
बुधवार व्रत कथा नियम, पूजा विधि, प्रमुख मंत्र और महत्व Budhwar Vrat Katha PDF Download, Niyam, Pooja Vidhi, Pramukh Mantra aur Mahatva): हिंदू धर्म में सप्ताह के प्रत्येक दिन का विशेष महत्व होता है और बुधवार का दिन बुद्धि, वाणी और व्यापार के देवता भगवान बुध और प्रथम पूज्य भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन व्रत रखने की परंपरा बहुत प्राचीन है, जिसे श्रद्धालु पूरे नियम और विधि के साथ करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बुधवार व्रत क्या है?
यह व्रत क्यों रखा जाता है और इसका लाभ किसे मिलता है? अगर आपके मन में भी यही सवाल हैं, तो यह लेख आपके लिए बेहद खास है। बुधवार व्रत को लेकर लोगों के मन में कई जिज्ञासाएं होती हैं, जैसे बुधवार व्रत के नियम क्या हैं? क्या इसे हर कोई कर सकता है?, व्रत करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? साथ ही जब बात पूजा की आती है तो यह जानना आवश्यक हो जाता है कि बुधवार व्रत की पूजा विधि क्या है? आखिर किस विधि से पूजा करने पर भगवान का आशीर्वाद शीघ्र प्राप्त होता है? इसके साथ ही, इस व्रत में बोले जाने वाले मंत्रों का भी विशेष महत्व होता है। लोग जानना चाहते हैं कि बुधवार व्रत का प्रमुख मंत्र कौन सा है? और यह भी कि बुधवार व्रत का महत्व क्या है? क्या यह व्रत केवल धार्मिक लाभ देता है या इसका जीवन पर भी प्रभाव पड़ता है?
अगर आपके मन में भी यही सारे सवाल हैं, तो यह लेख आपके लिए एक संपूर्ण मार्गदर्शिका साबित होगा। आइए, जानते हैं बुधवार व्रत से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी विस्तार से…..
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बुधवार व्रत कथा | Budhwar Vrat Katha

नमस्कार दोस्तों! आप सभी का दिल से स्वागत है हमारे चैनल जनभक्ति में। आज के हमारे इस वीडियो में हम आपके लिए बुधवार की व्रत कथा लेकर आए हैं। प्राचीन समय की बात थी एक समतापूर्ण नगर में एक व्यक्ति मधु सुधन नाम का एक व्यक्ति रहता था वह बहुत धनवान था मधु सुधन का विवाह बलरामपुर नगर की एक सुंदर लड़की संगीता से हुआ था एक बार मधुसुधन अपनी पत्नी संगीता को लेने वह बुधवार के दिन बलरामपुर गया मधुसूदन ने अपनी पत्नी के माता-पिता से कहा कि बेटी को विदा कर दो माता पिता ने कहा बेटा आज बुधवार है बुधवार को किसी भी कार्य के लिए यात्रा नहीं करते लेकिन मधु सुधन नहीं माना उसने ऐसी शुभ-अशुभ बातों को ना मानने की बात कही और फिर उसने अपनी पत्नी को लेकर बैलगाड़ी से यात्रा प्रारंभ कर दी दो कौश की यात्रा करने के बाद उसकी गाड़ी का एक पहिया टूट गया और वहां से दोनों ने पैदल ही यात्रा को शुरू किया रास्ते में संगीता को प्यास लगी मधु सुधन