
नवग्रह चालीसा पढ़ने के फायदे (Navgrah Chalisa Padhne Ke Fayde): सनातन धर्म में नवग्रहों का विशेष महत्व है। ये नौ ग्रह – सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु – हमारे जीवन की गति, कर्म, स्वास्थ्य, भाग्य और मानसिक स्थिति पर गहरा प्रभाव डालते हैं। यदि ग्रह अनुकूल हों तो जीवन में सुख, शांति, सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है, लेकिन यदि ग्रह प्रतिकूल हों तो जीवन में अनेक कठिनाइयों और बाधाओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में नवग्रहों की कृपा प्राप्त करने और उनके दोषों को शांत करने के लिए नवग्रह चालीसा का पाठ अत्यंत प्रभावशाली उपाय माना गया है। यह चालीसा नौ ग्रहों की महिमा, उनके स्वरूप, शक्ति और उनके प्रभावों का सुंदर वर्णन करती है।
नवग्रह चालीसा का नियमित पाठ करने से कुंडली के दोषों में सुधार होता है, शनि की साढ़ेसाती या राहु-केतु के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है, और मन को शांति तथा आत्मबल प्राप्त होता है। यह न केवल ज्योतिषीय दृष्टिकोण से लाभकारी है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग पर भी प्रेरित करता है। जो व्यक्ति नवग्रह चालीसा का श्रद्धापूर्वक पाठ करता है, उसके जीवन में सुख-समृद्धि, सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। लेख में हम विस्तार से बताएंगे कि नवग्रह चालीसा क्या है, इसके पाठ से क्या-क्या लाभ मिलते हैं और यह कैसे आपकी जीवन यात्रा को ग्रहों के अनुकूल बनाकर सरल कर सकती है। साथ ही, हम आपके लिए नवग्रह चालीसा का संपूर्ण पाठ हिंदी में प्रस्तुत करेंगे, जिसे आप आसानी से पढ़ सकें।
इस लेख के अंत में हम नवग्रह चालीसा का एक PDF फॉर्मेट भी देंगे, जिसे आप डाउनलोड कर अपने दैनिक पूजन में शामिल कर सकते हैं। यह लेख आपके जीवन को नई दिशा देने में सहायक सिद्ध हो सकता है, इसलिए इसे अंत तक जरूर पढ़ें……
नवग्रह चालीसा क्या है? | Navgrah Chalisa kya Hai?
नवग्रह चालीसा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण भक्ति रचना है, जो नौ ग्रहों—सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु (बृहस्पति), शुक्र, शनि, राहु और केतु की स्तुति में रची गई है। यह चालीस छंदों का एक भक्ति भजन है, जिसमें प्रत्येक ग्रह के गुण, प्रभाव और महत्व का वर्णन किया गया है। यह चालीसा भक्तों द्वारा ग्रहों के दुष्प्रभावों को शांत करने और उनके सकारात्मक प्रभाव प्राप्त करने के लिए पढ़ी जाती है। ज्योतिष शास्त्र में माना जाता है कि ग्रहों की स्थिति व्यक्ति के जीवन, स्वास्थ्य, धन, और सुख-शांति को प्रभावित करती है। नवग्रह चालीसा के पाठ से भक्त ग्रहों की कृपा प्राप्त करने की कामना करते हैं। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी मानी जाती है, जो कुंडली में ग्रहों के दोष जैसे शनि साढ़े साती, राहु-केतु की महादशा, या अन्य ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से पीड़ित हैं। इसे नियमित रूप से पढ़ने से मानसिक शांति, आत्मविश्वास, और जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है।
नवग्रह चालीसा पढ़ने के क्या फायदे हैं? | Navgrah Chalisa Padhne Ke Fayde Hain?
