
हरियाली अमावस्या 2025: शुभ मुहूर्त, महत्व व इतिहास Hariyali Amavasya 2025: (Shubh Muhurat, Mahatva Aur Itihas): हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली अमावस्या का यह पावन त्यौहार मनाया जाता है। हरियाली अमावस्या के दिन लोग अपने पितरों को याद करते हैं उन्हें शांत करने के लिए कई उपाय करते हैं, यह तिथि न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि प्रकृति प्रेमियों और किसानों के लिए भी विशेष महत्व रखती है। क्या आप जानते हैं कि हरियाली अमावस्या का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व क्या है? यह पर्व क्यों मनाया जाता है और इसका आध्यात्मिक प्रभाव क्या है?
यदि आप हरियाली अमावस्या 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त के बारे में जानना चाहते हैं, तो यह समझना आवश्यक है कि हिंदू पंचांग के अनुसार इसका निर्धारण कैसे किया जाता है। इस दिन पीपल, तुलसी और अन्य पवित्र वृक्षों की पूजा का क्या महत्व है? क्या इस दिन विशेष अनुष्ठान करने से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है? इस लेख में हम आपको हरियाली अमावस्या 2025 की सम्पूर्ण जानकारी देंगे—इसकी तिथि, शुभ मुहूर्त, पौराणिक इतिहास और इस दिन किए जाने वाले धार्मिक कार्यों के बारे में विस्तार से बताएंगे।
यदि आप भी इस पावन अवसर पर प्रकृति के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करना चाहते हैं और आध्यात्मिक शांति प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें…..
हरियाली अमावस्या क्या है? | Hariyali Amavasya Kya Hai?
हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो श्रावण मास की अमावस्या को मनाया जाता है। यह त्योहार प्रकृति और हरियाली को समर्पित है। इस दिन लोग वृक्षारोपण करते हैं और प्रकृति की पूजा करते हैं। यह त्योहार मानसून के आगमन का प्रतीक है और इसे उत्तर भारत, विशेषकर राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं और हरियाली को बढ़ावा देने के लिए पेड़ लगाते हैं।
हरियाली अमावस्या 2025 कब है? | Hariyali Amavasya 2025 Kab Hai?
हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) 2025 में 24 जुलाई, गुरुवार को मनाई जाएगी। यह त्योहार श्रावण मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दिन लोग प्रकृति की पूजा करते हैं और वृक्षारोपण करते हैं। यह त्योहार मानसून के मौसम में आता है, जो हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाता है।
- हरियाली अमावस्या व्रत कथा
- हरियाली अमावस्या पूजन विधि
- मौनी अमावस्या व्रत कथा
- मौनी अमावस्या पूजन विधि
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हरियाली अमावस्या 2025 का शुभ मुहूर्त क्या है? | Hariyali Amavasya 2025 Ka Shubh Muhurat Kya Hai?
S.NO | विवरण | तिथि एवं शुभ मुहूर्त |
1 | हरियाली अमावस्या 2025 | 24 जुलाई 2025 |
2 | प्रारंभ समय | 24 जुलाई 2025, 02:28 AM |
3 | समाप्ति समय | 25 जुलाई 2025, 12:40 AM |
हरियाली अमावस्या के दिन क्या-क्या करना चाहिए? | Hariyali Amavasya Ke Din Kya-Kya Karna Chahiye?
- प्रातः स्नान एवं पवित्र नदी में डुबकी: हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) के दिन हिंदू अनुयायी प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करते हैं। यदि संभव हो तो वे पवित्र नदियों जैसे गंगा, यमुना या किसी अन्य तीर्थस्थल में स्नान करते हैं। ऐसा करने से शारीरिक और मानसिक शुद्धि प्राप्त होती है और पापों का नाश माना जाता है।
- पूजा, तर्पण एवं संकल्प विधि: इस दिन विशेष रूप से पितरों की शांति के लिए तर्पण किया जाता है। ब्राह्मण के मार्गदर्शन में संकल्प लिया जाता है और पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए जल, तिल और कुश आदि से तर्पण किया जाता है। यह अनुष्ठान करने से पितृ दोष की शांति होती है।
- विशेष भोग एवं प्रसाद की तैयारी: इस दिन घर में विशेष रूप से पूड़ी, खीर, हलवा आदि पकाया जाता है। यह भोजन पहले भगवान को अर्पित किया जाता है, फिर इसे ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से पूर्वज तृप्त होते हैं और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है।
- परिवार के बड़े पुरुष सदस्य द्वारा सभी विधियों का संपादन: पितरों के निमित्त किए जाने वाले सभी संस्कार और अनुष्ठान परिवार के सबसे बड़े पुरुष सदस्य द्वारा किए जाते हैं। ऐसा करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। यदि घर में बड़ा पुरुष सदस्य न हो, तो परिवार की महिलाएं भी यह अनुष्ठान कर सकती हैं।
- दान-पुण्य एवं ब्राह्मणों को अन्नदान: हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) के दिन दान का विशेष महत्व होता है। इस दिन अन्न, वस्त्र, धन आदि का दान ब्राह्मणों, जरूरतमंदों और गौशालाओं में करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन किया गया दान पूर्वजों तक पहुंचता है और उनके आशीर्वाद से परिवार में समृद्धि आती है।
हरियाली अमावस्या का महत्व क्या है? | Hariyali Amavasya Ka Mahatva Kya Hai?
- हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) का पर्व प्रकृति के प्रति सम्मान और संरक्षण का प्रतीक है। इस दिन वृक्षारोपण करने से पर्यावरण को सहेजने का संदेश मिलता है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि हमें अपने चारों ओर हरियाली बनाए रखने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए।
- इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। भक्तजन इस अवसर पर विशेष अनुष्ठान और तर्पण करते हैं, जिससे उन्हें आशीर्वाद मिलता है।
- हरियाली अमावस्या पर दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन काले तिल का दान करने से बुरे ग्रहों के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। इसके साथ ही, पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है, जो जीवन में सकारात्मकता लाता है।
- कजरी तीज
- हरतालिका तीज
Conclusion
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FAQ’s:-Hariyali Amavasya 2025
Q. हरियाली अमावस्या कब मनाई जाती है?
Ans. हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) श्रावण मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। यह प्रकृति और पर्यावरण को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है।
Q. हरियाली अमावस्या 2025 में कब पड़ेगी?
Ans. हरियाली अमावस्या 2025 में 24 जुलाई, गुरुवार को मनाई जाएगी। इस दिन लोग वृक्षारोपण करते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं।
Q. हरियाली अमावस्या 2025 का शुभ मुहूर्त क्या है?
Ans. हरियाली अमावस्या 2025 की शुरुआत 24 जुलाई को 02:28 AM पर होगी और इसका समापन 25 जुलाई को 12:40 AM पर होगा।
Q. हरियाली अमावस्या के दिन कौन से धार्मिक कार्य किए जाते हैं?
Ans. इस दिन लोग स्नान, पूजा-पाठ, पितरों के लिए तर्पण, वृक्षारोपण और दान-पुण्य जैसे धार्मिक कार्य करते हैं।
Q. हरियाली अमावस्या पर वृक्षारोपण क्यों किया जाता है?
Ans. हरियाली अमावस्या प्रकृति के संरक्षण का प्रतीक है, इसलिए इस दिन वृक्षारोपण करके पर्यावरण संतुलन बनाए रखने का संदेश दिया जाता है।
Q. हरियाली अमावस्या पर भगवान शिव की पूजा का क्या महत्व है?
Ans. मान्यता है कि हरियाली अमावस्या पर भगवान शिव की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।