उसे एक पेड़ के नीचे बैठा कर जल लेने चला गया थोड़ी देर बाद जब मधुर सुगंध कहीं से जल लेकर वापस आया तो वह बहुत हैरान हो गया क्योंकि उसकी पत्नी के पास उसकी ही शक्ल-सूरत का एक दूसरा व्यक्ति बैठा था संगीता भी मधु सुधन को देखकर हैरान रह गई और वह दोनों में कोई अंतर नहीं कर पाई मधु सूदन ने उस व्यक्ति से कहा तुम कौन हो और मेरी पत्नी के पास क्यों बैठे हो मधु सुधन की बात सुनकर उस व्यक्ति ने कहा अरे भाई यह मेरी पत्नी संगीता है मैं अपनी पत्नी को ससुराल से विदा कर के लाया हूं लेकिन तुम कौन है जो मुझसे ऐसा प्रश्न कर रहे हो मधु सुधन ने कहा तुम जरूर कोई चोर या ठग हो यह मेरी पत्नी संगीता है मैं इसे पेड़ के नीचे बैठा कर पानी लेने गया था इस पर उस व्यक्ति ने कहा अरे भाई तुम झूठ क्यों बोल रहे हो संगीता को प्यास लगने पर जल लेने तो मैं गया था मैंने तो जल लाकर अपनी पत्नी को पिला भी दिया अब तुम चुपचाप यहां से चलते बनो नहीं तो किसी सिपाही को बुलाकर तुम्हें पकड़वा दूंगा दोनों एक-दूसरे से लड़ने लगे उन्हें लड़ते हुवे देखकर बहुत से लोग वहां इकट्ठे हो गये नगर के कुछ सिपाही भी वहां आ गए सिपाही उन दोनों को पकड़ कर राजा के पास ले गए और उनकी सारी कहानी सुनकर राजा भी कोई निर्णय नहीं कर पाया संगीता भी उन दोनों में से अपने वास्तव पति को नहीं पहचान रही थी राजा ने दोनों को कारागार में डाल देने के लिए कहा राजा के फैसले पर असली मधु सुधन भयभीत हो उठा तभी आकाशवाणी हुई मधु सुधन तूने संगीता के माता-पिता की बात नहीं मानी और बुधवार के दिन अपनी पत्नी को अपने सुसराल से लेकर घर की ओर प्रस्थान किया यह सब भगवान बुध देव का प्रकोप है मधु सुधन ने भगवान बुध देव से प्रार्थना की कि हे भगवान मुझे क्षमा कर दीजिए मुझसे बहुत बड़ी गलती हुई है भविष्य में मैं कभी ऐसा नहीं करूंगा मधुसुधन के प्रार्थना करने से भगवान बुध देव ने उसे क्षमा कर दिया और तभी दूसरा व्यक्ति राजा के सामने से गायब हो गया राजा और दूसरे लोग इस चमत्कार को देखकर हैरान रह गए भगवान बुध देव की कि अनुकंपा से राजा ने मधु सुधनऔर उसकी पत्नी को सम्मानपूर्वक विदा किया दोनों समतापूर्ण की ओर चल दिए मधु सुधनऔर उसकी पत्नी दोनों बुधवार को व्रत करते हुए आनंद पूर्वक अपना जीवन बिताने लगे और इसी तरह भगवान बुध देव की कृपा से उनके यहां खुशियां बरसने लगी और इसी तरह जो भी विधिवत बुधवार का व्रत करके कथा सुनते हैं भगवान बुध देव उनके सभी कष्टों को दूर करते हैं , तो दोस्तों कैसी लगी आपको आज की हमारी यह कथा ऐसी और कथाओं के लिए हमारे चैनल जन्भक्ति को सब्सक्राइब करें धन्यवाद
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बुधवार व्रत के नियम क्या हैं? | Budhwar Vrat ke Niyam kya Hain?