- ग्रहों के दुष्प्रभावों का निवारण: नवग्रह चालीसा का नियमित पाठ ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों, जैसे शनि की साढ़े साती या राहु-केतु की महादशा, को कम करने में मदद करता है। यह भक्तों को ज्योतिषीय दोषों से मुक्ति दिलाकर जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाता है। भक्ति के साथ पाठ करने से आत्मविश्वास बढ़ता है।
- मानसिक शांति की प्राप्ति: नवग्रह चालीसा पढ़ने से मन शांत होता है और तनाव, चिंता, और भय से मुक्ति मिलती है। यह भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है, जिससे वे जीवन की चुनौतियों का सामना साहस के साथ कर सकते हैं। यह ध्यान और एकाग्रता को बढ़ाने में भी सहायक है।
- जीवन में सकारात्मकता का संचार: नवग्रह चालीसा का पाठ जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है। यह नौ ग्रहों की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है, जिससे स्वास्थ्य, धन, और पारिवारिक सुख में वृद्धि होती है। यह भक्तों को आशावादी दृष्टिकोण अपनाने और नकारात्मकता से दूर रहने में सहायता करता है।
- कुंडली दोषों का शमन: कुंडली में ग्रहों की अशुभ स्थिति से उत्पन्न दोषों को दूर करने में नवग्रह चालीसा प्रभावी है। यह विशेष रूप से मंगल दोष, शनि दोष, और राहु-केतु के प्रभाव को कम करता है। नियमित पाठ से भक्तों को ज्योतिषीय समस्याओं से राहत मिलती है और जीवन संतुलित होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: नवग्रह चालीसा का पाठ भक्तों को आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाता है। यह उन्हें ग्रहों के प्रति श्रद्धा और विश्वास के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देता है। यह पाठ भक्ति भाव को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति अपने कर्म और धर्म के प्रति अधिक जागरूक होता है।
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- स्वच्छता का ध्यान: नवग्रह चालीसा पढ़ने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को साफ रखें और मन को शांत करें। यह भक्ति और श्रद्धा के साथ पाठ करने में मदद करता है।
- सही समय का चयन: नवग्रह चालीसा का पाठ सुबह या सूर्यास्त के समय करें। शनिवार और मंगलवार को पाठ विशेष फलदायी माना जाता है। ग्रहों की शांति के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें।
- दिशा का महत्व: चालीसा पढ़ते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करें। नवग्रह यंत्र या चित्र के सामने बैठें। इससे ग्रहों की सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है और पाठ का प्रभाव बढ़ता है।
- नियमितता बनाए रखें: नवग्रह चालीसा का पाठ प्रतिदिन या कम से कम साप्ताहिक करें। 40 दिनों तक लगातार पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है। नियमितता से ग्रहों की कृपा प्राप्त होती है।
- श्रद्धा और विश्वास: चालीसा को पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ पढ़ें। मन में सकारात्मक विचार रखें और ग्रहों से कृपा की प्रार्थना करें। बिना भक्ति के पाठ का प्रभाव कम हो सकता है।
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नवग्रह चालीसा हिंदी में | Navgrah Chalisa Hindi Mein
॥ दोहा ॥
श्री गणपति गुरुपद कमल, प्रेम सहित सिरनाय।
नवग्रह चालीसा कहत, शारद होत सहाय॥
