
फाल्गुन पूर्णिमा कब है 2025 (Falgun Purnima Kab Hai 2025): हिंदू पंचांग में फाल्गुन पूर्णिमा का विशेष स्थान है, जिसे होलिका पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से पवित्र माना जाता है, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से भी इसका गहरा प्रभाव है। Falgun Purnima 2025 फाल्गुन माह की यह अंतिम पूर्णिमा हिंदू परंपराओं में शुभ मानी जाती है और इसी दिन होलिका दहन का पर्व भी मनाया जाता है। फाल्गुन पूर्णिमा का नाम सुनते ही भक्ति, आस्था और उल्लास का माहौल मन में उमड़ने लगता है।
इस तिथि से कई धार्मिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं, जिनमें अच्छाई की जीत और बुराई के नाश का संदेश छिपा है। यही कारण है कि यह दिन व्रत, पूजा-पाठ और दान-पुण्य के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन विशेष अनुष्ठानों और धार्मिक कृत्यों के माध्यम से लोग अपने जीवन में सकारात्मकता लाने का प्रयास करते हैं। लेकिन फाल्गुन पूर्णिमा केवल धार्मिक आस्थाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व भी गहरा है।
क्या आप जानना चाहते हैं कि फाल्गुन पूर्णिमा 2025 कब है, इसे क्यों मनाया जाता है, इसका शुभ मुहूर्त क्या है और इससे जुड़ी पौराणिक कथा कौन-सी है? अगर हां, तो इस लेख में हम आपको इससे जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी देंगे, जिससे आप इस शुभ तिथि का संपूर्ण लाभ उठा सकें……
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फाल्गुन पूर्णिमा क्या है? | Falgun Purnima kya Hai?
फाल्गुन पूर्णिमा (Falgun Purnima), जिसे होलिका पूर्णिमा भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह की अंतिम पूर्णिमा है। यह तिथि आमतौर पर फरवरी या मार्च में आती है और इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन का पर्व मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं, स्नान-दान करते हैं और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। यह दिन वसंत ऋतु के आगमन का भी संकेत देता है, जब मौसम में बदलाव आना शुरू होता है।
फाल्गुन पूर्णिमा 2025 कब है? | Falgun Purnima 2015 kab Hai?
फाल्गुन पूर्णिमा (Falgun Purnima) 2025 में 14 मार्च, शुक्रवार को मनाई जाएगी। यह दिन फाल्गुन माह का अंतिम दिन होता है और इस दिन विशेष पूजा-पाठ का आयोजन किया जाता है। इस दिन होलिका दहन का पर्व भी मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। फाल्गुन पूर्णिमा के अवसर पर लोग व्रत रखते हैं, स्नान करते हैं और दान-पुण्य के कार्य करते हैं। यह दिन वसंत ऋतु के आगमन का संकेत भी देता है, जब मौसम में बदलाव आना शुरू होता है।
फाल्गुन पूर्णिमा का महत्व क्या है? | Falgun Purnima ka Mahatva kya Hai?
- धार्मिक महत्व: फाल्गुन पूर्णिमा (Falgun Purnima) का दिन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इसे होली के पर्व की तैयारी के रूप में भी मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
- दान और पुण्य: इस दिन दान का विशेष महत्व है। जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और अन्य सामग्री का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। दान करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का संचार होता है, जो समाज में एकता को बढ़ावा देता है।
- मानसिक शांति: फाल्गुन पूर्णिमा (Falgun Purnima) का दिन मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से मन में सकारात्मकता और सुख की अनुभूति होती है। यह दिन ध्यान और साधना के लिए भी उपयुक्त माना जाता है।
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फाल्गुन पूर्णिमा 2025 का शुभ मुहूर्त | Falgun Purnima 2025 ka Shubh Muhurat
तिथि | विवरण | शुभ मुहूर्त |
14 फ़रवरी | फाल्गुन कृष्ण पक्ष द्वितीया तिथि | रात 09:53 बजे तक |
14 फ़रवरी | पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र | रात 11:10 बजे तक |
14 फ़रवरी | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र प्रारंभ | रात 11:10 बजे से |
14 फ़रवरी | सुकर्मा योग समाप्त | सुबह 07:33 बजे |
फाल्गुन पूर्णिमा की पूजा विधि क्या है? | Falgun Purnima ki Puja Vidhi kya Hai?
