
ओणम 2025: शुभ मुहूर्त, महत्व व इतिहास Onam 2025: (Shubh Muhurat, Mahatva Aur Itihas): ओणम (Onam) केरल का सबसे भव्य और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध त्योहार है, जिसे नई फसल के स्वागत, समृद्धि और भाईचारे के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व केवल केरलवासियों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए आनंद, एकता और परंपरा का संदेश लाता है। क्या आप जानते हैं कि ओणम का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व क्या है?
यह पर्व क्यों मनाया जाता है और इसका सांस्कृतिक प्रभाव कितना गहरा है? यदि आप ओणम 2025 की तिथि और महत्वपूर्ण रीति-रिवाजों के बारे में जानना चाहते हैं, तो यह समझना आवश्यक है कि मलयालम पंचांग के अनुसार इसका निर्धारण कैसे किया जाता है। इस दिन पूकलम (फूलों की रंगोली), ओणम संध्या (विशेष भोज), नौका दौड़ (वल्लम कली) और पारंपरिक नृत्य जैसे कठकली और पुलीकली का क्या महत्व है? क्या महाबली राजा की कथा और इस दिन किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठानों से जीवन में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है? इस लेख में हम आपको ओणम 2025 की सम्पूर्ण जानकारी देंगे—इसकी तिथि, धार्मिक मान्यता, शुभ मुहूर्त और इस दिन मनाए जाने वाले उत्सवों के बारे में विस्तार से बताएंगे।
यदि आप भी इस रंगीन और भव्य उत्सव का आनंद लेना चाहते हैं और इसकी आध्यात्मिकता एवं परंपरा को महसूस करना चाहते हैं, तो इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें….
ओणम क्या है? | Onam Kya Hai?
ओणम (Onam) केरल (Kerala) का एक प्रमुख त्योहार है, जो हर साल चिंगम मास में मनाया जाता है। यह उत्सव राजा बलि की घर वापसी और भगवान वामन (Bhagwan Vaman) के अवतार की स्मृति में आयोजित किया जाता है। ओणम का पर्व दस दिनों तक चलता है, जिसमें तिरुवोणम का दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान लोग अपने घरों को रंग-बिरंगे फूलों से सजाते हैं और पारंपरिक व्यंजन बनाते हैं। ओणम का त्योहार सामाजिक समरसता, प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है। लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर नृत्य, संगीत और खेलों का आनंद लेते हैं। यह त्योहार फसल के मौसम के अंत और समृद्धि का प्रतीक भी है, जिससे केरल की संस्कृति और परंपरा को दर्शाया जाता है।
ओणम 2025 कब है? | Onam 2025 Kab Hai?
ओणम (Onam) महोत्सव 2025 में 5 सितंबर को मनाया जाएगा। यह त्यौहार केरल में हर साल चिंगम मास के दौरान आयोजित होता है और दस दिनों तक चलता है। थिरुवोणम, जो इस उत्सव का अंतिम दिन है, विशेष महत्व रखता है। इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं, पारंपरिक व्यंजन बनाते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। ओणम का पर्व राजा महाबली की घर वापसी का प्रतीक है, जो लोगों के बीच एकता और समृद्धि का संदेश फैलाता है।
ओणम कैसे मनाते हैं? | Onam Kaise Manate Hain?
- अथम से थिरुवोनम तक 10 दिवसीय उत्सव: ओणम 10 दिनों तक मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत “अथम” से होती है और समापन “थिरुवोनम” के दिन होता है। हर दिन खास रस्में निभाई जाती हैं, जिनमें फूलों की सजावट, पारंपरिक खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होते हैं।
- पुक्कलम (फूलों की रंगोली) बनाना: ओणम के दौरान घरों के आंगन में रंग-बिरंगे फूलों से “पुक्कलम” बनाई जाती है। यह राजा महाबली के स्वागत का प्रतीक मानी जाती है। प्रत्येक दिन इसमें नए फूल जोड़े जाते हैं, जिससे इसकी सुंदरता बढ़ती जाती है।
- ओणम संध्या (विशेष भोज): इस दिन “ओणम संध्या” नामक भव्य भोज तैयार किया जाता है, जिसमें केले के पत्ते पर 20 से अधिक पारंपरिक व्यंजन परोसे जाते हैं। इनमें अवियल, सांबर, पायसम और चोरू (चावल) प्रमुख होते हैं, जो इस पर्व की पहचान हैं।
- वल्लम कली (नौका दौड़): ओणम के अवसर पर “वल्लम कली” यानी नौका दौड़ का आयोजन किया जाता है, जिसमें पारंपरिक नावों पर सवार प्रतिभागी नदी में प्रतियोगिता करते हैं। यह केरल की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है और हजारों लोग इसे देखने के लिए इकट्ठा होते हैं।
- पारंपरिक नृत्य और कला प्रदर्शन: इस उत्सव में कथकली, पुलिकली (बाघ नृत्य) और मोहिनी अट्टम जैसे नृत्य प्रस्तुत किए जाते हैं। पुलिकली में लोग बाघ के रूप में शरीर पर चित्रकारी करवाकर नृत्य करते हैं, जिससे पूरे माहौल में उमंग और उत्साह का संचार होता है।
- महाबली की पूजा और स्वागत: यह पर्व राजा महाबली के स्वागत के रूप में मनाया जाता है। लोग घरों की सफाई कर सजाते हैं और दीप जलाकर उनका स्वागत करते हैं। मान्यता है कि इस दिन राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने आते हैं, इसलिए उनका स्वागत हर्षोल्लास से किया जाता है।
ओणम का इतिहास क्या है? | Onam Ka Itihas Kya Hai?
