
12 Famous Shiva Temples in India :- भारतवर्ष सनातन संस्कृति और आध्यात्मिक चेतना की भूमि है, जहाँ हर दिशा में दिव्यता का अनुभव होता है। इन्हीं आध्यात्मिक स्तंभों में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग विशेष महत्व रखते हैं। ‘ज्योतिर्लिंग’ का अर्थ है—एक ऐसा दिव्य स्तंभ जिसमें शिव स्वयं प्रकाश के रूप में प्रतिष्ठित हैं। ये 12 स्थान न केवल धार्मिक दृष्टि से पूज्य हैं, बल्कि यह भारत की भौगोलिक विविधता, सांस्कृतिक समृद्धि और भक्ति परंपरा के प्रतीक भी हैं। उत्तर में हिमालय की गोद से लेकर दक्षिण के समुद्र तट तक, पूर्व की जंगलों से लेकर पश्चिम की रेगिस्तानी सीमाओं तक, हर ज्योतिर्लिंग अपनी अनूठी कथा, ऊर्जा और तीर्थ महत्ता लिए हुए है। इस ब्लॉग में हम प्रत्येक ज्योतिर्लिंग का विवरण विस्तार से साझा कर रहे हैं—उनकी पौराणिक कहानियों, स्थान, विशेषता और भक्तों के अनुभवों के साथ। यह जानकारी न केवल धार्मिक आस्था को सशक्त बनाएगी, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा का भी मार्ग प्रशस्त करेगी।
12 Famous Shiva Temples in India – Table in Hindi
क्रम | शिव मंदिर का नाम | स्थान (राज्य) | विशेषता / मान्यता | प्राचीनता / महत्व |
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1 | सोमनाथ ज्योतिर्लिंग | गुजरात | पहला ज्योतिर्लिंग, समुद्र तट पर स्थित | बार-बार आक्रमण के बाद पुनर्निर्माण |
2 | केदारनाथ ज्योतिर्लिंग | उत्तराखंड | हिमालय में स्थित, कठिन यात्रा | पांडवों द्वारा स्थापित |
3 | काशी विश्वनाथ मंदिर | उत्तर प्रदेश (वाराणसी) | मोक्षदायिनी, काशी नगरी का ह्रदय | आदि शंकराचार्य द्वारा पुनर्निर्मित |
4 | महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग | मध्य प्रदेश (उज्जैन) | तंत्र-मंत्र की शक्ति, दक्षिणमुखी शिवलिंग | समय और मृत्यु के अधिपति |
5 | ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग | मध्य प्रदेश | नर्मदा नदी के द्वीप पर स्थित | ओंकार रूप में शिव |
6 | भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग | महाराष्ट्र | सह्याद्री पर्वत में स्थित, वन्य जीवन से घिरा | भीम नामक राक्षस का वध |
7 | त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग | महाराष्ट्र (नासिक) | गोदावरी नदी का उद्गम स्थल | त्रिदेवों का एकमात्र लिंग |
8 | घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग | महाराष्ट्र (एलोरा) | एलोरा की गुफाओं के पास | शिव और सती की कथा से जुड़ा |
9 | रामेश्वरम मंदिर | तमिलनाडु | राम द्वारा शिवलिंग की स्थापना | रामायण से जुड़ा महत्व |
10 | मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग | आंध्र प्रदेश (श्रीशैलम) | शिव-पार्वती के रूप में उपस्थित | शक्ति पीठ भी है |
11 | नागेश्वर ज्योतिर्लिंग | गुजरात (द्वारका के पास) | राक्षस दरुक से जुड़ी कथा | द्वारका क्षेत्र में स्थित |
12 | वैद्यनाथ (बैजनाथ) ज्योतिर्लिंग | झारखंड (देवघर) | रावण द्वारा पूजित, शिव को वैद्य कहा गया | बीमारियों से मुक्ति देने वाला |
1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (गुजरात) Somnath Jyotirling Gujarat

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में प्रभास पाटन (वरावल) के पास अरब सागर के किनारे स्थित है और इसे धार्मिक दृष्टि से प्रथम ज्योतिर्लिंग माना जाता है। All shiva temples in india पुराणों के अनुसार, चंद्रदेव ने कभी अपने चारों ओर अंधकार छा जाने पर शिवजी की उपासना की और उन्हें प्रसन्न किया। समुद्र तट पर स्थित यह तीर्थ इतना प्राचीन है कि इसका नाम ही ‘सोमेश्वर’ (चन्द्र देव का शिव स्वरुप) से जुड़ा हुआ है | इस मंदिर ने इतिहास में कई बार विध्वंस और पुनर्निर्माण देखे हैं—महमूद ग़ज़नी, खिलजी और औरंगज़ेब जैसेआक्रमणों के बावजूद, यह मंदिर दुबारा बनता गया और समर्पित श्रद्धालुओं की निरंतर आस्था को दर्शाता है स्थापत्य के दृष्टिकोण से यह मंदिर बेहद आकर्षक है, निजी दीवारों और गोपुरों से सुसज्जित, और तटवर्ती वातावरण इसे भावनात्मक रूप से शक्तिशाली बनाता है।