जय जय रवि शशि सोम बुध, जय गुरु भृगु शनि राज।
जयति राहु अरु केतु ग्रह, करहुं अनुग्रह आज॥
मैं श्री गणेश भगवान का नाम लेकर और उन्हें अपना गुरु मानकर उनके चरणों में कमल का पुष्प चढ़ाता हूँ और संपूर्ण प्रेम भाव से उनके सामने सिर झुकाता हूँ। इसके पश्चात मैं नवग्रह चालीसा का पाठ करता हूँ और मन ही मन बहुत प्रसन्न होता हूँ। सभी नवग्रहों सूर्य, चंद्रमा, बुध, गुरु, मंगल, शनि, राहु, शुक्र व केतु की जय हो। आज मैं आप सभी से विनती करता हूँ।
॥ चौपाई ॥
श्री सूर्य स्तुति
प्रथमहि रवि कहँ नावों माथा, करहु कृपा जनि जानि अनाथा।
हे आदित्य दिवाकर भानू, मैं मति मन्द महा अज्ञानू।
अब निज जन कहँ हरहु कलेषा, दिनकर द्वादश रूप दिनेशा।
नमो भास्कर सूर्य प्रभाकर, अर्क मित्र अघ मोघ क्षमाकर।
सर्वप्रथम मैं नवग्रहों के राजा सूर्य देव को प्रणाम करता हूँ। हे सूर्य देव!! आप हम सभी पर अपनी कृपा करें और अनाथों की रक्षा कीजिए। हे आदित्य, दिवाकर व भानु देव!! मैं तो मंदबुद्धि व अज्ञानी हूँ।
सभी मनुष्य आपसे विनती कर रहे हैं कि आप उनके कष्ट समाप्त कर दीजिए। आपके तो बारह मास के अनुसार बारह रूप हैं। आपके कुछ नाम भास्कर, सूर्य, प्रभाकर, अर्क, मित्र, अघ व मोघ हैं जिनको मेरा नमस्कार है। आप मुझे मेरी गलतियों के लिए क्षमा कर दीजिए।
श्री चन्द्र स्तुति
शशि मयंक रजनीपति स्वामी, चन्द्र कलानिधि नमो नमामि।
राकापति हिमांशु राकेशा, प्रणवत जन तन हरहु कलेशा।
सोम इन्दु विधु शान्ति सुधाकर, शीत रश्मि औषधि निशाकर।
तुम्हीं शोभित सुन्दर भाल महेशा, शरण शरण जन हरहु कलेशा।
चंद्र देव के कुछ नाम शशि, मयंक व रजनीपति हैं। वे सभी कलाओं में निपुण हैं और उन्हें मेरा बार-बार नमन है। उन्हें राकापति, हिमांशु व राकेश के नाम से भी जाना जाता है। वे सभी मनुष्यों के कष्टों को दूर करते हैं।
वे सोमरस, इंदु, विधु व शांति प्रदान करने वाले हैं। उनके प्रभाव से ही शीतलता बनी रहती है, औषधि कार्य करती है और वे रात्रि में आते हैं। आप तो महादेव के मस्तिष्क पर सुशोभित हैं और वहां बहुत ही सुंदर लगते हैं। आपकी शरण में आने से तो सभी के कष्ट दूर हो जाते हैं।
श्री मंगल स्तुति
जय जय जय मंगल सुखदाता, लोहित भौमादिक विख्याता।
अंगारक कुज रुज ऋणहारी, करहु दया यही विनय हमारी।
हे महिसुत छितिसुत सुखराशी, लोहितांग जय जन अघनाशी।
अगम अमंगल अब हर लीजै, सकल मनोरथ पूरण कीजै।
मंगल ग्रह जो सभी को सुख देते हैं, उनकी जय हो, जय हो, जय हो। वे लाल रंग के हैं और संपूर्ण पृथ्वी लोक में प्रसिद्ध हैं। उनके प्रभाव से हमारे सभी कष्ट दूर होते हैं और शरीर स्वस्थ रहता है। मेरी आपसे यही विनती है कि अब आप मुझ पर अपनी दया करें।
हे सभी को सुख, सौम्यता व सुंदरता प्रदान करने वाले मंगल देव, आप सभी जीवों के दुःख समाप्त कर दीजिए। आप दुर्गम हैं और अब आप सभी अमंगल कार्यों को समाप्त कर दीजिए। हम सभी की इच्छाओं को पूरा कीजिए।
श्री बुध स्तुति
जय शशि नन्दन बुध महाराजा, करहु सकल जन कहँ शुभ काजा।
दीजै बुद्धि बल सुमति सुजाना, कठिन कष्ट हरि करि कल्याणा।
हे तारासुत रोहिणी नन्दन, चन्द्रसुवन दुख द्वन्द्व निकन्दन।
पूजहु आस दास कहुँ स्वामी, प्रणत पाल प्रभु नमो नमामी।
हे सभी के मन को जीतने वाले बुध महाराज!! सभी प्रजाजन आपसे शुभ फल देने को कह रहे हैं। आप हम सभी को बुद्धि, बल व विद्या दीजिए। साथ ही हमारे कष्ट, दुःख समाप्त कर हमारा कल्याण कीजिए।
हे तारासुत व रोहिणी के नंदन!! चंद्रमा के जैसे दिखने वाले हमारे दुखों व कष्टों को समाप्त कर दीजिए। आज मैं बहुत ही आशा के साथ आपकी पूजा कर रहा हूँ। हम सभी के प्राणों के रक्षक, आपको नमन है।
श्री बृहस्पति स्तुति
जयति जयति जय श्री गुरुदेवा, करूं सदा तुम्हरी प्रभु सेवा।
देवाचार्य तुम देव गुरु ज्ञानी, इन्द्र पुरोहित विद्यादानी।
वाचस्पति बागीश उदारा, जीव बृहस्पति नाम तुम्हारा।
विद्या सिन्धु अंगिरा नामा, करहु सकल विधि पूरण कामा।
हे सभी देवों के गुरु!! आपकी जय हो, जय हो। मैं सदा ही आपकी सेवा करता हूँ। आप सभी देवताओं के आचार्य व गुरु हैं एवं उन सभी में सबसे ज्ञानी हैं। आप देव राजा इंद्र के पुरोहित हैं जो उन्हें विद्या देते हैं।
आप बहुत बड़े विद्वान हैं और सभी में उदार भी। आपका नाम बृहस्पति है। आपके पिता का नाम अंगिरा ऋषि व माता का नाम सिंधु है जिन्होंने आपका यह नाम रखा। आपकी भक्ति करने से हमारे सभी काम पूरे होते हैं।
श्री शुक्र स्तुति
शुक्र देव पद तल जल जाता, दास निरन्तन ध्यान लगाता।
हे उशना भार्गव भृगु नन्दन, दैत्य पुरोहित दुष्ट निकन्दन।
भृगुकुल भूषण दूषण हारी, हरहु नेष्ट ग्रह करहु सुखारी।
तुहि द्विजवर जोशी सिरताजा, नर शरीर के तुमहीं राजा।
शुक्र देव जहाँ भी अपना पैर रख दें वह स्थान जल जाता है। मैं आपका सेवक सदैव आपका ध्यान लगाता हूँ। आपके पिता का नाम ऋषि भृगु है और आपका पहले का नाम उशना था। आप दैत्यों के पुरोहित हैं व दुष्टों का नाश करते हैं।
भृगुकुल से होकर भी आपके ऊपर स्वर्ण, आभूषण हार गए और आप पर कोई भी आरोप सिद्ध नही हो सका। आप नाश को भी नष्ट कर देते हैं और सभी को सुख देते हैं। आपने ही दैत्यों के सिर पर ताज पहनाया। आप ही मनुष्य के शरीर के स्वामी हो।
श्री शनि स्तुति
जय श्री शनिदेव रवि नन्दन, जय कृष्णो सौरी जगवन्दन।
पिंगल मन्द रौद्र यम नामा, वप्र आदि कोणस्थ ललामा।
वक्र दृष्टि पिप्पल तन साजा, क्षण महँ करत रंक क्षण राजा।
ललत स्वर्ण पद करत निहाला, हरहु विपत्ति छाया के लाला।
हे सूर्य देव के पुत्र, शनि देव!! आपकी जय हो। आपका वर्ण सांवला है और आप संपूर्ण जगत में पूजनीय हैं। पीला रंग व हल्का भूरा रंग लिए हुए आप रोद्र रूप में यमराज का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। आप ही चांडाल रूप हैं।
आपकी टेढ़ी नज़र जब भी किसी पर पड़ जाए तो आप राजा को रंक और रंक को राजा बना सकते हैं। आपके मस्तक पर स्वर्ण का मुकुट सुशोभित है। अपनी छाया का दान करने से आप हमारी विपत्तियों को कम कर देते हैं।
श्री राहु स्तुति
जय जय राहु गगन प्रविसइया, तुमही चन्द्र आदित्य ग्रसइया।
रवि शशि अरि स्वर्भानु धारा, शिखी आदि बहु नाम तुम्हारा।
सैहिंकेय तुम निशाचर राजा, अर्धकाय जग राखहु लाजा।
यदि ग्रह समय पाय कहिं आवहु, सदा शान्ति और सुख उपजावहु।
आकाश में रहने वाले राहु देव!! आपकी जय हो, जय हो। आप ही सूर्य व चंद्रमा को निगल लेते हैं। सूर्य व चंद्रमा की धारा आपसे ही है और शिखी आदि आपके बहुत से नाम है।
आप चंद्रमा के राजा हैं और अपने आधे अंग से भी जगत के मान-सम्मान की रक्षा करते हैं। यदि आप सही समय पर सही जगह रहते हैं तो जीवन में सदैव ही शांति व सुख का वास रहता है।
श्री केतु स्तुति
जय श्री केतु कठिन दुखहारी, करहु सुजन हित मंगलकारी।
ध्वजयुत रुण्ड रूप विकराला, घोर रौद्रतन अघमन काला।
शिखी तारिका ग्रह बलवान, महा प्रताप न तेज ठिकाना।
वाहन मीन महा शुभकारी, दीजै शान्ति दया उर धारी।
हे केतु ग्रह!! आप हम सभी के कष्ट व दुखों को समाप्त करते हैं, आपकी जय हो। आप हम सभी का मंगल व लाभ करते हैं। आप बिना मुख के आधे शरीर के साथ रोद्र व विशाल रूप में हैं जो कि अत्यधिक काले वर्ण का है।
आप यदि किसी की कुंडली में बलवान हैं तो उसका प्रताप बहुत बढ़ता है। आपका वाहन मछली है और आप सभी के लिए शुभ फल देने वाले हैं। आप हम सभी को शांति व दया प्रदान कीजिए।
नवग्रह शांति फल
तीरथराज प्रयाग सुपासा, बसै राम के सुन्दर दासा।
ककरा ग्रामहिं पुरे-तिवारी, दुर्वासाश्रम जन दुख हारी।
नव-ग्रह शान्ति लिख्यो सुख हेतु, जन तन कष्ट उतारण सेतू।
जो नित पाठ करै चित लावै, सब सुख भोगि परम पद पावै।
प्रयाग नगरी तीर्थों में महान है और वहां श्रीराम के भक्त रहते हैं। ककरा गाँव में तिवारी निवास करते हैं। दुर्वासा ऋषि के आश्रम में मनुष्य के दुःख समाप्त होते हैं। नवग्रह की शांति के उपाय वहीं मिलते हैं और सभी मनुष्यों के कष्ट समाप्त होते हैं। जो भी इस नवग्रह चालीसा का प्रतिदिन पाठ करता है, उसे सभी तरह के सुख व यश की प्राप्ति होती है।
॥ दोहा ॥
धन्य नवग्रह देव प्रभु, महिमा अगम अपार।
चित नव मंगल मोद गृह, जगत जनन सुखद्वार॥
यह चालीसा नवोग्रह विरचित सुन्दरदास।
पढ़त प्रेम सुत बढ़त सुख, सर्वानन्द हुलास॥
हे नवग्रह!! आप सभी धन्य हैं, आप सभी की महिमा अपरंपार है। आप सभी हमारे मन को आनंदित करते हैं और सभी का मंगल करते हैं। आपके कारण ही प्रजाजन को सुख प्राप्त होता है। यह नवग्रह चालीसा सुन्दरदास के द्वारा लिखी गयी है। जो भी मनुष्य इसे प्रेमसहित पढ़ता है, उसे परम सुख की प्राप्ति होती है।
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नवग्रह चालीसा पीडीएफ डाउनलोड | Navgrah Chalisa PDF Download
इस विशेष लेख के जरिए हम आपको नवग्रह चालीसा हिंदी में पीडीएफ के जरिए साझा कर रहे हैं। अगर आप चाहें तो इस पीडीएफ को डाउनलोड करके नवग्रह चालीसा को सरलता पूर्वक हिंदी में पढ़ सकते हैं।
नवग्रह चालीसा PDF Download | View ChalisaConclusion
हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (नवग्रह चालीसा पढ़ने के फायदे) यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके पास किसी भी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद
FAQ’s:-Navgrah Chalisa Padhne Ke Fayde
Q. नवग्रह चालीसा क्या है?
Ans. नवग्रह चालीसा एक भक्ति रचना है जिसमें नौ ग्रहों की स्तुति चालीस छंदों में की गई है। यह ग्रहों के दोषों को दूर करने के लिए पढ़ी जाती है।
Q. नवग्रह चालीसा में किन-किन ग्रहों की स्तुति की गई है?
Ans. इसमें सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु की स्तुति की गई है।
Q. नवग्रह चालीसा पढ़ने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
Ans. नवग्रह चालीसा पढ़ने का उद्देश्य ग्रहों के दुष्प्रभावों को शांत करना और उनके शुभ प्रभाव को प्राप्त करना है।
Q. नवग्रह चालीसा पढ़ने का सर्वोत्तम समय कौन-सा है?
Ans. इसे सुबह या सूर्यास्त के समय पढ़ना शुभ माना जाता है, विशेषकर शनिवार और मंगलवार को।
Q. नवग्रह चालीसा पढ़ते समय किस दिशा की ओर मुख करना चाहिए?
Ans. नवग्रह चालीसा पढ़ते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करना चाहिए।
Q. नवग्रह चालीसा का नियमित पाठ करने से क्या लाभ होता है?
Ans. नियमित पाठ से मानसिक शांति, आत्मविश्वास, और जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है।