
12 राशि रत्न लाभ, पहनने की विधि और महत्व 12 Rashi Ratna Labh Pehne ki Vidhi Aur Mahatva: ज्योतिष शास्त्र (Jyotish Shastra) और रत्नों का गहरा नाता सदियों से भारतीय संस्कृति और परंपराओं में रचा-बसा है। क्या आपने कभी सोचा कि आकाश में चमकते ग्रह-नक्षत्र हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करते हैं और रत्न इन प्रभावों को संतुलित करने में कैसे सहायक हो सकते हैं? ज्योतिष में रत्नों को ग्रहों की ऊर्जा का वाहक माना जाता है, जो हमारे भाग्य, स्वास्थ्य और समृद्धि को सकारात्मक दिशा दे सकते हैं। लेकिन सही रत्न का चयन, उसे धारण करने की विधि, उचित अंगुली और धातु का प्रयोग, साथ ही असली और नकली रत्न की पहचान जैसे सवाल हर किसी के मन में उठते हैं।
क्या आप जानते हैं कि गलत रत्न या गलत समय पर इसे पहनना उल्टा प्रभाव भी डाल सकता है? यह लेख आपके इन्हीं सवालों का विस्तृत और सटीक जवाब देगा। आपसे यह बातें भी साझा करेंगे कि ज्योतिष और रत्नों का क्या संबंध है, रत्न पहनते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, धारण करने की सही विधि क्या है, किस अंगुली में कौन सी धातु का रत्न शुभ है, रत्न कब नहीं पहनना चाहिए, और असली-नकली रत्न की पहचान कैसे करें। साथ ही, 12 राशियों के लिए कौन से रत्न सबसे लाभकारी हैं, इसका भी खुलासा करेंगे। यह लेख न केवल ज्योतिष और रत्नों के रहस्यों को उजागर करेगा, बल्कि आपको सही मार्गदर्शन भी प्रदान करेगा।
अगर आप अपने जीवन में ग्रहों की शक्ति को अनुकूल बनाना चाहते हैं और रत्नों के प्रभाव को समझना चाहते हैं, तो इस लेख को अंत तक पढ़ें……
ज्योतिष और रत्नों का क्या संबंध है? | Jyotish Aur Ratno ka kya Sambandh Hai?
ज्योतिष शास्त्र (Jyotish Shastra) में रत्नों का विशेष महत्व है, क्योंकि इन्हें ग्रहों की ऊर्जा को संतुलित करने का सशक्त माध्यम माना जाता है। प्रत्येक ग्रह विशिष्ट ऊर्जा और गुणों का प्रतीक है, और रत्न इन ऊर्जाओं को प्रभावित कर मानव जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। ज्योतिष के अनुसार, नौ ग्रहों (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु) से संबंधित रत्न व्यक्ति की कुंडली में कमजोर या अशुभ ग्रहों के प्रभाव को कम करते हैं और शुभ प्रभाव को बढ़ाते हैं। उदाहरण के लिए, सूर्य के लिए माणिक्य और चंद्र के लिए मोती शुभ माने जाते हैं। रत्न धारण करने से पहले ज्योतिषी कुंडली का विश्लेषण कर ग्रहों की स्थिति, दशा और गोचर के आधार पर उपयुक्त रत्न सुझाते हैं। रत्नों का प्रभाव तभी अधिक होता है जब वे शुद्ध, उच्च गुणवत्ता वाले हों और विधिवत् प्राण-प्रतिष्ठा के बाद धारण किए जाएं। गलत रत्न धारण करने से नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकते हैं। इसलिए, ज्योतिष में रत्नों को ग्रहों के साथ जोड़कर व्यक्ति के स्वास्थ्य, समृद्धि, और मानसिक शांति के लिए उपयोग किया जाता है। यह विज्ञान और विश्वास का अनूठा संगम है।
12 राशियों के लिए कौन सा रत्न शुभ है? | 12 Rashiyon ke liye kaun Sa Ratna Shubh Hai?