- सुबह जल्दी उठें और स्नान करें: बुधवार व्रत (Budhwar Vrat) के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना अनिवार्य है। स्वच्छ हरे वस्त्र पहनें। यह शुद्धता और भक्ति का प्रतीक है। पूजा से पहले मन को शांत रखें और सकारात्मक विचार लाएं।
- सात्विक भोजन करें: इस दिन सात्विक भोजन या फलाहार करें। नमक, लहसुन और प्याज से परहेज करें। हरी मूंग दाल या फल खाएं। यह शरीर और मन को शुद्ध रखता है।
- हरे रंग का उपयोग करें: बुध ग्रह का रंग हरा है। इसलिए हरे वस्त्र पहनें और पूजा में हरी वस्तुएं जैसे मूंग दाल, पत्ते या कपड़ा चढ़ाएं। यह शुभ माना जाता है।
- दान करें: व्रत के बाद गरीबों को दान देना जरूरी है। हरी मूंग दाल, हरे कपड़े या किताबें दान करें। यह पुण्य कार्य बुध ग्रह को प्रसन्न करता है।
- मंत्र जाप करें: पूजा के दौरान “ॐ बुं बुधाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। यह बुध ग्रह के दोषों को दूर करता है और बुद्धि बढ़ाता है।
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बुधवार व्रत विधि ? | Budhwar Vrat Vidhi)
- प्रातःकाल स्नान एवं संकल्प लें: बुधवार व्रत (Budhwar Vrat) के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करके आसन पर बैठें और व्रत का संकल्प लें—“मैं श्रद्धा एवं विश्वास के साथ बुधवार व्रत रख रहा/रही हूँ, कृपया भगवान बुध कृपा करें।”
- पूजा स्थान की तैयारी करें: घर के पूजा स्थान को अच्छे से साफ करें और वहां एक लकड़ी की चौकी पर हरा कपड़ा बिछाएं। उस पर भगवान बुध और श्री गणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। पास में एक तांबे के पात्र में जल, फल, फूल, दूर्वा और मिठाई रखें।
- भगवान गणेश और बुध देव की पूजा करें: सबसे पहले श्री गणेश जी की विधिपूर्वक पूजा करें। इसके बाद भगवान बुध की पूजा करें। उन्हें हरी वस्तुएं जैसे मूंग, तुलसी, पत्ते आदि अर्पित करें। धूप, दीप, फूल और नैवेद्य चढ़ाएं। पूजा करते समय शांत चित्त से मंत्रों का उच्चारण करें।
- बुधवार व्रत कथा का श्रवण करें: पूजा के बाद व्रत कथा का पाठ या श्रवण करना आवश्यक होता है। यह कथा भगवान बुध की कृपा से एक निर्धन ब्राह्मण के समृद्ध बनने की कहानी पर आधारित होती है। कथा से यह संदेश मिलता है कि सत्य और श्रद्धा से किया गया व्रत फलदायी होता है।
- बुधवार का विशेष मंत्र जपें: पूजा के समय या उसके पश्चात “ॐ बुं बुधाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। यह मंत्र बुध ग्रह को शांत करता है और वाणी में मधुरता, बुद्धि में तीव्रता तथा व्यापार में वृद्धि प्रदान करता है। शांत वातावरण में मंत्र जाप करने से विशेष लाभ होता है।
- व्रत के दौरान उपवास का पालन करें: इस दिन हरी सब्जियों, फल, मूंग आदि का सेवन किया जाता है। नमक और तामसिक चीजों से बचना चाहिए। कुछ लोग निर्जल व्रत भी करते हैं, जबकि कुछ फलाहार लेते हैं। दिन भर मन में भक्ति भाव रखते हुए भगवान बुध का स्मरण करते रहना चाहिए।
- शाम को आरती कर व्रत पूर्ण करें: शाम के समय पुनः दीप जलाकर भगवान बुध की आरती करें। प्रसाद वितरित करें और व्रत का समापन करें। अगले बुधवार को व्रत को दोहराने का संकल्प लें यदि आप लगातार व्रत कर रहे हों। श्रद्धा और नियमपूर्वक व्रत करने से शीघ्र ही शुभ फल प्राप्त होते हैं।
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बुधवार का व्रत कैसे करें | Budhwar ka Vrat kaise karen