फाल्गुन पूर्णिमा (Falgun Purnima) की पूजा विधि कुछ इस प्रकार निम्नलिखित है:
- फाल्गुन पूर्णिमा के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद, गंगाजल से स्नान करने का महत्व है। यह दिन पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक है, जिससे मन और आत्मा को शांति मिलती है।
- स्नान के बाद, स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूजा स्थल को शुद्ध करना आवश्यक है। पूजा स्थल को गंगाजल छिड़ककर साफ करें। यह स्थान को पवित्र बनाता है और पूजा के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करता है।
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। इनकी पूजा विधिपूर्वक करनी चाहिए। भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है, जिससे भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- पूजा में दीपक जलाना और फूल अर्पित करना अनिवार्य है। दीपक से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। फूलों से भगवान को प्रसन्न करने का प्रयास करें, जिससे आपकी भक्ति और श्रद्धा प्रकट होती है।
- इस दिन दान का विशेष महत्व है। जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या अन्य सामग्री का दान करें। दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और समाज में समृद्धि का संचार होता है, जो व्यक्ति के जीवन को सकारात्मक बनाता है।
- पूजा के अंत में आरती का आयोजन करें। आरती करते समय भगवान का गुणगान करें और श्रद्धा से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें। यह भक्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भक्त और भगवान के बीच संबंध को मजबूत करता है।
- फाल्गुन पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी को कौड़ियां अर्पित करें। हल्दी में रंगी कौड़ियों का अर्पण विशेष फलदायी माना जाता है। इस दिन खीर का भोग भी लगाना चाहिए, जिससे घर में सुख और समृद्धि बनी रहे।
फाल्गुन पूर्णिमा की व्रत कथा क्या है? | Falgun Purnima ki Vrat katha kya Hai?
फाल्गुन पूर्णिमा (Falgun Purnima) व्रत की कई कथाएँ प्रचलित हैं, लेकिन नारद पुराण में वर्णित कथा को सर्वाधिक महत्व दिया जाता है। यह कथा अहंकार और भक्ति की परीक्षा की अद्भुत गाथा है, जिसमें राक्षस हिरण्यकशिपु, उसकी बहन होलिका और विष्णु भक्त प्रह्लाद की कहानी शामिल है।
कथानुसार, हिरण्यकशिपु अपने पुत्र प्रह्लाद की भगवान विष्णु में अटूट श्रद्धा से क्रोधित था। उसने प्रह्लाद को मारने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन हर बार भगवान विष्णु ने उसकी रक्षा की। अंततः हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका को एक योजना के तहत प्रह्लाद को अग्नि में लेकर बैठने को कहा, क्योंकि होलिका को आग से न जलने का वरदान प्राप्त था। लेकिन भगवान की लीला कुछ और ही थी—अहंकार से भरी होलिका स्वयं जलकर भस्म हो गई, जबकि प्रह्लाद सुरक्षित बच गया। तभी से यह दिन बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। लकड़ी और उपलों से होलिका का निर्माण कर विधिपूर्वक उसका दहन किया जाता है। इस अवसर पर भगवान विष्णु और भक्त प्रह्लाद का स्मरण किया जाता है, जिससे भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त होती है। कई श्रद्धालु इस दिन फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत भी रखते हैं, जिससे उनकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
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Conclusion :-Falgun Purnima 2025
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FAQ’s:-Falgun Purnima 2025
Q. फाल्गुन पूर्णिमा क्या है?
Ans. फाल्गुन पूर्णिमा (Falgun Purnima) हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह की अंतिम पूर्णिमा होती है, जिसे होलिका पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है।
Q. फाल्गुन पूर्णिमा कब मनाई जाती है?
Ans. फाल्गुन पूर्णिमा 2025 में 14 मार्च, शुक्रवार को मनाई जाएगी।
Q. फाल्गुन पूर्णिमा का महत्व क्या है?
Ans. यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, और इस दिन पूजा, व्रत, दान और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।
Q. फाल्गुन पूर्णिमा पर किसकी पूजा की जाती है?
Ans. इस दिन भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
Q. फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत कथा क्या है?
Ans. फाल्गुन पूर्णिमा की व्रत कथा में राक्षस हिरण्यकशिपु, होलिका और भक्त प्रह्लाद की कहानी शामिल है, जिसमें बुराई पर अच्छाई की विजय को दर्शाया गया है।
Q. फाल्गुन पूर्णिमा के दिन क्या दान करना चाहिए?
Ans. इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और अन्य सामग्री का दान करना चाहिए, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है।