
छठ पूजा 2025: शुभ मुहूर्त पूजा विधि व महत्व Chhath Puja 2025 : Shubh Muhurat, Puja Vidhi Aur Mahatva): छठ पूजा भारतीय संस्कृति का एक अनूठा और दिव्य पर्व है, जिसे विशेष रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य देव और छठी मईया की अराधना के लिए समर्पित होता है, जिसमें भक्त कठिन तपस्या और नियमों का पालन करते हुए उपवास रखते हैं। छठ पूजा की सबसे बड़ी विशेषता इसकी सादगी, स्वच्छता और प्रकृति से सीधा संबंध है, जिसमें भक्त उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस पर्व के दौरान नदी, तालाब या किसी जलाशय के किनारे विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। अब सवाल उठता है कि छठ पूजा 2025 में कब मनाई जाएगी?
इस साल इसकी तिथियां और शुभ मुहूर्त क्या होंगे? छठ पूजा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व क्या है? यह पर्व क्यों और कैसे मनाया जाता है, और इसके पीछे कौन-सी मान्यताएं जुड़ी हुई हैं? इसके अलावा, छठ पूजा की पूजा विधि क्या है? इस पर्व के दौरान कौन-कौन से नियमों का पालन किया जाता है, और इसे करने से क्या लाभ प्राप्त होते हैं? अगर आप भी इन सवालों के जवाब जानना चाहते हैं और छठ पूजा के प्रत्येक चरण को विस्तार से समझना चाहते हैं, तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
इस विशेष लेखक के जरिए हम आपसे छठ पूजा (Chhat Puja 2025) के पवित्र पर्व से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी साझा करेंगे…..
छठ पूजा क्या है? | Chhat Puja kya Hai?
छठ पूजा (Chhat Puja) एक प्राचीन भारतीय त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। यह पूजा सूर्य देवता और छठी माई की आराधना के लिए की जाती है। इसे चार दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य शामिल हैं। इस दौरान श्रद्धालु उपवास रखते हैं और विशेष प्रसाद बनाते हैं। छठ पूजा का उद्देश्य परिवार की सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और संतान सुख की प्राप्ति करना होता है। यह त्योहार पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देता है, क्योंकि इसमें जल और सूर्य की पूजा की जाती है।
छठ पूजा 2025 में कब है? | Chhat Puja 2025 Mein kab Hai?
साल 2025 में छठ पूजा (Chhat Puja) 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर के बीच मनाई जाएगी। यह पर्व चार दिनों तक चलता है, जिसमें हर दिन का अपना विशेष महत्व होता है। 25 अक्टूबर को ‘नहाय खाय’ के साथ छठ पूजा की शुरुआत होगी, जिसमें व्रती स्नान करके शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं। 26 अक्टूबर को ‘खरना’ मनाया जाएगा, जिसमें व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण करते हैं। 27 अक्टूबर को ‘संध्या अर्घ्य’ का दिन होता है, जिसमें व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। और अंत में, 28 अक्टूबर को ‘उषा अर्घ्य’ के साथ छठ पूजा का समापन होता है, जिसमें उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
छठ पूजा 2025 का शुभ मुहूर्त क्या है? | Chhat Puja ka Shubh Muhurat kya Hai?
छठ पूजा 2025 (Chhat Puja 2025) का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat) इस प्रकार है:
S.NO | विवरण | शुभ तिथि व मुहूर्त |
1 | सूर्योदय का समय | 6 बजकर 29 मिनट |
2 | सूर्यास्त का समय | शाम 5 बजकर 52 मिनट |
3 | संध्या अर्घ्य | 27 अक्टूबर 2025 |
4 | उषा अर्घ्य | सूर्योदय का समय |
छठ पूजा की पूजा विधि क्या है? | Chhat Puja ki Puja Vidhi kya Hai?
