
विश्वकर्मा पूजा 2025: शुभ मुहूर्त, महत्व व इतिहास Vishwakarma Puja 2025: (Shubh Muhurat, Mahatva Aur Itihas): विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja) हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और श्रद्धा से जुड़ा पर्व है, जिसे सृष्टि के महान शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा की आराधना के लिए मनाया जाता है। यह तिथि केवल धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि वास्तु, निर्माण, तकनीकी कौशल और औद्योगिक विकास का भी प्रतीक है। क्या आप जानते हैं कि विश्वकर्मा पूजा का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व क्या है? यह पर्व क्यों मनाया जाता है और इसका आध्यात्मिक प्रभाव क्या है?
यदि आप विश्वकर्मा पूजा 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त के बारे में जानना चाहते हैं, तो यह समझना आवश्यक है कि हिंदू पंचांग के अनुसार इसका निर्धारण कैसे किया जाता है। इस दिन विशेष पूजा, यज्ञ, हवन और कार्यस्थलों पर होने वाले अनुष्ठानों का क्या महत्व है? क्या इस दिन भगवान विश्वकर्मा की कृपा प्राप्त करने से जीवन में उन्नति, समृद्धि और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है? इस लेख में हम आपको विश्वकर्मा पूजा 2025 की सम्पूर्ण जानकारी देंगे—इसकी तिथि, शुभ मुहूर्त, पौराणिक इतिहास और इस दिन किए जाने वाले धार्मिक कार्यों के बारे में विस्तार से बताएंगे।
यदि आप भी इस पावन अवसर पर भगवान विश्वकर्मा की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं और कर्म एवं समर्पण के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहते हैं, तो इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें…
विश्वकर्मा पूजा क्या है? | Vishwakarma Puja Kya Hai?
विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja) हिंदू धर्म में एक प्रमुख त्योहार है, जो भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है। विश्वकर्मा को देवताओं के शिल्पकार और सृष्टि के निर्माता के रूप में माना जाता है। यह पूजा मुख्य रूप से कारखानों, कार्यालयों, कार्यशालाओं और घरों में की जाती है, जहाँ लोग अपने उपकरण, मशीनें और औजारों की पूजा करते हैं। यह पूजा कर्मकांड और नवीनता का प्रतीक है, जो लोगों को अपने कार्यक्षेत्र में सफलता और समृद्धि की कामना करने का अवसर देती है। यह त्योहार हर साल भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की संक्रांति तिथि को मनाया जाता है।
विश्वकर्मा पूजा 2025 कब है? | Vishwakarma Puja 2025 Kab Hai?
विश्वकर्मा पूजा 2025 (Vishwakarma Puja 2025) में 17 सितंबर, बुधवार को मनाई जाएगी। यह त्योहार भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की संक्रांति तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने कार्यस्थलों और घरों में मशीनों, औजारों और उपकरणों की पूजा करते हैं ताकि उन्हें कार्य में सफलता और सुरक्षा मिल सके।
विश्वकर्मा पूजा 2025 का शुभ मुहूर्त क्या है? | Vishwakarma Puja 2025 Ka Shubh Muhurat Kya Hai?
S.NO | विवरण | तिथि और समय |
1 | विश्वकर्मा पूजा तिथि | बुधवार, 17 सितंबर 2025 |
2 | पुण्यकाल का शुभ मुहूर्त | सुबह 06:07 से दोपहर 12:15 तक |
3 | महापुण्यकाल का शुभ मुहूर्त | सुबह 06:07 से सुबह 08:10 तक |
4 | पूजा की कुल अवधि (महापुण्यकाल) | 02 घंटे 03 मिनट |
विश्वकर्मा पूजा की विधि क्या है? | Vishwakarma Puja Ki Vidhi Kya Hai?
- पूजा स्थल की शुद्धि और सामग्री की व्यवस्था: भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या चित्र को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। पूजा के लिए फूल, अक्षत, रोली, दीप, धूप, नैवेद्य और पंचामृत की व्यवस्था करें। कार्यस्थल और औजारों को भी गंगाजल से शुद्ध करके पूजा में शामिल करें।
- संकल्प और भगवान विश्वकर्मा का ध्यान: संकल्प लेकर पूजा प्रारंभ करें और भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करें। श्रद्धा भाव से उनकी प्रार्थना करें और पूजा सामग्री अर्पित करें। इस दिन विशेष रूप से यंत्रों, औजारों, मशीनों और उपकरणों की पूजा की जाती है, ताकि कार्य में उन्नति और सफलता प्राप्त हो।
- मंत्र जाप और भगवान की कृपा प्राप्ति: भगवान विश्वकर्मा के मंत्रों का जाप करें और विशेष रूप से “ॐ आधार शक्तपे नमः, ॐ कूमयि नमः, ॐ अनंतम नमः” मंत्र का उच्चारण करें। मंत्र जाप से कार्यों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और भगवान विश्वकर्मा की कृपा प्राप्त होती है।
- हवन का आयोजन और आहुति अर्पण: हवन का आयोजन करें और उसमें घी, हवन सामग्री, गूगल, चंदन आदि अर्पित करें। हवन में भगवान विश्वकर्मा के मंत्रों का उच्चारण करते हुए आहुति दें। हवन से वातावरण शुद्ध होता है और कार्यस्थल में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
- प्रसाद वितरण और सामूहिक भंडारा: कर्मचारियों, शिल्पकारों और उद्योगों से जुड़े लोगों के बीच प्रसाद वितरण करें। इस दिन कार्यस्थलों पर विशेष पूजा और भंडारे का आयोजन भी किया जाता है, जिससे सभी में सामूहिक रूप से सद्भावना और समर्पण की भावना विकसित होती है।
- आरती, प्रार्थना और समापन विधि: पूजा के अंत में भगवान विश्वकर्मा से अपने कार्य में सफलता और समृद्धि की प्रार्थना करें। उन्हें पुष्पांजलि अर्पित करें और आरती करें। इसके बाद प्रसाद ग्रहण करें और सभी को वितरित करें। इस दिन कोई भी नया कार्य या मशीन का शुभारंभ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
विश्वकर्मा पूजा की कथा क्या है? | Vishwakarma Puja Ki Katha Kya Hai?