- मेष (Aries): मेष राशि के जातकों के लिए मंगल ग्रह स्वामी होता है, और इसी कारण मूंगा (कोरल) रत्न को उनके लिए अत्यंत शुभ माना गया है। यह रत्न न केवल आत्मविश्वास, साहस और ऊर्जा में वृद्धि करता है, बल्कि बेहतर रक्त संचार में भी मदद करता है। मूंगा क्रोध को संतुलित करने में सहायक होता है, जिससे मानसिक शांति बनी रहती है। इसे तांबे की अंगूठी में पहनना चाहिए और दाएं हाथ की अनामिका अंगुली में धारण करना श्रेष्ठ रहता है।
- वृषभ (Taurus): वृषभ राशि के जातकों पर शुक्र ग्रह का प्रभाव रहता है, और इस कारण उनके लिए हीरा या ओपल रत्न अत्यंत शुभ माने जाते हैं। ये रत्न जीवन में वैभव, प्रेम और सौंदर्य की वृद्धि करते हैं, साथ ही मानसिक संतुलन और आर्थिक स्थिरता भी प्रदान करते हैं। यदि कुंडली में शुक्र कमजोर हो, तो इन रत्नों का प्रभाव और भी फलदायी सिद्ध होता है।
- मिथुन (Gemini): मिथुन राशि (Mithun Rashi) का स्वामी बुध है, और इसके लिए पन्ना (Emerald) शुभ है। पन्ना बुद्धि, संचार और व्यापारिक सफलता को बढ़ाता है। यह मानसिक स्पष्टता और एकाग्रता प्रदान करता है। इसे सोने की अंगूठी में बुधवार को कनिष्ठिका में धारण करें। ज्योतिषी की सलाह से पन्ना धारण करने से करियर में उन्नति होती है।
- कर्क (Cancer): कर्क राशि (Kark Rashi) का स्वामी चंद्र है, और मोती (Pearl) इसके लिए शुभ है। मोती मानसिक शांति, भावनात्मक स्थिरता और स्वास्थ्य को बढ़ाता है। इसे चांदी की अंगूठी में सोमवार को कनिष्ठिका में पहनें। चंद्रमा की कमजोर स्थिति में मोती धारण करने से तनाव और चिंता में कमी आती है।
- सिंह (Leo): सिंह राशि (Singh Rashi) का स्वामी सूर्य है, और माणिक्य (Ruby) शुभ है। माणिक्य आत्मविश्वास, नेतृत्व और प्रसिद्धि को बढ़ाता है। यह स्वास्थ्य और ऊर्जा को बेहतर करता है। इसे सोने की अंगूठी में रविवार को अनामिका में धारण करें। सूर्य की कमजोर स्थिति में माणिक्य विशेष लाभकारी होता है।
- कन्या (Virgo): कन्या (Kanya Rashi) का स्वामी बुध है, और पन्ना इसके लिए शुभ है। पन्ना बौद्धिक क्षमता, संचार और रचनात्मकता को बढ़ाता है। यह व्यापार और शिक्षा में सफलता देता है। इसे सोने या चांदी की अंगूठी में बुधवार को कनिष्ठिका में पहनें। ज्योतिषीय सलाह से धारण करने पर यह अधिक प्रभावी होता है।
- तुला (Libra): तुला (Tula Rashi) का स्वामी शुक्र है, और हीरा या ओपल शुभ है। ये रत्न प्रेम, सौंदर्य और आर्थिक समृद्धि को बढ़ाते हैं। हीरा रिश्तों में सामंजस्य और मानसिक शांति देता है। इसे शुक्रवार को मध्यमा अंगुली में सोने की अंगूठी में पहनें। शुक्र की स्थिति के आधार पर यह लाभकारी है।
- वृश्चिक (Scorpio): वृश्चिक (Vrishchik Rashi) का स्वामी मंगल है, और मूंगा (Coral) शुभ है। मूंगा साहस, शक्ति और स्वास्थ्य को बढ़ाता है। यह नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करता है। इसे तांबे या सोने की अंगूठी में मंगलवार को अनामिका में पहनें। मंगल की स्थिति के आधार पर ज्योतिषी की सलाह लें।
- धनु (Sagittarius): धनु (Dhanu Rashi) का स्वामी गुरु है, और पुखराज (Yellow Sapphire) शुभ है। पुखराज ज्ञान, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति देता है। इसे सोने की अंगूठी में गुरुवार को तर्जनी में पहनें। गुरु की कमजोर स्थिति में पुखराज धारण करने से करियर और स्वास्थ्य में लाभ होता है।
