मां वैष्णो देवी चालीसा:-हिमालय की गोद में स्थित, जम्मू-कश्मीर राज्य में त्रिकुटा पर्वत पर विराजमान माता वैष्णो देवी, देवी दुर्गा का एक शक्तिशाली रूप हैं। माता वैष्णो देवी अपने चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध हैं। भक्तों का मानना है कि देवी उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं और उन्हें कष्टों से मुक्ति प्रदान करती हैं। मां वैष्णो देवी चालीसा माता वैष्णो देवी की स्तुति का एक सरल और प्रभावी तरीका है। यह चालीसा भक्तों को माता वैष्णो देवी के आशीर्वाद प्राप्त करने, शक्ति, साहस और करुणा प्राप्त करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।
चालीसा का पाठ करते समय, आपको माता वैष्णो देवी की मूर्ति या चित्र के सामने बैठना चाहिए और एकाग्रतापूर्वक चालीसा का पाठ करना चाहिए। मां वैष्णो देवी की चालीसा का पाठ करने से शक्ति, साहस और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है इसीलिए आप भी प्रतिदिन वैष्णो चालीसा का पाठ अवश्य करें ।
।। दोहा ।।
गरुड़ वाहिनी वैष्णवी त्रिकुटा पर्वत धाम
काली, लक्ष्मी, सरस्वती, शक्ति तुम्हें प्रणाम।
।। चौपाई ।।
नमो: नमो: वैष्णो वरदानी,
कलि काल मे शुभ कल्याणी।
मणि पर्वत पर ज्योति तुम्हारी,
पिंडी रूप में हो अवतारी॥
देवी देवता अंश दियो है,
रत्नाकर घर जन्म लियो है।
करी तपस्या राम को पाऊं,
त्रेता की शक्ति कहलाऊं॥
कहा राम मणि पर्वत जाओ,
कलियुग की देवी कहलाओ।
विष्णु रूप से कल्कि बनकर,
लूंगा शक्ति रूप बदलकर॥
तब तक त्रिकुटा घाटी जाओ,
गुफा अंधेरी जाकर पाओ।
काली-लक्ष्मी-सरस्वती मां,
करेंगी पोषण पार्वती मां॥
ब्रह्मा, विष्णु, शंकर द्वारे,
हनुमत, भैरों प्रहरी प्यारे।
रिद्धि, सिद्धि चंवर डुलावें,
कलियुग-वासी पूजत आवें॥
पान सुपारी ध्वजा नारीयल,
चरणामृत चरणों का निर्मल।
दिया फलित वर मॉ मुस्काई,
करन तपस्या पर्वत आई॥
कलि कालकी भड़की ज्वाला,
इक दिन अपना रूप निकाला।
कन्या बन नगरोटा आई,
योगी भैरों दिया दिखाई॥
रूप देख सुंदर ललचाया,
पीछे-पीछे भागा आया।
कन्याओं के साथ मिली मॉ,
कौल-कंदौली तभी चली मॉ॥
देवा माई दर्शन दीना,
पवन रूप हो गई प्रवीणा।
नवरात्रों में लीला रचाई,
भक्त श्रीधर के घर आई॥
योगिन को भण्डारा दीनी,
सबने रूचिकर भोजन कीना।
मांस, मदिरा भैरों मांगी,
रूप पवन कर इच्छा त्यागी॥
बाण मारकर गंगा निकली,
पर्वत भागी हो मतवाली।
चरण रखे आ एक शीला जब,
चरण-पादुका नाम पड़ा तब॥
पीछे भैरों था बलकारी,
चोटी गुफा में जाय पधारी।
नौ मह तक किया निवासा,
चली फोड़कर किया प्रकाशा॥
आद्या शक्ति-ब्रह्म कुमारी,
कहलाई माँ आद कुंवारी।
गुफा द्वार पहुँची मुस्काई,
लांगुर वीर ने आज्ञा पाई॥
भागा-भागा भैंरो आया,
रक्षा हित निज शस्त्र चलाया।
पड़ा शीश जा पर्वत ऊपर,
किया क्षमा जा दिया उसे वर॥
अपने संग में पुजवाऊंगी,
भैंरो घाटी बनवाऊंगी।
पहले मेरा दर्शन होगा,
पीछे तेरा सुमिरन होगा॥
बैठ गई मां पिंडी होकर,
चरणों में बहता जल झर झर।
चौंसठ योगिनी-भैंरो बर्वत,
सप्तऋषि आ करते सुमरन॥
घंटा ध्वनि पर्वत पर बाजे,
गुफा निराली सुंदर लागे।
भक्त श्रीधर पूजन कीन,
भक्ति सेवा का वर लीन॥
सेवक ध्यानूं तुमको ध्याना,
ध्वजा व चोला आन चढ़ाया।
सिंह सदा दर पहरा देता,
पंजा शेर का दु:ख हर लेता॥
जम्बू द्वीप महाराज मनाया,
सर सोने का छत्र चढ़ाया ।
हीरे की मूरत संग प्यारी,
जगे अखण्ड इक जोत तुम्हारी॥
आश्विन चैत्र नवरात्रे आऊं,
पिण्डी रानी दर्शन पाऊं।
सेवक’ कमल’ शरण तिहारी,
हरो वैष्णो विपत हमारी॥
।। दोहा ।।
कलियुग में महिमा तेरी, है मां अपरंपार
धर्म की हानि हो रही, प्रगट हो अवतार
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Conclusion
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FAQ’S
Q. मां वैष्णो देवी का मंदिर कहां स्थित है?
Ans. मां वैष्णो देवी का मंदिर जम्मू और कश्मीर राज्य के कटरा शहर में त्रिकुटा पर्वत पर स्थित है।
Q. मां वैष्णो देवी की यात्रा का महत्व क्या है?
Ans. माता वैष्णो देवी की यात्रा एक धार्मिक यात्रा है जो भक्तों को माता वैष्णो देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर प्रदान करती है।
Q. मां वैष्णो देवी की यात्रा अधूरी कब मानी जाती है?
Ans. मां वैष्णो देवी के दर्शन करने से पहले अगर आप भैरवनाथ के दर्शन नहीं करते हैं तो आपकी यात्रा अधूरी मानी जाती है ।
Q. मां वैष्णो देवी का प्रमुख मंत्र क्या है?
Ans. मां वैष्णो देवी का प्रमुख मंत्र ॐ श्री वैष्णवी नमः। है ।
Q. मां वैष्णो देवी का प्रमुख भोग क्या है?
Ans. मां वैष्णो देवी का प्रमुख भोग हलवा-चना है।