
रक्षाबंधन 2025: शुभ मुहूर्त, महत्व एवं पौराणिक कथा Raksha Bandhan 2025: shubh muhurat, mahatva, aur pauranik katha): रक्षाबंधन (Rakshabandhan) भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का एक पावन पर्व है, जो हर साल श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह त्योहार न केवल एक धागे का बंधन है, बल्कि विश्वास, सुरक्षा और अटूट रिश्ते की भावना को प्रकट करता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रक्षाबंधन क्या है? इसकी परंपराओं के पीछे क्या गहरा अर्थ छिपा है? रक्षाबंधन 2025 में कब है? और इस दिन राखी बांधने के लिए सबसे शुभ समय क्या रहेगा? रक्षाबंधन 2025 का शुभ मुहूर्त क्या है?
यदि आप इन सवालों के जवाब जानना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए बेहद खास होने वाला है। रक्षाबंधन का महत्व सिर्फ भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति, परंपरा और इतिहास से भी जुड़ा हुआ है। क्या आप जानते हैं कि रक्षाबंधन की पौराणिक कथा क्या है? महाभारत से लेकर देवी-देवताओं की कहानियों तक, इस त्योहार का उल्लेख अनेक धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। यही नहीं, इस पर्व का आधुनिक समय में भी एक विशेष महत्व है। रक्षाबंधन 2025 का महत्व क्या है? यह त्योहार कैसे परिवारिक और सामाजिक एकता को मजबूत करता है? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए आपको इस लेख को अंत तक पढ़ना होगा।
आइए, रक्षाबंधन (Rakshabandhan) के इस पवित्र पर्व के बारे में विस्तार से जानते हैं और इसकी धार्मिक, पौराणिक व सामाजिक मान्यताओं को समझते हैं….
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रक्षाबंधन क्या है? | Raksha Bandhan Kya Hai?
रक्षाबंधन (Rakshabandhan) एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित है। इसमें बहनें भाइयों की कलाई पर राखी (एक पवित्र धागा) बाँधती हैं और उनके सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। बदले में, भाई उनकी रक्षा का वचन देते हैं। यह पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। रक्षाबंधन का शाब्दिक अर्थ है “सुरक्षा का बंधन”। इसका सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व भी है, जैसे महारानी कर्णावती और हुमायूँ की कथा। आज यह त्योहार धर्म, जाति और क्षेत्र की सीमाओं से परे, सभी भारतीयों द्वारा मनाया जाता है। कुछ क्षेत्रों में इसे “कजरी पूर्णिमा” या “पवित्रोपना” के रूप में भी जाना जाता है।
रक्षाबंधन 2025 में कब है? | Raksha Bandhan 2025 Me Kab Hai?
रक्षाबंधन (Rakshabandhan) का त्योहार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। 2025 में यह पर्व 9 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इसके बदले में भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनकी रक्षा का वचन देते हैं।
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रक्षाबंधन 2025 का शुभ मुहूर्त क्या है? | Raksha Bandhan 2025 Ka Shubh Muhurat Kya Hai?
S.NO | विवरण | समय |
1 | तिथि | 9 अगस्त 2025 |
2 | पूर्णिमा प्रारम्भ | 8 अगस्त 2025, दोपहर 2:12 बजे |
3 | पूर्णिमा समाप्त | 9 अगस्त 2025, दोपहर 1:24 बजे |
4 | भद्रा समाप्त | 9 अगस्त सुबह 5:45 बजे |
रक्षाबंधन 2025 का महत्व क्या है? | Raksha Bandhan 2025 Ka Mahatva Kya Hai?
- भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक: रक्षाबंधन (Rakshabandhan) भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र व सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। भाई भी जीवनभर बहन की रक्षा और सहयोग का संकल्प लेते हैं।
- पारिवारिक और सामाजिक एकता का संदेश: यह त्योहार न केवल भाई-बहन बल्कि पूरे परिवार को एक साथ जोड़ता है। पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाए जाने वाला यह पर्व समाज में प्रेम, एकता और सद्भावना को बढ़ावा देता है। कई स्थानों पर राखी मित्रों और पड़ोसियों को भी बांधी जाती है, जिससे सामाजिक संबंध मजबूत होते हैं।
- संस्कृति और परंपरा से जुड़ाव: रक्षाबंधन (Rakshabandhan) भारतीय संस्कृति और परंपरा से गहराई से जुड़ा हुआ है। प्राचीन काल से ही यह पर्व मनाया जाता रहा है, जिसमें ऐतिहासिक और पौराणिक कथाओं का विशेष महत्व है। यह त्योहार हमारी सांस्कृतिक विरासत को संजोने और अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का कार्य करता है।
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रक्षाबंधन की पौराणिक कथा क्या है? | Raksha Bandhan Ki Pauranik Katha Kya Hai?
