अमावस्या 2025 लिस्ट 2025 (Amavasya 2025 list): हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने की अमावस्या तिथि को अमावस्या मनाई जाती है, जो चंद्रमा के अदृश्य होने का प्रतीक है। 2025 में भी कई महत्वपूर्ण अमावस्याएँ आने वाली हैं, जिनमें पौष मास की अमावस्या, फाल्गुन मास की अमावस्या, चैत्र मास की अमावस्या, वैशाख मास की अमावस्या, श्रावण मास की अमावस्या, और अन्य शामिल हैं। इन अमावस्याओं का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से है, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी है।
ये अमावस्याएँ हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं को समझने और समृद्ध बनाने में मदद करती हैं। इन अमावस्याओं के दौरान, लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं, और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करते हैं। इन अमावस्याओं का महत्व इस प्रकार है कि यह हमें अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद करता है और हमें आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने में मदद करता है। इन अमावस्याओं के दौरान, लोग अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर पूजा-अर्चना करते हैं और एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं।
इस लेख में, हम आपको 2025 में आने वाली अमावस्याओं की एक पूरी लिस्ट प्रदान करेंगे, साथ ही हम आपको इन अमावस्याओं के महत्व, उनके पीछे की कहानियों, और उनके आयोजन के तरीकों के बारे में भी बताएंगे…..
महीना | तारीख | अमावस्या |
जनवरी 2025 | 29 जनवरी दिन बुधवार | माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या |
फ़रवरी 2025 | 27 फरवरी दिन गुरुवार | फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या |
मार्च 2025 | 29 मार्च दिन शनिवार | चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या |
अप्रैल 2025 | 27 अप्रैल दिन रविवार | वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या |
मई 2025 | 27 मई दिन मंगलवार | ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या |
जून 2025 | 25 जून दिन बुधवार | आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या |
जुलाई 2025 | 24 जुलाई दिन गुरुवार | श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या |
अगस्त 2025 | 23 अगस्त दिन शनिवार | भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या |
सितंबर 2025 | 21 सितंबर दिन रविवार | आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या |
अक्टूबर 2025 | 21 अक्टूबर दिन मंगलवार | कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या |
नवंबर 2025 | 20 नवंबर दिन गुरुवार | मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या |
दिसंबर 2025 | 19 दिसंबर दिन शुक्रवार | पौष मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या |
1. माघ अमावस्या | Magha Amavasya
माघ मास की कृष्ण पक्ष की पंद्रहवीं तिथि को माघ अमावस्या के रूप में जाना जाता है। इसे मौनी अमावस्या या माघी अमावस्या भी कहा जाता है। इस पवित्र तिथि का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। माघ अमावस्या के दिन प्रातःकाल स्नान करने के बाद पितरों के तर्पण का विधान होता है। यह दिन पितृ तर्पण के साथ-साथ दान-पुण्य के लिए भी अत्यंत शुभ माना गया है। स्नान के बाद जरूरतमंदों को दान करने की परंपरा विशेष पुण्यकारी मानी जाती है। माना जाता है कि इस दिन किया गया दान सौभाग्य और समृद्धि का आशीर्वाद लाता है। माघ मास की यह महत्वपूर्ण अमावस्या तिथि 2025 में 29 जनवरी को पड़ेगी। इस दिन का लाभ लेने के लिए श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान और दान के माध्यम से अपने जीवन को पुण्य कर्मों से संवारते हैं।
- दिनांक- 29 जनवरी
- दिन- बुधवार
2. फाल्गुन अमावस्या | Falgun Amavasya
फाल्गुन मास की अमावस्या का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्व है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान के पश्चात पूजन और तर्पण करने से पितरों को मोक्ष प्राप्ति होती है। यह तिथि कालसर्प दोष निवारण के लिए भी विशेष फलदायी मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन चांदी के नाग-नागिन के जोड़े को बहते जल में प्रवाहित करने से कालसर्प दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है। इसके अतिरिक्त, फाल्गुन अमावस्या पर पितरों के श्राद्ध कर्म और उनके नाम से दान-पुण्य करना अत्यंत शुभ माना गया है। ऐसा करने से पितरों की कृपा और आशीर्वाद परिवार पर बना रहता है। 2025 में यह महत्वपूर्ण तिथि 27 फरवरी, गुरुवार को पड़ेगी, जब श्रद्धालु इस पावन अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना और दान कार्यों का अनुष्ठान करेंगे।