- नहाय-खाय (पहला दिन): छठ पूजा (Chhat Puja) की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इस दिन व्रती गंगा स्नान या किसी पवित्र नदी में स्नान कर शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं, जिसमें कद्दू-भात और चने की दाल प्रमुख होती है।
- खरना (दूसरा दिन): इस दिन व्रती दिनभर उपवास रखते हैं और शाम को गुड़ से बनी खीर, रोटी और फल का प्रसाद ग्रहण कर पूजा करते हैं। इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है।
- संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन): व्रतधारी सायंकाल नदी या तालाब के किनारे पहुंचकर भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस दौरान बांस की टोकरी में ठेकुआ, फल और अन्य प्रसाद चढ़ाया जाता है।
- कोशी भरना (तीसरी रात): संध्या अर्घ्य के बाद व्रतधारी रातभर दीप जलाकर विशेष पूजन करते हैं। कई परिवारों में कोशी (मिट्टी के दीपों से सजी टोकरी) भरकर भगवान सूर्य को समर्पित किया जाता है।
- उषा अर्घ्य (चौथा दिन): सूर्योदय से पहले व्रतधारी जलाशय में जाकर उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस पूजा के दौरान भी वही प्रसाद अर्पित किया जाता है जो संध्या अर्घ्य में चढ़ाया गया था।
- व्रत पारण (उषा अर्घ्य के बाद): उषा अर्घ्य देने के बाद व्रती घर लौटकर दूध और प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण करते हैं। इस चरण के साथ छठ पूजा का समापन होता है और भक्तजन प्रसाद ग्रहण करते हैं।
- छठ पूजा की विशेषता: यह व्रत कठिन नियमों के साथ किया जाता है, जिसमें शुद्धता और संयम का विशेष ध्यान रखा जाता है। व्रतधारी बिना भोजन और जल के रहकर भगवान सूर्य से सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
छठ पूजा का महत्व क्या है? | Chhat Puja ka Mahatva kya Hai?
- सूर्य उपासना और ऊर्जा का स्रोत: छठ पूजा सूर्य देव की आराधना का प्रमुख पर्व है, जिसमें श्रद्धालु उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी कृपा प्राप्त करते हैं। सूर्य को जीवन का स्रोत माना जाता है, और उनकी उपासना से मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है। यह पर्व न केवल प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करता है, बल्कि स्वास्थ्य व सकारात्मक ऊर्जा को भी बढ़ावा देता है।
- पारिवारिक और सामाजिक समरसता: छठ पूजा समाज और परिवार को एकजुट करने वाला पर्व है, जहां सभी लोग मिलकर व्रतियों की सेवा करते हैं और एक साथ पूजा में भाग लेते हैं। इस पर्व में जाति, धर्म और सामाजिक भेदभाव मिट जाते हैं, और सभी लोग श्रद्धा और भक्ति के साथ एकजुट होकर पूजा करते हैं। यह पर्व रिश्तों को मजबूत करने और समाज में सद्भाव बढ़ाने का कार्य करता है।
- शुद्धता, अनुशासन और संयम का प्रतीक: छठ पूजा (Chhat Puja) कठोर व्रत, नियम और अनुशासन का पर्व है, जिसमें उपासक लगातार 36 घंटे का निर्जला उपवास रखते हैं। यह आत्मसंयम, शुद्धता और समर्पण का प्रतीक है। इस दौरान व्रती सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं और पूरी श्रद्धा के साथ सूर्य उपासना करते हैं, जिससे तन और मन दोनों की शुद्धि होती है और आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है।
Conclusion:-Chhath Puja 2025
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FAQ’s:-Chhath Puja 2025
Q. छठ पूजा मुख्य रूप से किन राज्यों में मनाई जाती है?
Ans. छठ पूजा (Chhat Puja) मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है।
Q. छठ पूजा कितने दिनों तक मनाई जाती है?
Ans. छठ पूजा (Chhat Puja) चार दिनों तक मनाई जाती है, जिसमें नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य प्रमुख होते हैं।
Q. छठ पूजा में सूर्य देवता की पूजा क्यों की जाती है?
Ans. सूर्य देवता को ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि का स्रोत माना जाता है, इसलिए छठ पूजा में उनकी विशेष आराधना की जाती है।
Q. 2025 में छठ पूजा कब मनाई जाएगी?
Ans. साल 2025 में छठ पूजा 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक मनाई जाएगी, जिसमें संध्या अर्घ्य 27 अक्टूबर और उषा अर्घ्य 28 अक्टूबर को होगा।
Q. छठ पूजा का सबसे कठिन नियम कौन सा है?
Ans. छठ पूजा (Chhat Puja) का सबसे कठिन नियम 36 घंटे का निर्जला व्रत है, जिसमें उपासक बिना जल और अन्न ग्रहण किए व्रत रखते हैं।
Q. संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य में क्या अंतर है?
Ans. संध्या अर्घ्य (Chhat Puja) डूबते सूर्य को अर्पित किया जाता है, जबकि उषा अर्घ्य उगते सूर्य को समर्पित किया जाता है।