स्थान: प्रभास पाटन, वेरावल, गुजरात
महत्व: इसे प्रथम ज्योतिर्लिंग माना जाता है।
कथा: चंद्रदेव ने तप कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था।
विशेषता: अरब सागर के किनारे स्थित, कई बार आक्रमणों के बाद भी पुनर्निर्माण हुआ।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की महत्ता न केवल धार्मिक आस्था में है, बल्कि यह भारत की दृढ़ता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है। इस स्थान को प्रथम ज्योतिर्लिंग होने के अलावा “आस्था की दुर्गा” कहा जाता है क्योंकि यह बार‑बार विनाश और पुनर्निर्माण के बावजूद जीवित रहा। अरबी सागर की लहरों की गूंज के बीच भक्तों को शिव भक्ति की गहरी अनुभूति होती है। यहां आकर दर्शन मात्र से ही अपराधों का नाश और आत्मिक शांति की अनुभूति होती है। मंदिर परिसर में होने वाले धार्मिक पर्व—विशेषकर महाशिवरात्रि—मेले जैसी भव्यता से मनाए जाते हैं। इस तीर्थ की यात्रा पूरे भारत और विदेशों के भक्तों के लिए स्मरणीय अनुभव होती है, जहाँ प्रकृति की ठंडी हवा, समुद्र की लहरें, और भगवान शिव की आभा एक साथ मिलकर आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करते हैं।
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Address :- Somnath Mandir Rd, Somnath, Prabhas Patan, Gujarat 362268
Website :- www.somnath.org/
Phone Number :- 09428214914
2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (आंध्र प्रदेश) mallikarjuna jyotirlinga andhra pradesh

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम पर्वत पर कृष्णा नदी के किनारे शांतिपूर्ण वातावरण में स्थित है। इस मंदिर को द्वादश ज्योतिर्लिंगों में दूसरा स्थान प्राप्त है और साथ ही यह एक ही समय में शक्ति पीठ भी माना जाता है, क्योंकि यह श्री ब्रह्माराम्बा शक्ति पीठ का भी स्थान है जहाँ माता पार्वती की शक्ति प्रतिष्ठित है। इ. सन् 1 ईस्वी से लेकर सातवहाना, इक्ष्वाकुओं, चालुक्य और विजयनगर जैसे राजवंशों ने इस मंदिर का निर्माण और संरक्षण किया, और शिवाजी ने 1667 में मंदिर में सुनहरे गोपुरम का निर्माण कराया था। प्राकृतिक रूप से यह स्थल नल्लमाला वन और नदी के दृश्य से घिरा हुआ है, जिससे यहां की धार्मिक अनुभूति में प्रकृति का भी सम्मिलन होता है।
स्थान: श्रीशैलम, आंध्र प्रदेश
महत्व: इसे दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है।
कथा: भगवान शिव और माता पार्वती ने कार्तिकेय से मिलने श्रीशैल गुफा में निवास किया था।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व इसकी द्वैतता में समाहित है—शिव और शक्ति दोनों की उपासना का संगम। कथा अनुसार, गणेश और कार्तिकेय के बीच विवाह को लेकर हुए विवाद के बाद भगवान शिव श्रीशैलम आए और यहां शिव‑पार्वती की दिव्य मिलन की स्थापना हुई, जिससे यह तीर्थ माता-पिता और बच्चों के स्नेह का भी प्रतीक बन गया मंदिर की सुंदर द्रविड़ शैली की वास्तुकला, सुनहरे गोपुरम, नक्काशीदार मीनारें और शांतिपूर्ण प्राकृतिक परिवेश इसे न केवल तीर्थाटन के लिए बल्कि सांस्कृतिक पर्यटन के लिए भी उच्च महत्व देते हैं। यहां महाशिवरात्रि और कार्तिक पूर्णिमा की उत्सव‑उत्साह से भरी भक्ति‑पर्व होती है, जिसमें श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। समापन करते हुए, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भक्तों को आध्यात्मिक ज्ञान, पारिवारिक प्रेम और आत्म‑समर्पण का अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है।
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Address :- Srisailam – 518101, Kurnool (Dist.), Andhra Pradesh, India.