भगवान विश्वकर्मा (Vishwakarma Puja) को सृष्टि का दिव्य शिल्पकार और देवताओं के महान वास्तुकार के रूप में जाना जाता है। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार, उन्होंने अनेक स्वर्गीय नगरों, देवताओं के दिव्य अस्त्र-शस्त्र, और भव्य मंदिरों का निर्माण किया।
एक प्रचलित कथा के अनुसार, त्रेतायुग में जब असुरों का अत्याचार बढ़ा, तो भगवान इंद्र ने भगवान विश्वकर्मा से सहायता मांगी। उन्होंने इंद्रपुरी (स्वर्ग लोक) का पुनर्निर्माण किया और देवताओं के लिए अद्भुत अस्त्र-शस्त्र तैयार किए। उन्हीं के द्वारा भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र, भगवान शिव का त्रिशूल और इंद्र का वज्र बनाया गया। एक अन्य कथा के अनुसार, रावण ने जब भगवान शिव की घोर तपस्या कर स्वर्ण नगरी लंका प्राप्त की, तब इस भव्य नगरी का निर्माण स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने किया था।
यह नगर अद्भुत, स्वर्ण से जड़ा हुआ और अपार संपत्ति से भरपूर था। इसी प्रकार द्वापर युग में भगवान कृष्ण की नगरी द्वारका का निर्माण भी भगवान विश्वकर्मा ने किया, जो समुद्र के किनारे स्थित एक भव्य नगर था। विश्वकर्मा जी की पूजा विशेष रूप से शिल्पकारों, तकनीकी कार्यों में लगे लोगों, उद्योगों और मशीनरी से जुड़े व्यवसायियों द्वारा की जाती है। इस दिन लोग अपने औजारों, मशीनों और कार्यस्थलों की विशेष रूप से सफाई कर भगवान विश्वकर्मा की आराधना करते हैं, ताकि उनका कार्यक्षेत्र समृद्ध और उन्नत बना रहे।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और व्यावसायिक उन्नति से भी जुड़ा है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद प्राप्त कर व्यक्ति अपने कार्यों में सफलता और समृद्धि की कामना करता है।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व क्या है? | Vishwakarma Puja Ka Mahatva Kya Hai?
- श्रम और तकनीकी कौशल का सम्मान: विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja) शिल्पकारों, कारीगरों, इंजीनियरों और तकनीकी विशेषज्ञों के योगदान को सम्मानित करने का पर्व है। इस दिन औजारों, मशीनों और उपकरणों की विशेष पूजा की जाती है ताकि वे लंबे समय तक कार्यक्षमता बनाए रखें।
- व्यवसाय और औद्योगिक उन्नति का प्रतीक: यह पूजा उद्योगों, फैक्ट्रियों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में समृद्धि और सफलता की कामना के लिए की जाती है। माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद मिलने से व्यवसाय में निरंतर वृद्धि और आर्थिक स्थिरता बनी रहती है।
- सृजन और सकारात्मक ऊर्जा का संचार: भगवान विश्वकर्मा को सृजन और निर्माण का देवता माना जाता है। उनकी पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, रचनात्मकता और कार्य के प्रति समर्पण की भावना विकसित होती है, जिससे नए अवसरों और सफलताओं का मार्ग प्रशस्त होता है।
Conclusion
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FAQ’s
Q. विश्वकर्मा पूजा किस देवता को समर्पित होती है?
Ans. विश्वकर्मा पूजा भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है, जो देवताओं के शिल्पकार और सृष्टि के महान वास्तुकार माने जाते हैं।
Q. विश्वकर्मा पूजा 2025 में कब मनाई जाएगी?
Ans. विश्वकर्मा पूजा 2025 में 17 सितंबर, बुधवार को मनाई जाएगी, जो भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की संक्रांति तिथि को पड़ती है।
Q. विश्वकर्मा पूजा का प्रमुख उद्देश्य क्या होता है?
Ans. इस पूजा का मुख्य उद्देश्य कार्यस्थल, मशीनों और औजारों की पूजा कर भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद प्राप्त करना और कार्य में सफलता की कामना करना है।
Q. विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त 2025 में क्या है?
Ans. 2025 में विश्वकर्मा पूजा का पुण्यकाल सुबह 06:07 से दोपहर 12:15 तक रहेगा, जबकि महापुण्यकाल सुबह 06:07 से 08:10 तक होगा।
Q. भगवान विश्वकर्मा ने कौन-कौन से प्रमुख निर्माण किए थे?
Ans. भगवान विश्वकर्मा ने स्वर्गलोक, द्वारका नगरी, इंद्रपुरी, सुदर्शन चक्र, त्रिशूल और रावण की स्वर्ण नगरी लंका का निर्माण किया था।
Q. विश्वकर्मा पूजा में कौन-कौन सी सामग्री आवश्यक होती है?
Ans. पूजा के लिए फूल, अक्षत, रोली, दीप, धूप, नैवेद्य, पंचामृत, हवन सामग्री और गंगाजल की आवश्यकता होती है।