बुधवार का व्रत करने के लिए सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें। भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें और उनके सामने दीपक जलाएं। गणेश जी को मोदक और लड्डू जैसे मिठाई चढ़ाएं। इसके बाद भगवान गणेश व्रत कथा सुनें और गणेश जी या बुध देव की आरती करें। पूजा के बाद, गरीबों को दान-धर्म करें और उनकी मदद करें। दिन में व्रत करें और शाम को गणेश जी की आरती और मंत्रों का जाप करें।
बुधवार व्रत के फायदे |
बुधवार व्रत का विशेष महत्व हिन्दू धर्म में माना जाता है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान बुध (Mercury) को समर्पित होता है, जो बुद्धि, व्यापार, वाणी और तर्क के देवता माने जाते हैं। इस व्रत को रखने से व्यक्ति की बुद्धि तेज होती है, निर्णय क्षमता बढ़ती है और जीवन में आर्थिक स्थिरता आती है।
बुधवार व्रत के प्रमुख लाभ:
- बुद्धि और स्मरण शक्ति में वृद्धि – विद्यार्थी और ज्ञान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले इस व्रत से लाभ प्राप्त करते हैं।
- व्यापार में उन्नति – व्यवसाय में बार-बार नुकसान हो रहा हो तो बुधवार का व्रत रखने से लाभ मिलता है।
- दांपत्य जीवन में सामंजस्य – पति-पत्नी के रिश्तों में प्रेम और समझ बढ़ती है।
- ऋण मुक्ति में सहायक – यह व्रत आर्थिक परेशानियों को दूर कर ऋण से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
- स्वास्थ्य लाभ – बुध ग्रह त्वचा, तंत्रिका तंत्र और पाचन से संबंधित होता है, इसलिए व्रत से इन समस्याओं में राहत मिलती है।
इस दिन हरे वस्त्र पहनना, हरी मूंग की दाल का सेवन करना, और भगवान गणेश या भगवान विष्णु की पूजा करना शुभ माना जाता है। व्रत के साथ अच्छे कर्म, सेवा और सत्य बोलने का संकल्प भी लाभकारी होता है।
बुधवार व्रत उद्यापन विधि
बुधवार का व्रत विशेष रूप से भगवान श्री गणेश को समर्पित होता है। इस व्रत के उद्यापन के द्वारा व्रती व्रत का विधिपूर्वक समापन करता है और भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करता है। उद्यापन का अर्थ होता है व्रत का समापन किसी विशेष पूजा और दान आदि के माध्यम से करना।
बुधवार व्रत उद्यापन विधि:
- स्नान एवं संकल्प:
प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें कि आपने इतने बुधवार व्रत पूर्ण किए हैं और आज आप उद्यापन कर रहे हैं। - पूजा की तैयारी:
पूजा स्थान को स्वच्छ करके वहां गणेश जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। उनके समक्ष एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर पूजा सामग्री रखें। - गणेश पूजन:
गणेश जी को सिंदूर, हल्दी, अक्षत, फूल, दूर्वा, मिठाई (विशेष रूप से मोदक) आदि अर्पित करें। अगरबत्ती, दीपक जलाएं और गणेश जी के 108 नामों का जाप करें। “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। - कथा वाचन:
बुधवार व्रत की कथा का वाचन करें या सुनें। कथा के अंत में गणेश जी की आरती करें। - भोजन व्यवस्था:
उद्यापन के दिन ब्राह्मणों, कन्याओं या व्रतीजनों को भोजन करवाना उत्तम माना जाता है। भोजन में मीठा व सादा भोजन रखें। - दान-पुण्य:
पूजा के पश्चात यथाशक्ति ब्राह्मण, गरीब या जरूरतमंदों को दान करें। वस्त्र, मूर्ति, फल, अनाज, दक्षिणा आदि दान कर सकते हैं। - प्रसाद वितरण:
पूजा के बाद सभी को प्रसाद वितरित करें और खुद भी ग्रहण करें।
विशेष ध्यान दें:
उद्यापन हमेशा श्रद्धा, भक्ति और नियमपूर्वक करना चाहिए। यदि संभव हो तो इस दिन गाय को हरा चारा और पक्षियों को दाना भी दें।
बुधवार व्रत का प्रमुख मंत्र कौन सा है? | Budhwar Vrat ka Pramukh Mantra kaun Sa Hai?