Website :-www.srisailadevasthanam.org
Phone Number :- 8333901351
3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश) mahakaleshwar jyotirlinga madhya pradesh

मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग हिन्दू धर्म का एक अद्वितीय दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। अतर्कित मान्यताओं के अनुसार, महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव के रूप में समय (काल) से भी ऊपर हैं—इसीलिए वे “महाकाल” कहलाते हैं। यहाँ प्रतिष्ठित ताम्बूल-धारी भस्माआरती विश्वभर में प्रसिद्ध है, जो हर दिन शाम को विशेष रूप से आयोजित होती है। मंदिर परिसर मध्यकालीन शैली में निर्मित है, जिसमें मधुबनी से प्रेरित जालीदार विन्यास, भावपुर्ण मूर्तियां और अनेक गोपुरम हैं
स्थान: उज्जैन, मध्य प्रदेश
महत्व: यह एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है।
कथा: काल को भी जीतने वाले महाकाल का वास।
विशेषता: यहाँ की भस्म आरती विश्वप्रसिद्ध है।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का सार यह है कि शिव जी समयके पार और मृत्यु के चक्र से भी मुक्त हैं। यहाँ आरती के दौरान भस्म (राख) का विसर्जन भक्तों में एक गहरा आध्यात्मिक एहसास जगाता है—यहां “मृत्यु से मुक्ति” का अनुभव संभव माना गया है। यह तीर्थ श्रद्धालुओं को आत्मा की गहराई वैकुण्ठ की ओर प्रेरित करता है। सावन, महाशिवरात्रि और रक्षाबंधन जैसे त्यौहारों पर यहां विशेष आयोजन होता है, जिससे उज्जैन एक तीर्थ और सांस्कृतिक केंद्र बनता है। कुल मिलाकर, महाकालेश्वर अदम्य शक्ति, शुद्धता और वैराग्य का प्रतीक है, जहां भक्त स्वयं को समय से परे की अनुभूति में पाते हैं।
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Address :- inside Mahankal Mandir, Jaisinghpura, Ujjain, Madhya Pradesh 456001
Website :-https://shrimahakaleshwar.com/
Phone Number :-07342550563
4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश) omkareshwar jyotirlinga madhya pradesh

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के बीच स्थित “ओंकार पर्वत” पर स्थापित है। इसका नाम “ओंकार” (ॐ नाद) और “ईश्वर” (ईश्वर रूप शिव) से मिलकर बना है—इसलिए इसे धार्मिक दृष्टि से बेहद पवित्र माना जाता है। वराह पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने ब्रह्मा और विष्णु को यह स्थान दिखाने हेतु यहाँ प्रकट होकर “ओं” ध्वनि के महत्त्व का संकेत दिया। यहां दो शिवलिंग–एक स्थिर, एक चल–स्थिति में–माना जाता है, जो जीवन की गतिशीलता और स्थिरता का प्रतीक हैं
स्थान: नर्मदा नदी के मध्य, ओंकार पर्वत
महत्व: ओंकार और ममलेश्वर – दो शिवलिंग हैं।
कथा: नर्मदा तट पर ब्रह्मा और विष्णु को दर्शन दिए।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग वह आस्था और चेतना का संगम स्थल है, जहाँ “ॐ” की निज ऊर्जा, नदी की पवित्रता और पहाड़ी की शक्ति मिलती है। यहां आने वाला भक्त नर्मदा की निर्मल जलधारा के साथ शिवजी की गहराई को महसूस करता है। द्रविड़ शैली की वास्तुकला, नदी किनारे की गंगा-विश्राम शैली और पर्याप्त वातावरण इसे मध्यम प्रदेश के एक प्रमुख तीर्थ बनाते हैं। यहां माघ-श्रावण मास में विशेष मेले और नर्मदा आरती आयोजित होती है, जो आध्यात्मिक और सामुदायिक ऊर्जा का प्रतीक हैं। कुल मिलाकर, ओंकारेश्वर मंदिर एक आध्यात्मिक जागरण स्थल है, जहाँ मन, वाणी और कर्म तीनों स्तरों पर शिव की अनुभूति प्राप्त होती है |