ओणम (Onam) का इतिहास पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि प्राचीन काल में दानव कुल के महान राजा महाबली ने अपनी शक्ति, परोपकार और न्यायप्रियता से संपूर्ण पृथ्वी और स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था। उनकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई थी कि देवता उनके प्रभाव से चिंतित हो गए और भगवान विष्णु से सहायता मांगी। तब विष्णु ने वामन अवतार लिया और ब्राह्मण बालक के रूप में महाबली के समक्ष भिक्षा मांगने पहुंचे। वामन ने राजा से तीन पग भूमि दान में मांगी। महाबली ने इसे सहर्ष स्वीकार कर लिया।
भगवान वामन ने अपने पहले पग में संपूर्ण पृथ्वी, दूसरे पग में आकाश को नाप लिया। जब तीसरे पग के लिए स्थान नहीं बचा, तो महाबली ने अपना सिर आगे कर दिया। भगवान विष्णु ने उनके त्याग और भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें पाताल लोक का राजा बना दिया, लेकिन एक वरदान दिया कि वर्ष में एक बार वह अपनी प्रजा से मिलने पृथ्वी पर आ सकते हैं। इसी आगमन के उपलक्ष्य में केरलवासी ओणम पर्व मनाते हैं।
ओणम का महत्व क्या है? | Onam Ka Mahatva Kya Hai?
- पौराणिक और धार्मिक महत्व: ओणम (Onam) राजा महाबली (Raja Mahabali) की याद में मनाया जाता है, जिन्हें भगवान विष्णु ने वामन अवतार में पाताल लोक भेजा था। मान्यता है कि इस दिन महाबली अपनी प्रजा से मिलने आते हैं, इसलिए उनका स्वागत हर्षोल्लास से किया जाता है।
- सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व: यह त्योहार केरल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। इस दौरान पारंपरिक नृत्य, नौका दौड़, लोकगीत और विभिन्न उत्सवों का आयोजन होता है, जो समाज में एकता, भाईचारे और सौहार्द की भावना को मजबूत करता है।
- कृषि और आर्थिक महत्व: ओणम फसल कटाई के पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। किसान नई फसल के लिए भगवान का आभार प्रकट करते हैं। इसके साथ ही यह व्यापार और पर्यटन को भी बढ़ावा देता है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है।
Conclusion
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FAQ’s:-Onam 2025
Q. ओणम किस राज्य का प्रमुख त्योहार है?
Ans. ओणम (Onam) केरल का प्रमुख त्योहार है, जिसे पूरे राज्य में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
Q. ओणम का संबंध किस पौराणिक राजा से है?
Ans. ओणम का संबंध राजा महाबली से है, जिनकी स्मृति में यह त्योहार मनाया जाता है।
Q. ओणम कितने दिनों तक मनाया जाता है?
Ans. ओणम 10 दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें ‘थिरुवोनम’ का दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है।
Q. ओणम पर्व से जुड़ी प्रमुख पौराणिक कथा कौन सी है?
Ans. ओणम पर्व राजा महाबली और भगवान विष्णु के वामन अवतार से जुड़ी कथा पर आधारित है।
Q. ओणम के दौरान बनाई जाने वाली फूलों की रंगोली को क्या कहते हैं?
Ans. ओणम के दौरान बनाई जाने वाली फूलों की रंगोली को ‘पुक्कलम’ कहा जाता है।
Q. ओणम के खास भोज का क्या नाम है और इसमें कितने व्यंजन परोसे जाते हैं?
Ans. ओणम संध्या नामक भोज में केले के पत्ते पर 20 से अधिक पारंपरिक व्यंजन परोसे जाते हैं।