- मकर (Capricorn): मकर (Makar Rashi) का स्वामी शनि है, और नीलम (Blue Sapphire) शुभ है। नीलम भाग्य, अनुशासन और सफलता को बढ़ाता है। इसे शनिवार को मध्यमा अंगुली में चांदी की अंगूठी में पहनें। शनि की स्थिति के आधार पर इसे सावधानी से धारण करें, क्योंकि गलत नीलम नुकसान पहुंचा सकता है।
- कुंभ (Aquarius): कुंभ राशि के स्वामी शनि ग्रह हैं, और इसी कारण इस राशि के जातकों के लिए नीलम रत्न अत्यंत शुभ माना जाता है। नीलम न केवल जीवन में स्थिरता लाने में सहायक होता है, बल्कि आर्थिक उन्नति और मानसिक मजबूती भी प्रदान करता है। इस रत्न को शनिवार के दिन चांदी की अंगूठी में मध्यमा उंगली में धारण करना उचित होता है।
- मीन (Pisces): मीन (Meen Rashi) का स्वामी गुरु है, और पुखराज शुभ है। पुखराज आध्यात्मिकता, समृद्धि और बुद्धि को बढ़ाता है। इसे सोने की अंगूठी में गुरुवार को तर्जनी में पहनें। गुरु की कमजोर स्थिति में पुखराज धारण करने से मानसिक शांति और सफलता मिलती है।
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राशि के अनुसार रत्न पहनने के क्या लाभ होते हैं? | Rashi ke Anusar Ratna Pehnne ke kya Labh Hote Hain?
- ग्रहों का सकारात्मक प्रभाव: प्रत्येक राशि का संबंध विशिष्ट ग्रहों से होता है। राशि के अनुसार रत्न पहनने से संबंधित ग्रह की ऊर्जा संतुलित होती है, जिससे जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। उदाहरण के लिए, मेष राशि के लिए मूंगा मंगल ग्रह को बल देता है, जो साहस और ऊर्जा बढ़ाता है। यह मानसिक शांति और निर्णय क्षमता को बेहतर करता है।
- स्वास्थ्य लाभ: राशि रत्न शरीर की ऊर्जा को संतुलित कर स्वास्थ्य सुधारते हैं। जैसे, कर्क राशि का मोती चंद्रमा से जुड़ा है, जो मानसिक तनाव और हृदय संबंधी समस्याओं को कम करता है। रत्नों की ऊर्जा चक्रों को सक्रिय कर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित रखने में सहायक है।
- आर्थिक समृद्धि: राशि रत्न आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, वृषभ राशि का पन्ना बुध ग्रह से जुड़ा है, जो व्यापार और संचार में सफलता देता है। यह रत्न नौकरी, व्यवसाय और निवेश में लाभकारी होता है, जिससे धन संचय और वित्तीय स्थिरता बढ़ती है।
- मनोवैज्ञानिक स्थिरता: राशि रत्न मनोवैज्ञानिक स्थिरता प्रदान करते हैं। सिंह राशि का माणिक सूर्य से संबंधित है, जो आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता बढ़ाता है। यह नकारात्मक विचारों को दूर कर मानसिक स्पष्टता लाता है। रत्न की ऊर्जा तनाव, चिंता और अवसाद को कम कर भावनात्मक संतुलन बनाए रखती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: राशि रत्न आध्यात्मिक विकास में सहायक हैं। धनु राशि का पुखराज गुरु ग्रह से जुड़ा है, जो बुद्धि और आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ाता है। यह ध्यान और आत्म-चिंतन को गहरा करता है, जिससे व्यक्ति जीवन के उद्देश्य को समझ पाता है और आंतरिक शांति प्राप्त करता है।
रत्न पहनते समय किन बातों का ध्यान रखें? | Ratna Pehente Samay kin Baaton ka Dhyan Rakhna Chahiye?