Address :- Mandhata, Omkareshwar, Madhya Pradesh 450554
Website :-https://shriomkareshwar.org/
Phone Number :- 08989998686
5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तराखंड) kedarnath jyotirlinga uttarakhand

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में हिमालय की गोद में स्थित केदारनाथ ज्योतिर्लिंग चार धाम यात्रा का एक अत्यंत पवित्र अंग है। इसे भगवान शिव का स्वयंभू (स्वयं उत्पन्न) रूप माना जाता है। कहा जाता है कि पांडवों ने अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की पूजा की, लेकिन शिव प्राप्त न हो सके। अंततः शिव हिमालय में गोपनीयस्य रूप से प्रकट हुए—जिसके परिणामस्वरूप केदारनाथ प्रतिष्ठित हुआ। इसका स्थान 3,500 मीटर से ऊपर है, औऱ यहां का कठोर मौसम, बर्फ और पर्वत-मैयार नजारा इसे एक अलौकिक तीर्थ बनाता है।
स्थान: रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड
महत्व: चारधाम यात्रा का हिस्सा।
कथा: पांडवों ने भगवान शिव को प्रसन्न कर पापों से मुक्ति पाई।
विशेषता: हिमालय की गोद में स्थित है।
केदारनाथ मंदिर| यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का पराकाष्ठा है, बल्कि यह मानवीय सहनशीलता, प्रकृति की विशालता और आंतरिक शक्ति की परीक्षा भी है। तीर्थयात्री ऊँचे पहाड़ों से गुजरना चाहते हैं, जहां पत्थरों और बर्फ-धूप दोनों का सामना करना पड़ता है। मंदिर परिसर एक छोटे-से घाटी में स्थित है जहाँ से अजंगा और नेरूघाट जल स्रोत निकलते हैं। सावन और आश्विन में भारी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं। यहां का शांत वातावरण, हिमाच्छादित चोटियाँ और नयनाभिराम दृश्यों के बीच शिव की उपस्थिति आत्मा की गहराइयों तक पहुँचती है। यात्रा करने वाला व्यक्ति शारीरिक रूप से थकने के बजाय आतंरिक शक्ति और आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करता है।
Address :- Kedarnath, Uttarakhand 246445
Website :-www.badrinath-kedarnath.gov.in/
Phone Number :- 07302257116
6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र) bhimashankar jyotirlinga maharashtra

महाराष्ट्र के पुणे जिले में सह्याद्री पर्वत श्रृंखला के मध्य स्थित भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग भारतीय वन जगत में अद्वितीय स्थान रखता है। यह स्थान पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने भीम नामक राक्षस का वध करने के बाद अपने रूप “भीमेश्वर” में विराजमान हुए। द्रविड़ शैली की वास्तुकला में निर्मित यह मंदिर प्राकृतिक जंगलों से घिरा हुआ है और जैव विविधता की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, जिसे भिमाशंकर वन्यजीव अभयारण्य के नाम से जाना जाता है।
- स्थान: पुणे जिले के सह्याद्री पर्वत में
- महत्व: भीम नामक राक्षस को मारने के बाद शिव ने यहाँ निवास किया।
- प्राकृतिक सौंदर्य: जंगलों से घिरा हुआ, ट्रेकिंग के लिए प्रसिद्ध।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग शिव की शक्ति और निःस्वार्थ साहस का प्रतीक है। यहां की वन्यजीव विविधता—म्हणून भारतीय घड़ियाल, दुर्लभ पक्षी और कई वनस्पति—तथि शिव जी की परवाह को आध्यात्मिक और प्राकृतिक दृष्टिकोण से जोड़ता है। भीमाशंकर ट्रेक प्रेमियों और योग साधकों के आकर्षण का केंद्र है, जिसने इसे न केवल तीर्थ स्थल बल्कि एक सांस्कृतिक-पर्यावरण केंद्र बना दिया है। महाशिवरात्रि और श्रावण माह में यहाँ आयोजित धार्मिक कार्यक्रमों में लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं। कुल मिलाकर यह स्थान आस्था, साहस और प्रकृति-संरक्षण के सामंजस्य का उदाहरण है।