श्रीकृष्ण और द्रौपदी: पहली राखी का अनमोल वचन
महाभारत के अनुसार, जब श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध किया, तो उनके सुदर्शन चक्र के वापस लौटने के दौरान उनकी अंगुली कट गई। रक्त की बूंदें टपकने लगीं, और यह देख द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनकी कलाई पर बांध दिया। यह सिर्फ एक साधारण क्रिया नहीं थी, बल्कि निःस्वार्थ प्रेम और रक्षा के व्रत का प्रतीक थी। श्रीकृष्ण इस स्नेह से इतने अभिभूत हुए कि उन्होंने द्रौपदी को जीवनभर रक्षा का वचन दे दिया। वर्षों बाद, जब दुर्योधन ने कौरवों के साथ मिलकर पांडवों को जुए में पराजित कर दिया और भरी सभा में द्रौपदी का अपमान करने का प्रयास किया, तब श्रीकृष्ण ने अपने वचन को निभाते हुए उनकी लाज बचाई। यही क्षण रक्षाबंधन के महत्त्व को स्थापित करता है, जहां एक भाई अपनी बहन की रक्षा का संकल्प लेता है।
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देवताओं की विजय में पत्नी के रक्षासूत्र का योगदान
प्राचीन काल में देवताओं और असुरों के बीच घोर संग्राम छिड़ा था। असुरों की शक्ति इतनी प्रबल थी कि देवताओं की सेना लगातार पराजित हो रही थी। यह देख देवराज इंद्र की पत्नी, शचिदेवी, व्याकुल हो उठीं। अपने पति और देवताओं की रक्षा के लिए उन्होंने घोर तपस्या कर एक दिव्य रक्षासूत्र तैयार किया। पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ उन्होंने यह सूत्र इंद्र की कलाई पर बांधा। इस पवित्र रक्षा सूत्र के प्रभाव से इंद्रदेव को अपार शक्ति प्राप्त हुई, और उन्होंने असुरों को पराजित कर विजय प्राप्त की। यह कथा दर्शाती है कि रक्षासूत्र न केवल भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है, बल्कि यह शक्ति, समर्पण और विश्वास का भी प्रतीक है।
राजा बलि और माता लक्ष्मी: राखी का पावन बंधन
दानवीर राजा बलि, भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे। उनकी भक्ति और उदारता इतनी प्रखर थी कि स्वयं विष्णु जी उनकी परीक्षा लेने ब्राह्मण वामन के रूप में उनके पास पहुंचे। राजा बलि से तीन पग भूमि का दान मांगा गया, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया। परंतु जैसे ही वामन भगवान ने पहला और दूसरा पग धरती और आकाश में रख दिया, बलि समझ गए कि यह स्वयं विष्णु हैं। तीसरा पग रखने के लिए उन्होंने अपना सिर समर्पित कर दिया, और इस समर्पण से प्रसन्न होकर विष्णु जी ने उन्हें पाताल लोक का राजा बना दिया।
परंतु भगवान विष्णु को अपने भक्त की भक्ति से इतना प्रेम हो गया कि वे स्वयं पाताल लोक में उसके साथ रहने लगे। जब माता लक्ष्मी ने यह देखा, तो उन्होंने राजा बलि को अपने तरीके से मनाने की योजना बनाई। एक साधारण ब्राह्मणी का रूप धारण कर वे राजा बलि के पास पहुंचीं और राखी बांध दी। स्नेह और आदर से अभिभूत होकर राजा बलि ने उन्हें वरदान मांगने को कहा। तब माता लक्ष्मी ने अपने असली स्वरूप में प्रकट होकर विष्णु जी को स्वर्ग लौटाने का आग्रह किया। राजा बलि ने अपने वचन का मान रखते हुए भगवान विष्णु को मुक्त कर दिया। यह कथा बताती है कि राखी केवल भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित नहीं, बल्कि यह प्रेम, कर्तव्य और त्याग का प्रतीक भी है।
रक्षाबंधन की पौराणिक कथा पीडीएफ डाउनलोड | Raksha Bandhan Ki Pauranik Katha PDF Download
इस विशेष लेख में हम आपको रक्षाबंधन (Rakshabandhan) के पावन पर्व से संबंधित कथा को पीडीएफ के जरिए साझा कर कर रहे हैं, अगर आप चाहे तो इस पीडीएफ को डाउनलोड करके इस पावन कथा को विस्तार से पढ़ सकते हैं।
Conclusion
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FAQ’s
Q. रक्षाबंधन क्या है?
Ans. रक्षाबंधन (Rakshabandhan) एक हिंदू पर्व है जो भाई-बहन के प्रेम और रक्षा के संकल्प का प्रतीक है। इस दिन बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं।
Q. रक्षाबंधन 2025 में कब मनाया जाएगा?
Ans. रक्षाबंधन 2025 में 9 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा। यह पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।
Q. रक्षाबंधन 2025 का शुभ मुहूर्त क्या है?
Ans. रक्षाबंधन 2025 के लिए भद्रा समाप्ति का समय 9 अगस्त सुबह 5:45 बजे है, इसके बाद राखी बांधना शुभ रहेगा।
Q. रक्षाबंधन का सांस्कृतिक महत्व क्या है?
Ans. रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम, पारिवारिक एकता और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है। यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं से गहराई से जुड़ा हुआ है।
Q. रक्षाबंधन की प्रसिद्ध पौराणिक कथा कौन-सी है?
Ans. महाभारत में द्रौपदी ने श्रीकृष्ण की अंगुली से रक्त बहता देख अपनी साड़ी का टुकड़ा बांधा था, जिसके बदले श्रीकृष्ण ने उनकी रक्षा का वचन दिया था।
Q. राजा बलि और माता लक्ष्मी की कथा का रक्षाबंधन से क्या संबंध है?
Ans. माता लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधी और बदले में भगवान विष्णु को स्वर्ग वापस भेजने का वरदान लिया, जिससे यह प्रेम और त्याग का प्रतीक बना।