शुरुआत की तिथि का ज्योतिषीय महत्व: महाकुंभ 2025 की शुरुआत 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के दिन होगी, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा। इस दिन का खास धार्मिक महत्व है क्योंकि इसे सभी शुभ कार्यों की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।

108 वर्षों का दुर्लभ संयोग: 2025 का महाकुंभ ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार 108 वर्षों के विशेष संयोग पर आधारित होगा, जो इसे और भी पवित्र बनाता है।

ग्रह-नक्षत्रों का प्रभाव: महाकुंभ की तिथि के निर्धारण में सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति की खास स्थिति को ध्यान में रखा जाता है। यह संयोग अद्वितीय ऊर्जा को जन्म देता है।

पौराणिक कथा का संबंध: मकर संक्रांति के दिन, देवता और असुरों के बीच अमृत कलश को लेकर हुए समुद्र मंथन का एक प्रमुख चरण हुआ था। इसी कारण यह दिन महाकुंभ के लिए चुना गया।

आस्था और विज्ञान का मेल: तिथि निर्धारण के लिए केवल धार्मिक कारण नहीं, बल्कि खगोलीय घटनाओं का भी सटीक अध्ययन किया गया है।

गंगा स्नान का शुभ समय: 14 जनवरी 2025 की सुबह 5:15 से लेकर 6:45 तक का समय स्नान के लिए सबसे शुभ माना गया है।

जल की शुद्धता: महाकुंभ के दौरान गंगा का जल स्वतः ही शुद्ध हो जाता है। वैज्ञानिकों ने इसे सूर्य और चंद्रमा के गुरुत्वीय बलों का प्रभाव बताया है।