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Address :- Dimbhe Dam Colony, Via, Dist, Khed taluka, Maharashtra 410509
Website :-www.srisailadevasthanam.org
7. बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तर प्रदेश) baba vishwanath

वाराणसी (काशी), उत्तर प्रदेश में स्थित काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग को मोक्षदायिनी कहा जाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, काशी में मृत्यु मात्र से भक्तों को मोक्ष प्राप्त होता है। इसका नाम ‘विश्वनाथ’ इस दृष्टि से भी प्रसिद्ध है कि यहां शिव सभी जगतों के स्वामी कहलाते हैं। 18वीं सदी में मराठाओं द्वारा पुनर्निर्मित इस मंदिर में सुवर्ण-प्रमुखगोलगृह (golden dome) और चारों ओर श्रद्धालुओं के चहल-पहल से भक्तिपूर्ण वातावरण बना रहता है।
स्थान: वाराणसी, उत्तर प्रदेश
महत्व: मोक्षदायिनी काशी में स्थित।
कथा: यहाँ मृत्यु से मुक्ति मिलती है।
विशेषता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कॉरिडोर का विकास कराया गया।
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का सार है—”मृत्यु में मोक्ष की प्राप्ति।” यह स्थल विश्वभर के हिन्दुओं के लिए आत्मा-मुक्ति का प्रतीक है। यहां गंगा के घाटों की लय, मंत्रोच्चारण की गूंज और अखंड ज्योति की ज्योति मिलकर एक अद्भुत भौतिक और आध्यात्मिक अनुभूति देते हैं। शिव जी की ताँबे की मूर्ति, नेत्रदीप, शाम की आरती और अन्य अनुष्ठान जीवन की मृत्यु-मुक्ति यात्रा को अविस्मरणीय बनाते हैं। यहाँ आकर हजारों लोग अनादि काल से स्वयं को पुण्य, शांति और आत्मिक उन्नति की ओर अग्रसरित पाते हैं।
Address :- Shri Kashi Vishwanath Temple Help Desk CK 37/40,41,42 Bansphatak, Varanasi-221 001
Website :- https://shrikashivishwanath.org/
Phone Number :-91-7080292930
Email : shrikashivishwanathtempletrust@gmail.com
support@shrikashivishwanath.org
8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र) trimbakeshwar jyotirlinga maharashtra

महाराष्ट्र के नासिक के पास स्थित त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग गोदावरी नदी के उद्गम स्थल के निकट स्थित है। इसका नाम “त्र्यम्बक” (तीनों नेत्रों वाले शिव) पर आधारित है, जो दुखों के निवारक माने जाते हैं। यह तीर्थ स्थल शिव की त्रिकाल दृष्टि (भूत, वर्तमान, भविष्य) प्रतीक है। यहां तीन शिवलिंग द्रष्टव्य हैं—शिव, शक्ति और गणेश—जो तात्त्विक रूप से एक साथ सम्मिलित हैं। अस्पतालों, आश्रमों और सैद्धांतिक अध्ययनों के लिए यह क्षेत्र प्रेरणास्पद वातावरण प्रदान करता है |
स्थान: नासिक के पास त्र्यंबक गांव
महत्व: गोदावरी नदी का उद्गम स्थल।
विशेषता: यहाँ भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश – तीनों की प्रतिकृति है।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग वह स्थान है जहाँ शिव की दूरदर्शिता, ज्ञान, और काल-सीमा से परे दृष्टि का प्रतीक एकत्रित होता है। गोदावरी के उद्गम क्षेत्र से निकलकर यहां की साक्षात पूजा, यज्ञ और दीपावली जैसे उत्सव श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक चेतना का विवेक प्रदान करते हैं। नासिक के आस-पास के दृश्यों, मंदिर परिसर के वातावरण, और स्थानीय विरासत-संस्कृति के सम्मिलन से यह जगह भक्तों के जीवन में स्थायित्व, समृद्धि और आत्म–ज्ञाति प्रदान करती है।
Address :- Trimbak, Maharashtra 422212
9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (झारखंड) vaidyanath jyotirlinga in jharkhand

झारखंड के देवघर में स्थित दुनिया के प्रमुख ज्योतिर्लिंग स्थलों में से एक, बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग भगवान शिव को ‘डॉक्टर ऑफ गुनाह’ मानकर पूजा जाता है। कहा जाता है कि रावण ने जब हजारों बार मंदिर के लिए शिवजी से महिलापत्रर्म पूजन किए थे और शिव प्रसन्न हुए तो उन्हें आध्यात्मिक चिकित्सा का वरदान दिया। मंदिर की संरचना कैलाश पर्वत से प्रेरित है, और इसमें सोने के गोपुरम तथा नक्काशीदार प्रवेश द्वार हैं।
स्थान: देवघर, झारखंड
महत्व: इसे “बाबा बैद्यनाथ धाम” कहा जाता है।
कथा: रावण ने भगवान शिव को यहाँ स्थापित करने की कोशिश की थी।
विशेषता: सावन में लाखों श्रद्धालु जल चढ़ाने आते हैं।
बाबा बैद्यनाथ धाम तीर्थयात्रियों और विशेषकर श्रावण माह में जलाभिषेक करने वालों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। पौने महीने तक चलने वाला श्रावण श्रंखला इस जगह को श्रावाकर्मियों का केंद्र बनाता है। यहां भक्त जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा से शिवलिंग का पूजन करते हैं ताकि उनका शरीर, मन और आत्मा ‘चिकित्सित’ हो सके। यहाँ का धार्मिक उत्साह, तीर्थ व साधु-संगत का आना-जाना और पर्वतीय भजन/कीर्तन यात्रा अनुभव को आध्यात्मिक रुप से समृद्ध करते हैं।
Address :- Baba Baidyanath Temple Administrative Building, Baba Mandir Campus, Shivganga Muhalla, Deoghar, Jharkhand 814112
10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (गुजरात) nageshwar jyotirlinga gujarat

गुजरात के द्वारका के समीप स्थित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का वह रूप है जो राक्षस दारुक को परास्त करने आए थे। पुराणों में वर्णित है कि भक्त सुयाजी की विनती पर शिवजी ने अपनी दिव्य शक्ति दर्शाकर दारुक वंश का नाश किया। यहां विशाल शिवलिंग समुद्र तट के समीप खड़ी है और इसका वातावरण भक्तों में निष्ठा और कर्तव्यनिष्ठा को प्रेरित करता है |
स्थान: द्वारका के पास
महत्व: दारुक नामक राक्षस से भक्त सुयाजी की रक्षा हेतु प्रकट हुए।
विशेषता: यहाँ विशाल शिव प्रतिमा है जो आकर्षण का केंद्र है।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग वह स्थल है जहाँ भगवान शिव ने भक्त की रक्षा के लिए युद्धात्मक रूप धारण किया। यह भक्तों को समाज के कर्तव्यों से जोड़ता है। द्वारका क्षेत्र की ज्योतिर्लिंग श्रृंखला में यह तट-स्थापित मंदिर आराधना, हार्दिकता और युद्ध संदर्भों का समन्वय करता है। समुद्र की हलचल, मोतियों के रंगों जैसी शांति, और मंदिर का शांत वातावरण इसे तीर्थ और आध्यात्मिक मंथन स्थल बनाता है।
Address :- Daarukavanam, Goriyali, Gujarat 361345
Website :-www.devbhumidwarka.nic.in
11. रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग (तमिलनाडु)

तमिलनाडु के रामेश्वरम द्वीप पर स्थित रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग भगवान राम द्वारा स्थापना किए गए रूप में प्रसिद्ध है। राम-सेतु के निकट यह स्थान उस समय का प्रतीक है जब भगवान राम ने लंका विजय से पहले अश्वमेध यज्ञ से पूर्व शिवजी की पूजा की थी। तामिल वास्तुकला में निर्मित इस मंदिर में विशिष्ट रूप से उत्तरी शैली की शिवलिंग ‘स्वयंभू’ मानी जाती है, जिसे भगवान राम ने स्थापित किया था।
स्थान: रामेश्वरम द्वीप, तमिलनाडु
महत्व: भगवान राम ने शिवलिंग की स्थापना की थी।
विशेषता: रामसेतु के पास स्थित, उत्तर और दक्षिण भारत का संगम।
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का सार यह है कि यह शिव और राम—दो दिव्य रूपों का संयोजन स्थल है। राम की भक्ति से प्रेरित यह मंदिर जीवन में भक्ति, समर्पण और धर्म की ऊंचाई दर्शाता है। यहां आकर भक्त ब्रह्मांडीय संबंध अनुभव करते हैं—राम और शिव की एकता में। तटवर्ती वातावरण, सागर-ध्वनि, मंदिर का पुरातन वास्तुशिल्प—सब मिलकर आत्मा को आध्यात्मिक शांति और भक्ति-संकल्प की ओर प्रेरित करते है
12. घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)

महाराष्ट्र के औरंगाबाद के पास एलोरा की विश्वविख्यात गुफाओं के समीप स्थित घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग अत्यंत प्राचीन और छोटा लेकिन भारी आध्यात्मिक महत्व रखता है। इसमें शिव Linga ‘घृष्मा’ नामक एक भक्त महिला की भक्ति से प्रकट हुआ था। इस स्थान की द्रविड़ शैली की मीनार तथा मंदिर की संरचना में मंदिर की सादगी और गहरे आध्यात्मिक सौंदर्य का संगम है |
स्थान: एलोरा की गुफाओं के पास, औरंगाबाद
महत्व: यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है।
कथा: घृष्मा नाम की महिला की भक्ति से प्रसन्न होकर प्रकट हुए।
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग शिव भक्तों को सरलता, भक्ति और आस्था की शक्ति का संदेश देता है। यहाँ की लोक-कथाएँ और भक्तियों की ईमानदारी इस तीर्थस्थल को आत्मीय और सहज बनाती हैं। एलोरा की गुफाओं के तीर्थ-संस्कृति संदर्भ इसे ऐतिहासिक और आध्यात्मिक दृष्टि से प्रेरणास्पद बनाते हैं। तीर्थयात्रा करने वाला व्यक्ति यहां सादेपन की प्रतिज्ञा, आत्मशुद्धि की ललक और भगवान शिव की लीलाओं की अनुभूति लेकर लौटता है।
Conclusion :-12 Famous Shiva Temples
old shiva temple in india इन 12 ज्योतिर्लिंगों का यह अद्वितीय संग्रह—जहाँ हर मंदिर क्रम और कथा अनुसार विशेषता लिए हुए है—पूरे भारत में भक्ति, संस्कृति, आध्यात्म और स्थापत्य की विविधता को दर्शाता है। यदि आप इन तीर्थों की यात्रा करते हैं, तो यह आत्मा की यात्रा, आस्था की खोज और स्वयं की पहचान से जुड़ा अनुभव बनेगा।
(FAQs about 12 Jyotirlingas in Hindi):-12 Famous Shiva Temples
1. 12 ज्योतिर्लिंग कौन-कौन से हैं?
उत्तर: भारत के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग हैं:
- सोमनाथ (गुजरात)
- मल्लिकार्जुन (आंध्र प्रदेश)
- महाकालेश्वर (उज्जैन, म.प्र.)
- ओंकारेश्वर (म.प्र.)
- केदारनाथ (उत्तराखंड)
- भीमाशंकर (महाराष्ट्र)
- काशी विश्वनाथ (वाराणसी, यूपी)
- त्र्यंबकेश्वर (नासिक, महाराष्ट्र)
- वैद्यनाथ (देवघर, झारखंड)
- नागेश्वर (द्वारका, गुजरात)
- रामेश्वरम (तमिलनाडु)
- घृष्णेश्वर (महाराष्ट्र)
2. ज्योतिर्लिंग का क्या मतलब होता है?
उत्तर: ज्योतिर्लिंग’ दो शब्दों से मिलकर बना है – ज्योति (प्रकाश) और लिंग (शिव का प्रतीक)। यह वह स्थान है जहाँ भगवान शिव ने स्वयं प्रकाश के रूप में प्रकट होकर अपने दिव्य स्वरूप को प्रकट किया था।
3. 12 ज्योतिर्लिंग की यात्रा कैसे करें?
उत्तर: इन सभी ज्योतिर्लिंग की यात्रा के लिए आपको अलग-अलग राज्यों की यात्रा करनी होगी। कुछ तीर्थ हिमालय में (जैसे केदारनाथ), कुछ समुद्र किनारे (जैसे सोमनाथ, रामेश्वरम) और कुछ मध्य भारत में स्थित हैं। आप फ्लाइट, ट्रेन और सड़क मार्ग से इन तीर्थों तक पहुँच सकते हैं। कई श्रद्धालु एक साथ “ज्योतिर्लिंग यात्रा” पैकेज भी करते हैं।
4. कौन सा ज्योतिर्लिंग सबसे प्राचीन माना जाता है?
उत्तर:सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को सबसे पहला और प्राचीन ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह गुजरात में स्थित है और इसका उल्लेख कई प्राचीन पुराणों और शास्त्रों में मिलता है।
5. क्या सभी 12 ज्योतिर्लिंग एक ही बार में दर्शन किए जा सकते हैं?
उत्तर: भौगोलिक दूरी और कठिन यात्रा परिस्थितियों को देखते हुए एक ही बार में सभी ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना थोड़ा कठिन होता है, लेकिन कई श्रद्धालु इसे ‘ज्योतिर्लिंग यात्रा’ के रूप में चरणबद्ध तरीके से पूर्ण करते हैं। यात्रा में 1–2 महीने का समय लग सकता है।
6. ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से क्या लाभ होता है?
उत्तर:शिवजी के इन विशेष स्वरूपों की पूजा से जीवन में सुख-शांति, आत्मिक शुद्धि, पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। हर ज्योतिर्लिंग की अपनी एक कथा और विशेषता होती है जो भक्त को अलग-अलग रूप में लाभ प्रदान करती है।
7. क्या महिलाएं ज्योतिर्लिंग की पूजा कर सकती हैं?
उत्तर:हाँ, महिलाएं भी पूर्ण श्रद्धा और आस्था के साथ ज्योतिर्लिंग की पूजा कर सकती हैं। सनातन धर्म में महिलाओं को भी शिव पूजा का अधिकार है और वे विशेष अवसरों जैसे सावन सोमवार, महाशिवरात्रि आदि पर व्रत भी रखती हैं।
8. कौन सा ज्योतिर्लिंग सबसे ज्यादा ऊँचाई पर स्थित है?
उत्तर:केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, जो उत्तराखंड में स्थित है, समुद्र तल से लगभग 3,583 मीटर (11,755 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है और इसे सबसे ऊँचाई वाला ज्योतिर्लिंग माना जाता है।
9. क्या ज्योतिर्लिंग की यात्रा के लिए कोई विशेष समय होता है?
उत्तर: अधिकांश ज्योतिर्लिंग पूरे वर्ष खुले रहते हैं, लेकिन सावन, महाशिवरात्रि और कार्तिक पूर्णिमा जैसे शिव-उत्सवों पर यहां विशेष भीड़ होती है। केदारनाथ जैसे तीर्थ सर्दियों में बर्फबारी के कारण बंद हो जाते हैं।
10. क्या 12 ज्योतिर्लिंगों का उल्लेख किसी ग्रंथ में है?
उत्तर: हाँ, 12 ज्योतिर्लिंगों का उल्लेख शिव पुराण, लिंग पुराण और स्कंद पुराण जैसे प्राचीन हिन्दू ग्रंथों में विस्तार से मिलता है। हर ज्योतिर्लिंग के साथ जुड़ी पौराणिक कथा भी इन ग्रंथों में वर्णित है।