- दिनांक- 27 फरवरी
- दिन- गुरुवार
3. चैत्र अमावस्या | Chaitra Amavasya
इन्हें भी देखें:- हरियाली अमावस्या | शनि अमावस्या | सर्व पितृ अमावस्या | चंद्र अमावस्या | अमावस्या खास टोटके | अमावस्या | शनि अमावस्या व्रत के उपाय |
सनातन धर्म में चैत्र अमावस्या को अत्यंत शुभ और पवित्र दिन माना जाता है। यह तिथि हर वर्ष मार्च या अप्रैल माह में आती है और आध्यात्मिक कर्मकांडों के लिए विशेष मानी जाती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर दान-पुण्य करना और पितरों के लिए तर्पण करना शुभ फल प्रदान करता है। चैत्र अमावस्या पर पितृ तर्पण और शांति के विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं, जिससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद परिवार पर बना रहता है। 2025 में यह पुण्यदायी तिथि 29 मार्च, शनिवार को पड़ेगी। इस दिन श्रद्धालु स्नान, पूजा और दान के माध्यम से अपनी आस्था व्यक्त करेंगे और अपने पितरों को समर्पित उपायों का पालन करेंगे।
- दिनांक- 29 मार्च
- दिन- शनिवार
4. वैशाख अमावस्या | Vaisakha Amavasya
हिंदू धर्म में वैशाख मास की अमावस्या को अत्यंत शुभ और पवित्र माना गया है। इस दिन पितरों के निमित्त पूजा-अर्चना और श्राद्ध कर्म करने से कुंडली में उपस्थित पितृदोष का निवारण होता है। साथ ही, कालसर्प दोष की पूजा इस तिथि पर विशेष फलदायी मानी जाती है। सनातन परंपरा में इस अमावस्या को सतुवाई अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, हिंदी पंचांग के पहले मास की इस अमावस्या पर सत्तू का दान करने से साधक को विशेष पुण्यफल की प्राप्ति होती है। यह तिथि पितरों की कृपा प्राप्त करने और आत्मिक शांति के लिए अनुकूल मानी जाती है। 2025 में वैशाख अमावस्या 27 अप्रैल, रविवार को मनाई जाएगी, जब श्रद्धालु पूजा-पाठ, दान और तर्पण जैसे अनुष्ठानों से अपनी भक्ति प्रकट करेंगे।
- दिनांक- 27 अप्रैल
- दिन- रविवार
5. ज्येष्ठ अमावस्या | Jyestha Amavasya
ज्येष्ठ मास में वट सावित्री व्रत, शनि जयंती और गंगा दशहरा जैसे प्रमुख पर्वों का आयोजन होता है, जो इसे विशेष धार्मिक महत्त्व प्रदान करते हैं। इसी माह की अमावस्या तिथि का भी अद्वितीय महत्व है। ज्येष्ठ अमावस्या को पवित्र स्नान, पितरों के श्राद्ध और दान-पुण्य के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। 2025 में यह महत्वपूर्ण तिथि 27 मई, मंगलवार को पड़ेगी। इस दिन श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान कर पितरों को तर्पण अर्पित करेंगे और दान के माध्यम से पुण्य अर्जित करेंगे। यह तिथि पितृकृपा प्राप्त करने और आध्यात्मिक शुद्धि के लिए अनुकूल मानी जाती है।
- दिनांक- 27 मई
- दिन- मंगलवार
6. आषाढ़ अमावस्या | Ashadh Amavasya
आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को आषाढ़ अमावस्या कहा जाता है, जो धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करने से न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि सभी प्रकार के पापों का नाश भी संभव होता है। मान्यता है कि अमावस्या के दिन पितृ लोक से पितर धरती पर आते हैं और अपने वंशजों से तृप्ति की आशा रखते हैं। इस तिथि पर पितरों को तर्पण और श्रद्धा से अर्पित भोजन उनके संतोष और आशीर्वाद का कारण बनता है। 2025 में आषाढ़ अमावस्या 25 जून, बुधवार को मनाई जाएगी, जब श्रद्धालु इस पावन अवसर पर पूजा-पाठ और दान-पुण्य के माध्यम से अपने कर्तव्य का पालन करेंगे।
- दिनांक- 25 जून
- दिन- बुधवार
7. श्रावण अमावस्या | Shravan Amavasya
श्रावण मास की अमावस्या, जिसे हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और विशेष मानी जाती है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना का विशेष महत्व है। साथ ही, प्रकृति को समर्पित इस पर्व पर वृक्षारोपण करना एक पवित्र कार्य माना जाता है, जो पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है। 2025 में श्रावण अमावस्या का यह पावन पर्व 24 जुलाई, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन श्रद्धालु भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर, प्रकृति की सेवा करते हुए अपने धार्मिक और सामाजिक कर्तव्यों का पालन करेंगे।
- दिनांक- 24 जुलाई
- दिन- गुरुवार
8. भाद्रपद अमावस्या | Bhadrapada Amavasya