- ज्योतिषीय परामर्श: रत्न पहनने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह लें। कुंडली के ग्रहों की स्थिति और दशा के आधार पर रत्न का चयन करें। गलत रत्न नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। सही रत्न जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है।
- रत्न की शुद्धता: हमेशा प्राकृतिक और प्रमाणित रत्न खरीदें। नकली या उपचारित रत्न अप्रभावी हो सकते हैं। रत्न की गुणवत्ता और शुद्धता की जांच के लिए विश्वसनीय जेमोलॉजिस्ट से प्रमाण पत्र प्राप्त करें। यह रत्न के प्रभाव को सुनिश्चित करता है।
- सही धातु का चयन: रत्न को उचित धातु में जड़वाएं, जैसे सोना, चांदी या पंचधातु। ग्रहों के अनुसार धातु का चयन करें, जैसे सूर्य के लिए सोना। गलत धातु रत्न के प्रभाव को कम कर सकती है। ज्योतिषी से सलाह लें।
- शुभ मुहूर्त: रत्न को शुभ मुहूर्त और ग्रह की दशा में पहनें। प्रत्येक ग्रह के लिए विशिष्ट दिन और समय निर्धारित होता है, जैसे मंगलवार को मूंगा। शुभ समय में रत्न धारण करने से इसका प्रभाव बढ़ता है।
- रत्न का वजन: रत्न का प्रभाव तभी पूर्ण रूप से मिलता है जब उसका वजन सही हो, और यह वजन आपकी कुंडली और शारीरिक भार के अनुसार तय किया जाना चाहिए। आमतौर पर 4 से 7 रत्ती तक का रत्न उपयुक्त माना जाता है, लेकिन बहुत भारी या बहुत हल्का रत्न अपने सकारात्मक प्रभाव खो सकता है।
- सही उंगली: रत्न को सही उंगली में पहनें, क्योंकि प्रत्येक उंगली का संबंध विशिष्ट ग्रह से होता है। उदाहरण के लिए, पन्ना बुध के लिए तर्जनी में पहना जाता है। गलत उंगली रत्न के लाभ को कम करती है।
- रत्न की देखभाल: रत्न को नियमित रूप से साफ करें और नकारात्मक ऊर्जा से बचाएं। इसे गंगाजल या दूध से शुद्ध करें। खरोंच या टूटने से बचाएं, क्योंकि क्षतिग्रस्त रत्न नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। नियमित देखभाल से प्रभाव बना रहता है।
रत्न धारण करने की सही विधि क्या है? | 12 Rashi Ratna Dharan karne ki Sahi Vidhi kya Hai?
- ज्योतिषी से परामर्श: रत्न धारण करने से पहले योग्य ज्योतिषी से सलाह लें। कुंडली में ग्रहों की स्थिति, दशा और गोचर के आधार पर रत्न का चयन करें। गलत रत्न नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, इसलिए सटीक विश्लेषण आवश्यक है। सही रत्न जीवन में समृद्धि और शांति लाता है।
- रत्न की शुद्धि: रत्न को धारण करने से पहले शुद्ध करना जरूरी है। इसे गंगाजल, दूध और शहद के मिश्रण में डुबोकर शुद्ध करें। फिर मंत्रों के साथ इसे सकारात्मक ऊर्जा से चार्ज करें। शुद्ध रत्न ही पूर्ण लाभ देता है।
- शुभ मुहूर्त: रत्न को शुभ मुहूर्त में धारण करें। प्रत्येक ग्रह के लिए विशिष्ट दिन और समय होता है, जैसे बुधवार को पन्ना। ज्योतिषी से मुहूर्त और नक्षत्र की जानकारी लें। शुभ समय में धारण करने से रत्न का प्रभाव बढ़ता है।
- सही धातु और उंगली: रत्न को उचित धातु (जैसे सोना, चांदी) में जड़वाएं और सही उंगली में पहनें। उदाहरण के लिए, नीलम शनि के लिए मध्यमा उंगली में। ग्रहों के अनुसार धातु और उंगली का चयन रत्न के प्रभाव को अधिकतम करता है।
- मंत्र उच्चारण: रत्न धारण करते समय संबंधित ग्रह का मंत्र जपें। जैसे, सूर्य के लिए “ॐ सूर्याय नमः”। कम से कम 108 बार मंत्र जपें और रत्न को प्राण-प्रतिष्ठा करें। यह रत्न को सक्रिय कर ग्रहों के दोषों को कम करता है।
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किस अंगुली में किस धातु का रत्न धारण करना चाहिए? | Kis Anguli Mein kis Dhaatu ka Ratna Dharan karna Chahiye?
रत्न धारण करते समय अंगुली और धातु का चयन केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि ज्योतिषीय विज्ञान पर आधारित गूढ़ ज्ञान है। प्रत्येक उंगली और धातु का संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है, जो रत्न के प्रभाव को सीधे प्रभावित करता है। तर्जनी उंगली, जो बुध से संबंधित मानी जाती है, उसमें पन्ना चांदी या सोने की अंगूठी में धारण करना उत्तम रहता है। वहीं शनि ग्रह की शक्ति प्राप्त करने हेतु नीलम या लाजवर्त को मध्यमा उंगली में, लोहे या चांदी में पहनना श्रेष्ठ होता है। अनामिका उंगली सूर्य और गुरु से जुड़ी होती है, इसलिए माणिक और पुखराज क्रमशः सोने या चांदी की अंगूठी में धारण किए जाते हैं। चंद्र और मंगल ग्रह से जुड़ी कनिष्ठिका में मोती को चांदी में और मूंगे को तांबे या चांदी में पहनना शुभ होता है। शुक्र ग्रह के लिए हीरा तर्जनी या अनामिका में प्लेटिनम या सोने में धारण करें। सही उंगली और धातु का चुनाव न केवल रत्न की शक्ति को जाग्रत करता है, बल्कि ग्रहदोषों को भी संतुलित करता है। इसलिए रत्न धारण करने से पूर्व किसी विद्वान ज्योतिषाचार्य से परामर्श अवश्य लें।
रत्न कब नहीं पहनने चाहिए? | Ratna kab Nahi Pehnne Chahiye?
रत्न पहनने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। रत्नों को तब नहीं पहनना चाहिए जब उनकी ज्योतिषीय अनुकूलता ग्रहों के साथ न हो, क्योंकि यह नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। टूटे, खंडित या अशुद्ध रत्न नहीं पहनने चाहिए, क्योंकि ये अशुभ माने जाते हैं। रात में सोते समय या नकारात्मक ऊर्जा वाले स्थान पर रत्न उतार देना चाहिए। बिना ज्योतिषी की सलाह के रत्न पहनने से बचें, क्योंकि गलत रत्न नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अलावा, रत्नों को शुद्ध किए बिना पहनना भी अशुभ हो सकता है।
असली और नकली रत्न की पहचान कैसे करें? | Asli Aur Nakli Ratna ki Pehchan kaise karein?
असली रत्न की पहचान कैसे करें-
- प्राकृतिक चमक और रंग: असली रत्न में प्राकृतिक चमक और गहरा, एकसमान रंग होता है। इसे रोशनी में देखने पर रंग बदलाव या इंद्रधनुषी प्रभाव दिखाई देता है। असली रत्न की सतह पर सूक्ष्म प्राकृतिक निशान या समावेशन हो सकते हैं, जो उनकी प्रामाणिकता दर्शाते हैं। नकली रत्नों में यह प्राकृतिकता नहीं होती।
- कठोरता और टिकाऊपन: असली रत्नों की कठोरता मोह्स स्केल पर अधिक होती है, जैसे नीलम या हीरा। इन्हें खरोंचने पर आसानी से निशान नहीं पड़ते। कांच या प्लास्टिक से बने नकली रत्न आसानी से खरोंच जाते हैं। रत्न की सतह को सावधानी से जांचें; असली रत्न मजबूत और टिकाऊ होता है।
- प्रमाणन और प्रयोगशाला जांच: असली रत्न की पहचान के लिए जेमोलॉजिकल लैब से प्रमाणन लें। इसमें रत्न की उत्पत्ति, रासायनिक संरचना और प्रामाणिकता की जांच होती है। असली रत्न में माइक्रोस्कोप से प्राकृतिक समावेशन दिखते हैं, जबकि नकली रत्न में बुलबुले या कृत्रिम रेखाएं दिख सकती हैं। विश्वसनीय जौहरी से खरीदें।
नकली रत्न की पहचान कैसे करें-
- असामान्य रंग और चमक: नकली रत्नों में रंग अक्सर बहुत चटकीला या कृत्रिम दिखता है। रोशनी में उनकी चमक एकसमान नहीं होती और प्राकृतिक गहराई का अभाव होता है। माइक्रोस्कोप से देखने पर बुलबुले, कृत्रिम रेखाएं या प्लास्टिक जैसी बनावट दिख सकती है, जो नकली रत्न की पहचान है।
- वजन और तापमान: नकली रत्न, जैसे कांच या प्लास्टिक से बने, असली रत्नों की तुलना में हल्के होते हैं। असली रत्न ठंडा महसूस होता है और गर्म होने में समय लेता है, जबकि नकली रत्न जल्दी गर्म हो जाता है। वजन और तापमान की जांच से नकली रत्न पकड़ा जा सकता है।
- खरोंच और कमजोर बनावट: नकली रत्नों की सतह आसानी से खरोंच जाती है, क्योंकि उनकी कठोरता कम होती है। कांच या रेजिन से बने रत्नों में सस्ती बनावट और कमजोर संरचना होती है। सतह पर कृत्रिम चमक या पॉलिश के निशान दिख सकते हैं, जो नकली होने का संकेत देते हैं।
Conclusion:-12 Rashi Ratna Labh Pehne ki Vidhi Aur Mahatva
हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (12 राशि रत्न: आपकी राशि के अनुसार शुभ रत्न कौन सा है और क्यों?) यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके पास किसी भी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद
FAQ’s :-12 Rashi Ratna Labh Pehne ki Vidhi Aur Mahatva
Q. ज्योतिष में रत्नों का क्या महत्व है?
Ans. रत्न ग्रहों की ऊर्जा को संतुलित करते हैं, कमजोर ग्रहों के प्रभाव को कम करते हैं और शुभ प्रभाव बढ़ाते हैं, जिससे स्वास्थ्य, समृद्धि और शांति मिलती है।
Q. मेष राशि के लिए कौन सा रत्न शुभ है?
Ans. मेष राशि (Mesh Rashi) के लिए मूंगा शुभ है, जो मंगल ग्रह से संबंधित है। यह साहस, ऊर्जा और आत्मविश्वास बढ़ाता है, इसे तांबे में अनामिका में पहनें।
Q. कर्क राशि का रत्न क्या लाभ देता है?
Ans. कर्क राशि (Kark Rashi) का मोती मानसिक शांति, भावनात्मक स्थिरता और स्वास्थ्य सुधारता है। चंद्रमा से जुड़ा यह रत्न तनाव कम करता है, चांदी में पहनें।
Q. रत्न कितने समय तक असरदार रहते हैं?
Ans. रत्न की प्रभावशीलता उनकी गुणवत्ता, शुद्धता और ग्रहों की दशा पर निर्भर करती है। सामान्यतः 3-5 वर्ष तक प्रभावी रहते हैं, ज्योतिषी की सलाह से बदलाव करें।
Q. रत्न धारण करने से पहले ज्योतिषी सलाह क्यों जरूरी है?
Ans. ज्योतिषी कुंडली के ग्रहों की स्थिति, दशा और गोचर का विश्लेषण कर उपयुक्त रत्न सुझाते हैं, क्योंकि गलत रत्न नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
Q. क्या सभी को रत्न पहनना चाहिए?
Ans. सभी को रत्न पहनने की जरूरत नहीं। कुंडली में ग्रहों की कमजोर स्थिति होने पर ज्योतिषी की सलाह से रत्न पहनें, अन्यथा अनावश्यक हो सकता है।