटकों को प्रवेश की अनुमति है?
हाँ, सोमनाथ मंदिर में सभी धर्मों और राष्ट्रीयताओं के पर्यटकों को प्रवेश की अनुमति है, लेकिन मंदिर परिसर में शांति और पवित्रता बनाए रखना आवश्यक है।
9. सोमनाथ मंदिर के पास और कौन-कौन से दर्शनीय स्थल हैं?
सोमनाथ मंदिर के पास प्रभास पाटन संग्रहालय, भीमबेटका गुफाएँ, त्रिवेणी संगम, और वेरावल बंदरगाह जैसे कई दर्शनीय स्थल हैं।
10. सोमनाथ मंदिर के दर्शन का समय क्या है?
मंदिर प्रातः 6:00 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक खुला रहता है। आरती के समय विशेष भीड़ होती है, इसलिए दर्शन के लिए सही समय का चयन करना बेहतर होता है।