भाद्रपद अमावस्या, जिसे पिठोरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक पवित्र तिथि के रूप में मानी जाती है। इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की विशेष रूप से उपासना की जाती है। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की इस अमावस्या को भादो अमावस्या के रूप में मनाने की परंपरा है। 2025 में यह शुभ तिथि 23 अगस्त, शनिवार को पड़ रही है। इस दिन श्रद्धालु भगवान शिव और विष्णु की पूजा-अर्चना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। यह पावन दिन धार्मिक अनुष्ठानों और ईश्वर की कृपा पाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- दिनांक- 21 सितंबर
- दिन- शनिवार
9. अश्विन अमावस्या | Ashwin Amavasya
सनातन धर्म में अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या का अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इसे अश्विन अमावस्या, विसर्जनी अमावस्या, और सर्वपितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन श्राद्ध पक्ष का समापन होता है, और ऐसा माना जाता है कि पितर अपने लोक को वापस लौट जाते हैं। अश्विन अमावस्या के साथ नवरात्रि की तैयारियां आरंभ हो जाती हैं, क्योंकि इसके अगले दिन से माँ दुर्गा की उपासना का पर्व शुरू होता है। 2025 में यह महत्वपूर्ण तिथि 21 सितंबर, रविवार को पड़ेगी, जो श्रद्धालुओं के लिए पूर्वजों की शांति और पूजा-अर्चना का पवित्र अवसर लेकर आएगी।
- दिनांक- 21 सितंबर
- दिन- रविवार
10. कार्तिक अमावस्या | Kartik Amavasya
कार्तिक माह की अमावस्या हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण दिन के रूप में मनाई जाती है। इसे कार्तिक अमावस्या, दीपावली और महालक्ष्मी पूजन के रूप में जाना जाता है। इस दिन विशेष रूप से महालक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है, जो समृद्धि और सुख-शांति का प्रतीक मानी जाती हैं। कार्तिक माह में भगवान विष्णु जल में निवास करते हैं, इस कारण इस दिन विशेष रूप से पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व है। स्नान के बाद भक्त भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूजा करते हैं। 2025 में कार्तिक अमावस्या 21 अक्टूबर, मंगलवार को मनाई जाएगी, जब यह पावन दिन दीपों से सजी दिवाली की रौनक लेकर आएगा।
- दिनांक- 21 अक्टूबर
- दिन- मंगलवार
11. मार्गशीर्ष अमावस्या | Margashirsha Amavasya
मार्गशीर्ष माह की अमावस्या को भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा का महत्व है। इस दिन श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और दान, श्राद्ध-पिंडदान जैसे पुण्यकारी कार्यों में भाग लेते हैं। मान्यता है कि इस अमावस्या पर विधिपूर्वक पूजा और भगवान श्रीकृष्ण के मंत्रों का जाप करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। 2025 में यह पावन दिन 20 नवंबर, गुरुवार को आएगा, जब भक्त भगवान श्रीकृष्ण की उपासना में लीन होंगे और उनके आशीर्वाद के लिए मंत्रोच्चारण करेंगे। यह दिन आत्मिक शांति और भौतिक सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
- दिनांक- 20 नवंबर
- दिन- गुरुवार
12. पौष अमावस्या | Paush Amavasya
पौष मास की अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है, जिसे शास्त्रों में पुण्यदा माना गया है। इस दिन विशेष रूप से दान, स्नान और धार्मिक कार्यों का महत्व बताया गया है। पौष अमावस्या के दिन स्नान, पूजा-पाठ, मंत्र जाप और दान करने से व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है। इस दिन का शुभ मुहूर्त न केवल आत्मिक शांति का कारण बनता है, बल्कि यह मनुष्य की सभी इच्छाओं को पूरा करने में भी सहायक होता है।
इस बार 2025 में पौष अमावस्या 19 दिसंबर, शुक्रवार को मनाई जाएगी, जब श्रद्धालु इस दिन के विशेष पुण्य लाभ को प्राप्त करने के लिए धार्मिक क्रियाओं में संलग्न होंगे।
- दिनांक- 19 दिसंबर
- दिन- शुक्रवार
अमावस्या क्या होती है? (Amavasya kya hoti hai?)
अमावस्या, हिंदू पंचांग के अनुसार, वह तिथि होती है जब चंद्रमा आकाश में बिल्कुल दिखाई नहीं देता। यह तिथि चंद्र मास के कृष्ण पक्ष के अंत में आती है और इसे ‘नई चंद्रमा की रात’ के रूप में जाना जाता है। इस दिन का धार्मिक, आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व बहुत अधिक है। अमावस्या के दिन पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पितृ तर्पण, श्राद्ध कर्म और दान-पुण्य करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन किए गए पूजा-पाठ और दान से पितरों की कृपा प्राप्त होती है। कुछ विशेष अमावस्या तिथियां, जैसे मौनी अमावस्या और सोमवती अमावस्या, अत्यधिक पवित्र मानी जाती हैं।
इसके अलावा, अमावस्या के दिन ध्यान, योग और आत्म चिंतन के लिए उपयुक्त समय माना जाता है। यह तिथि ज्योतिषीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह नई शुरुआत और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति का प्रतीक मानी जाती है।
अमावस्या का महत्व क्या है? (Amavasya ka Mahatva kya hai?)
