
महा शिवरात्रि भद्राकाल 2025: (Maha Shivratri bhadrakal ): महाशिवरात्रि (Mahashivratri), भगवान शिव की आराधना का सबसे पवित्र पर्व है, जिसे पूरे भारत में भक्तों द्वारा श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, उपवास और साधना का अवसर भी है, जब भक्त रात्रि जागरण कर भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
2025 की महाशिवरात्रि एक विशेष कारण से और भी चर्चा में है—इस दिन भद्रा का प्रभाव भी रहेगा। ऐसे में कई श्रद्धालुओं के मन में यह प्रश्न उठता है कि क्या भद्रा के दौरान शिव पूजन करना उचित होगा? क्या इससे पूजा का फल प्रभावित होगा? और यदि भद्रा का साया हो, तो भोलेनाथ की आराधना की सही विधि क्या होगी? यदि आपके मन में भी ऐसे प्रश्न हैं और आप महाशिवरात्रि 2025 के सही पूजन विधि को जानना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए बेहद उपयोगी साबित होगा।
इस लेख में हम आपको बताएंगे कि महाशिवरात्रि का महत्व क्या है, इस वर्ष महाशिवरात्रि कब मनाई जाएगी, पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है, और भद्रा के प्रभाव से बचने के लिए भोलेनाथ की पूजा किस समय में करें?, इत्यादि! यहां हम आपको बताएंगे कि इस महत्वपूर्ण अवसर पर भद्रा की स्थिति में भी कैसे भोलेनाथ की कृपा प्राप्त की जा सकती है और उनकी पूजा का सर्वोत्तम तरीका क्या होगा।
इसलिए, इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें, ताकि आप किसी भी भ्रम से बच सकें और महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के शुभ अवसर का पूर्ण लाभ उठा सकें…..
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महाशिवरात्रि क्या है? | Mahashivratri kya Hai?

महाशिवरात्रि (Mahashivratri) हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे भगवान शिव और माता पार्वती के पावन मिलन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता है और इसे शिवभक्तों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं, रात्रि जागरण करते हैं और शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा आदि अर्पित कर भगवान शिव की पूजा करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन शिवजी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व भी है, जो आत्मचिंतन, ध्यान और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। इस पावन अवसर पर देशभर के शिव मंदिरों में भक्तों की अपार भीड़ उमड़ती है।
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महाशिवरात्रि 2025 कब है? | Mahashivratri 2025 kab Hai?
महाशिवरात्रि 2025 का पर्व 26 फरवरी, बुधवार को मनाया जाएगा। यह त्योहार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर आता है, जो 26 फरवरी को सुबह 11:08 बजे से शुरू होकर 27 फरवरी को सुबह 8:54 बजे तक रहेगी। महाशिवरात्रि भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के उपलक्ष्य में मनाई जाती है और इसे हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं, रात्रि जागरण करते हैं और शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। निशिता काल पूजा, जो मध्यरात्रि 12:27 बजे से 1:16 बजे तक होती है, इस पर्व का सबसे शुभ समय माना जाता है। यह त्योहार आध्यात्मिक शुद्धि और भक्ति का प्रतीक है।
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भद्रा नक्षत्र में भोलेनाथ की पूजा कैसे करें? | Bhadra Nakshatra Mein Bholenath ki Puja Kaise kare?
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा के लिए भद्रा काल का कोई प्रभाव नहीं माना जाता, क्योंकि शिव स्वयं काल के अधिपति हैं। इस वर्ष महाशिवरात्रि पर भद्रा काल 26 फरवरी को सुबह 11:08 बजे से रात 10:05 बजे तक रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भद्रा काल में कुछ शुभ कार्यों को करने से परहेज किया जाता है, लेकिन शिव आराधना पर इसका कोई प्रतिबंध नहीं है। भक्त पूरे दिन निर्बाध रूप से व्रत रख सकते हैं और रात्रि जागरण कर सकते हैं। इस दिन विशेष रूप से चार प्रहर की पूजा का महत्व होता है, जो पूरी रात चलती है। साथ ही, निशिता काल में की गई पूजा को अत्यधिक शुभ माना जाता है। इसलिए श्रद्धालु इस पावन अवसर पर शिवलिंग का अभिषेक कर भगवान शिवकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
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महाशिवरात्रि 2025 पूजा मुहूर्त | Maha Shivaratri 2025 Shubh Muhurat
पूजा चरण | शुभ मुहूर्त का समय |
प्रथम प्रहर | शाम 6:19 बजे से रात 9:26 बजे तक |
द्वितीय प्रहर | रात 9:26 बजे से 12:34 बजे तक |
तृतीय प्रहर | 12:34 AM से 3:41 AM तक |
चतुर्थ प्रहर | प्रातः 3:41 से प्रातः 6:48 तक |
निशिता काल पूजा | 12:09 AM से 12:59 AM तक (कुल अवधिः 50 मिनट) |
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Conclusion:-Maha Shivratri Bhadrakal
हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (महाशिवरात्रि पर भद्रा का साया, जानें किस समय करें भगवान भोलेनाथ की पूजा) Maha Shivratri bhadrakal यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके पास किसी भी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद
FAQ’s:-Maha Shivratri Bhadrakal
Q. महाशिवरात्रि किसके मिलन का प्रतीक है?
Ans. महाशिवरात्रि भगवान शिव और माता पार्वती के पावन मिलन का प्रतीक है, जिसे हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है।
Q. महाशिवरात्रि 2025 कब मनाई जाएगी?
Ans. महाशिवरात्रि 2025 का पर्व 26 फरवरी, बुधवार को मनाया जाएगा, जो फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशीतिथि पर आता है।
Q. महाशिवरात्रि पर भक्त कौन-कौन से अनुष्ठान करते हैं?
Ans. इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, रात्रि जागरण करते हैं, और शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र और धतूरा अर्पित कर भगवान शिव की पूजा करते हैं।
Q. भद्रा काल में भगवान शिव की पूजा क्यों की जा सकती है?
Ans. भगवान शिव को महाकाल यानी समय का स्वामी माना जाता है, इसलिए भद्रा काल का उनकी पूजा पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता।
Q. महाशिवरात्रि पर निशिता काल पूजा का समय क्या है?
Ans. महाशिवरात्रि 2025 पर निशिता काल पूजा का समय 12:09 AM से 12:59 AM तक रहेगा, जो सबसे शुभ माना जाता है।
Q. महाशिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा का क्या महत्व है?
Ans. चार प्रहर की पूजा रातभर की जाती है और प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव की विशेष आराधना करने से भक्तों को अधिक पुण्य प्राप्त होता है।