बुधवार व्रत (Budhwar Vrat) का प्रमुख मंत्र है “ॐ बुं बुधाय नमः”। यह मंत्र बुध ग्रह को प्रसन्न करने के लिए जपा जाता है। इसे 108 बार जपने से बुद्धि, संचार और व्यापार में सफलता मिलती है। इसके अलावा “ॐ गं गणपतये नमः” भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि बुधवार को गणेश जी की पूजा की जाती है। यह मंत्र बाधाओं को दूर करता है। “बुधाय विद्महे इंदु पुत्राय धीमहि तन्नो बुधः प्रचोदयात्” गायत्री मंत्र भी जपा जाता है। ये मंत्र व्रत के प्रभाव को बढ़ाते हैं।
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बुधवार व्रत का महत्व क्या है? | Budhwar Vrat ka Mahatva kya Hai?
- बुद्धि और वाणी में सुधार: बुधवार व्रत (Budhwar Vrat) रखने से व्यक्ति की वाणी मधुर होती है और बुद्धि में प्रखरता आती है। यह व्रत विद्यार्थियों, वक्ताओं और लेखकों के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है, जिससे मानसिक क्षमता में वृद्धि होती है।
- व्यापार में वृद्धि और सफलता: यह व्रत व्यापार-व्यवसाय में तरक्की लाने वाला माना जाता है। जो व्यक्ति आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हों या अपने व्यवसाय में वृद्धि चाहते हों, उनके लिए बुधवार व्रत अत्यंत फलदायक और सौभाग्य प्रदान करने वाला होता है।
- बुध ग्रह की शांति के लिए: जिन जातकों की कुंडली में बुध ग्रह अशुभ स्थिति में हो, उन्हें बुधवार व्रत करने से विशेष लाभ मिलता है। यह व्रत बुध दोष को शांत करता है और जीवन में संतुलन, संयम और सफलता की दिशा में मार्ग प्रशस्त करता है।
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Conclusion:-Budhwar Vrat Katha
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FAQ’s:-Budhwar Vrat Katha
Q. बुधवार व्रत किसे समर्पित होता है?
Ans. बुधवार व्रत (Budhwar Vrat) भगवान बुध (बुध ग्रह) और श्री गणेश जी को समर्पित होता है। यह व्रत बुद्धि, वाणी और व्यापार में सफलता के लिए रखा जाता है।
Q. बुधवार व्रत में कौन-से रंग का महत्व होता है?
Ans. बुधवार व्रत (Budhwar Vrat) में हरे रंग का विशेष महत्व होता है। हरे वस्त्र पहनना और पूजा में हरी वस्तुएं चढ़ाना शुभ माना जाता है।
Q. बुधवार व्रत में कौन-से खाद्य पदार्थों से परहेज किया जाता है?
Ans. इस दिन नमक, लहसुन और प्याज से परहेज किया जाता है। केवल सात्विक भोजन या फलाहार ही किया जाता है।
Q. बुधवार व्रत की पूजा में कौन-सा प्रमुख मंत्र जपते हैं?
Ans. इस व्रत का प्रमुख मंत्र “ॐ बुं बुधाय नमः” है, जिसे 108 बार जपना शुभ होता है। यह मंत्र बुध ग्रह को शांत करता है।
Q. बुधवार व्रत की कथा सुनना क्यों जरूरी है?
Ans. व्रत कथा का श्रवण करने से व्रत का पूर्ण फल मिलता है। यह श्रद्धा और सत्य की महिमा को दर्शाती है।
Q. बुधवार व्रत किसके लिए विशेष लाभकारी होता है?
Ans. यह व्रत विद्यार्थियों, वक्ताओं, लेखकों और व्यापारियों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। बुध ग्रह के दोष दूर करने में भी सहायक होता है।