अमावस्या चंद्र मास का अंतिम दिन होता है जब चंद्रमा पूरी तरह से अदृश्य हो जाता है। यह तिथि पितरों की पूजा और श्राद्ध कर्म के लिए विशेष मानी जाती है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होते हैं, जिससे पितृलोक से संबंध मजबूत होता है।
विभिन्न महीनों की अमावस्या का अलग-अलग महत्व है – जैसे कार्तिक में दीपावली, माघ में मौनी अमावस्या, और आश्विन में सर्वपितृ अमावस्या। सोमवार, मंगलवार या शनिवार को आने वाली अमावस्या का विशेष महत्व माना जाता है।
अमावस्या के दिन दान-पुण्य, तीर्थ स्नान और पितृ तर्पण का विशेष महत्व है। इस दिन जरूरतमंद लोगों को भोजन, वस्त्र और दवाई का दान करने से पितर प्रसन्न होते हैं। साथ ही पीपल के वृक्ष की पूजा और जल अर्पण का भी विधान है।
अमावस्या के अनुष्ठान (Amavasya ke Anushthan)
अमावस्या के अनुष्ठान धार्मिक महत्व रखते हैं और व्यक्ति की मानसिक और आत्मिक शांति के लिए किए जाते हैं। निम्नलिखित हैं इसके प्रमुख अनुष्ठान:
- पितृ तर्पण: अमावस्या को पितृ तर्पण करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन व्यक्ति अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पानी, तिल, और अक्षत अर्पित करता है। यह उनकी पुण्य के लिए एक श्रद्धांजलि होती है और परिवार में सुख-शांति के लिए लाभकारी होती है।
- दान-पुण्य: इस दिन दान देने का विशेष महत्व है। अमावस्या पर गरीबों, ब्राह्मणों, और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और अन्य आवश्यक वस्तुएं दान की जाती हैं। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति के पाप समाप्त होते हैं।
- पवित्र नदियों में स्नान: अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना शुद्धि के लिए लाभकारी माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से गंगा, यमुन, और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के मन और शरीर में शांति और शुद्धता आती है।
- मंत्र जप और पूजा: अमावस्या को विशेष मंत्रों का जप और पूजा करना भी लाभकारी माना जाता है। इस दिन देवी-देवताओं की पूजा और विशेष रूप से गायत्री मंत्र का जप किया जाता है, जिससे मानसिक शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
- अलौकिक दीपदान: अमावस्या की रात को दीप जलाने की परंपरा है। इस दिन घरों और मंदिरों में दीप जलाए जाते हैं, ताकि अंधकार को दूर किया जा सके और जीवन में सुख-समृद्धि का वास हो। दीपों से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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Conclusion
हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (अमावस्या कैलेंडर 2025) यह लेख आपको पसंद आया होगा। तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद
FAQ’s
Q. कार्तिक अमावस्या का क्या महत्व है?
Ans: कार्तिक अमावस्या का महत्व महालक्ष्मी की पूजा और दीपावली के रूप में है। इस दिन विशेष रूप से देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है और पवित्र नदियों में स्नान का महत्व होता है।
Q. 2025 में कार्तिक अमावस्या कब मनाई जाएगी?
Ans: 2025 में कार्तिक अमावस्या 21 अक्टूबर, मंगलवार को मनाई जाएगी।
Q. मार्गशीर्ष अमावस्या पर कौन सी पूजा का महत्व है?
Ans: मार्गशीर्ष अमावस्या पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का महत्व है। इस दिन श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और दान-पुण्य करते हैं।
Q. पौष अमावस्या पर क्या विशेष कार्य किए जाते हैं?
Ans: पौष अमावस्या पर स्नान, दान, पूजा-पाठ और मंत्र जाप का महत्व होता है, जिससे व्यक्ति की जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
Q. अमावस्या का क्या अर्थ है?
Ans: अमावस्या वह तिथि होती है जब चंद्रमा आकाश में बिल्कुल दिखाई नहीं देता। इसे ‘नई चंद्रमा की रात’ कहा जाता है।
Q. अमावस्या के दिन कौन-कौन से अनुष्ठान किए जाते हैं?
Ans: अमावस्या के दिन पितृ तर्पण, दान-पुण्य, पवित्र नदियों में स्नान, और मंत्र जाप जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं।