दशहरा क्यों मनाया जाता है (Dussehra kyon Manaya Jata Hai): दशहरा (Dussehra) भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है जो देश भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है और इसके पीछे एक गहरा पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व छिपा हुआ है। दशहरे के त्योहार को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस लेख में हम आपको दशहरे के त्योहार के बारे में विस्तार से बताएंगे। हम जानेंगे कि दशहरा क्या होता है और इसका क्या महत्व है। साथ ही हम यह भी जानेंगे कि वर्ष 2024 में दशहरा कब मनाया जाएगा। लेकिन सबसे दिलचस्प बात यह है कि हम आपको इस त्योहार के पीछे छिपी हुई एक रोचक पौराणिक कथा भी सुनाएंगे जो इस त्योहार को और भी खास बनाती है। तो चलिए, इस रोमांचक लेख को पढ़ते हैं और जानते हैं दशहरे के त्योहार के बारे में सब कुछ।
यह लेख पढ़ने के बाद आप इस त्योहार के महत्व और इसके पीछे की कहानी को बखूबी समझ पाएंगे। साथ ही आप इस बार दशहरे (Dussehra) का त्योहार पूरे उत्साह और भक्ति भाव के साथ मना पाएंगे। तो देर किस बात की, आइए शुरू करते हैं…
दशहरा क्या है? (Dussehra kya Hai)
दशहरा (Dussehra), जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार हर साल अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। दशहरा रावण के द्वारा देवी सीता के अपहरण और भगवान राम द्वारा रावण का वध करने की कथा का प्रतीक है। इस दिन लोग रामलीला का मंचन करते हैं, जिसमें राम और रावण के बीच की कथा का चित्रण किया जाता है। पर्व के अंत में रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतलों को जलाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। दशहरा, न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह समाज में एकता और समर्पण का भी संदेश देता है।
दशहरा कब है? (Dussehra kab Hai)
इस वर्ष 2024 में आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि का प्रारंभ 12 अक्टूबर की सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर होगा और यह तिथि 13 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 8 मिनट पर समाप्त होगी। इस आधार पर, उदयातिथि के अनुसार, दशहरा (Dussehra) का पर्व 12 अक्टूबर 2024 को धूमधाम से मनाया जाएगा। यह दिन विजय का प्रतीक है, जब बुराई पर अच्छाई की जीत होती है।
तिथि का प्रारंभ | 12 अक्टूबर की सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर |
तिथि का समापन | 13 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 8 मिनट पर |
दशहरा क्यों मनाया जाता है? (Dussehra kyon Manaya Jata Hai)
दशहरा (Dussehra), जिसे विजयादशमी (Vijayadashmi) भी कहा जाता है, एक ऐसा त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि जब भी दुनिया में अन्याय और अत्याचार बढ़ता है, तब भगवान राम जैसे नायक अवतरित होते हैं। 14 वर्षों के वनवास के दौरान, लंकापति रावण ने जब माता सीता का अपहरण किया, तब भगवान राम ने अपनी भक्ति और विश्वास के प्रतीक हनुमानजी को माता सीता की खोज में भेजा। हनुमानजी ने रावण को समझाने का प्रयास किया कि माता सीता को सम्मान के साथ श्रीराम के पास लौटा दे, लेकिन रावण ने उनकी बात को नकारते हुए अपने अंत को निमंत्रण दे दिया। इसी दिन, शारदीय नवरात्र की दशमी तिथि को, राम ने रावण का वध किया। उन्होंने नौ दिन तक मां दुर्गा की उपासना की और 10वें दिन रावण पर विजय प्राप्त की, इसलिए दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन, रावण के साथ उसके पुत्र मेघनाद और भाई कुंभकर्ण के पुतले भी जलाए जाते हैं, जो बुराई का प्रतीक हैं।
दशहरा (Dussehra) का एक और महत्व है, जो देवी दुर्गा से जुड़ा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन मां दुर्गा ने चंडी रूप धारण कर महिषासुर का वध किया था। महिषासुर और उसकी सेना ने देवताओं को आतंकित कर रखा था, और उनकी रक्षा के लिए मां दुर्गा ने नवरात्र के नौ दिनों तक उनसे युद्ध किया। अंततः 10वें दिन, मां दुर्गा ने महिषासुर का अंत किया। इसी दिन, मां दुर्गा की मूर्तियों का विसर्जन भी किया जाता है, जो इस विजय की महत्ता को और बढ़ाता है।
इस प्रकार, दशहरा केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है जो हमें सिखाती है कि जब धर्म और न्याय की रक्षा होती है, तब विजय अवश्य होती है। यह पर्व हमारे जीवन में सकारात्मकता और आशा का संचार करता है।
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Conclusion:-Dussehra kyon Manaya Jata Hai
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FAQ’s:-Dussehra kyon Manaya Jata Hai
1. दशहरा क्यों मनाया जाता है?
दशहरा का मुख्य उद्देश्य बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाना है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था, जो अधर्म और अत्याचार का प्रतीक था। इसी तरह, यह त्यौहार महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का भी प्रतीक है। इसलिए, यह दिन जीवन में सच्चाई, धर्म और सद्गुणों के महत्व को दर्शाता है।
2. दशहरा का क्या धार्मिक महत्व है?
दशहरा हिंदू धर्म के प्रमुख धार्मिक अवसरों में से एक है। यह दिन रामायण की कथा के अनुसार भगवान राम द्वारा रावण पर विजय के रूप में देखा जाता है। इसके साथ ही, यह नवरात्रि के 9 दिनों की पूजा और उपवास के बाद देवी दुर्गा की विजय का भी उत्सव है।
3. दशहरा का सांस्कृतिक महत्व क्या है?
दशहरा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका सांस्कृतिक महत्व भी है। इस दिन देशभर में रामलीला का मंचन किया जाता है, जिसमें भगवान राम की कथा को नाट्य रूप में प्रस्तुत किया जाता है। रावण, मेघनाद और कुम्भकर्ण के विशाल पुतलों का दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
4. दशहरा के दिन कौन-कौन से रीति-रिवाज होते हैं?
दशहरा के दिन लोग विभिन्न रीति-रिवाजों का पालन करते हैं। घरों में भगवान राम और देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। रामलीला का मंचन और रावण के पुतले का दहन प्रमुख गतिविधियां होती हैं। इसके अलावा, इस दिन लोग नए वस्त्र धारण करते हैं और एक दूसरे को मिठाई बांटकर बधाई देते हैं।
5. दशहरा किस महीने में आता है?
दशहरा आमतौर पर अश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को आता है, जो सितंबर या अक्टूबर में होता है। यह नवरात्रि के नौ दिनों के समापन के बाद दसवें दिन मनाया जाता है।
6. दशहरा का संदेश क्या है?
दशहरा हमें यह संदेश देता है कि सच्चाई और धर्म की हमेशा जीत होती है, चाहे बुराई कितनी भी प्रबल क्यों न हो। यह त्यौहार हमें आत्मनिरीक्षण करने और जीवन में नैतिक मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा देता है।