महाशिवरात्रि व्रत कथा । Mahashivratri vrat katha: महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है, जो भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित है। यह पर्व फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन को भगवान शिव के अवतरण के रूप में मनाया जाता है और इसे धार्मिक दृष्टि से विशेष माना जाता है।
महाशिवरात्रि का महत्व केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भगवान शिव की अपार महिमा और शक्ति को समझने का अवसर भी प्रदान करता है। इस दिन शिव भक्त उपवास रखते हैं, रात्रि में जागरण करते हैं और शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध, दही, शहद और गंगाजल चढ़ाकर शिव की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।महाशिवरात्रि और सामान्य शिवरात्रि में अंतर यह है कि महाशिवरात्रि पूरे वर्ष की शिवरात्रियों में सबसे प्रमुख है। यह भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक है।
महाशिवरात्रि हमें आत्मा और परमात्मा के मिलन, तप, साधना और भक्ति का मार्ग दिखाती है। इस पवित्र दिन, भगवान शिव की कृपा से जीवन के सभी कष्टों का निवारण संभव है।महाशिवरात्रि के व्रत से संबंधित इस विशेष लेख में हम आपको बताएंगे कि क्या है महाशिवरात्रि, क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि,महा शिवरात्रि के दिन क्या हुआ था,महाशिवरात्रि कब है, महाशिवरात्रि कब आती है, शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है, महाशिवरात्रि व्रत कब है, शिवरात्रि व्रत कथा pdf download, महाशिवरात्रि की कथा, महाशिवरात्रि की व्रत कथा क्या है, महाशिवरात्रि की आरती क्या है, महाशिवरात्रि की पूजन विधि क्या है, महाशिवरात्रि व्रत के नियम क्या हैं। तो आइए, जानें महाशिवरात्रि के पावन पर्व से संबंधित सभी जानकारी के बारे में विस्तार से तो कृपया हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े….
Mahashivratri vrat katha Overview
टॉपिक | Mahashivratri vrat katha , महाशिवरात्रि व्रत कथा |
लेख प्रकार | आर्टिकल |
त्योहार | महाशिवरात्रि |
प्रमुख देवता | भगवान शिव |
तिथि | “फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी” |
महत्व | भगवान शिव की पूजा का पर्व |
उत्सव | उपवास, पूजा-अर्चना, अनुष्ठान, भजन-कीर्तन, शिव तांडव नृत्य |
पारण तिथि | 08 मार्च 2024 |
क्या है महाशिवरात्रि | What is Maha Shivaratri
Mahashivratri: महाशिवरात्रि, जिसका शाब्दिक अर्थ है “शिव की महान रात,” यह एक वार्षिक हिंदू त्योहार (Hindu Festival) है जो आध्यात्मिक महत्व से भरपूर है। फरवरी (February) और मार्च (March) के बीच मनाया जाने वाला यह पर्व फाल्गुन या माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को होता है। इस साल यह 8 मार्च, 2024 को पड़ रहा है।इस पर्व की कई मान्यताएं जुड़ी हैं। एक लोकप्रिय कथा इसे शिव (Lord Shiva) और पार्वती (Goddess Parvati) के विवाह से जोड़ती है। शिव, परिवर्तन और विनाश के शक्तिशाली देवता, और पार्वती, प्रेम और भक्ति की प्रतिमूर्ति, का मिलन सृष्टि के भीतर विपरीतों के बीच दिव्य संतुलन का प्रतीक है।
क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि | Why Maha Shivratri is Celebrated
इस त्योहार के पालन के पीछे कई अंतर्निहित कारण हैं:
- दिव्य नृत्य और सृजन: एक किंवदंती इस त्योहार (Festival) को शिव के लौकिक नृत्य, तांडव से जोड़ती है। यह नृत्य शिव की दिव्य शक्ति और सर्वव्यापकता पर जोर देते हुए सृजन, संरक्षण और विनाश के चक्रों का प्रतिनिधित्व करता है। भक्त जागते रहते हैं और भजन गाते हैं, प्रतीकात्मक रूप से इस ब्रह्मांडीय नृत्य में शामिल होते हैं और जीवन में दिव्य लय को पहचानते हैं।
- शिव और पार्वती का विवाह: एक अन्य लोकप्रिय किंवदंती शिव और पार्वती के शुभ मिलन का प्रतीक है, जो पुरुष और स्त्री ऊर्जा के बीच दिव्य संतुलन का प्रतिनिधित्व करता है। यह मिलन प्रेम, उर्वरता और आध्यात्मिक विकास की क्षमता का प्रतीक है
महा शिवरात्रि के दिन क्या हुआ था|Mahashivratri ke din kya hua tha
महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के महत्त्वपूर्ण घटनों में सबसे प्रसिद्ध है भगवान शिव (Lord Shiva) और देवी पार्वती (Goddess Parvati) का विवाह। हिमालय (Himalaya) की बेटी पार्वती बचपन से ही शिव को अपना पति मान बैठी थीं। उन्होंने कठोर तपस्या कर शिव को प्रसन्न किया और उनसे विवाह का वरदान प्राप्त किया।
इस विवाह को लेकर एक प्रमुख कथा मिलती हैं, इस कथा के अनुसार, पार्वती अपने पिछले जन्म में सती थीं, जो दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं। उन्होंने दक्ष के यज्ञ में पिता के द्वारा शिव का अपमान सहन न कर सकी, और आत्मदाह कर लिया। बाद में पार्वती के रूप में जन्म लेकर उन्होंने पुनः शिव को अपना पति पाने के लिए कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने उनसे कैलाश पर्वत (Mount Kailash) पर विवाह किया। यह विवाह दिव्य शक्तियों और देवताओं की उपस्थिति में हुआ था।
महाशिवरात्रि कब है|Mahashivratri kab Hai
2024 में महाशिवरात्रि शुक्रवार, 8 मार्च को मनाई जाएगी। यह त्योहार हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है और यह भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित है। इस दिन, भक्त उपवास रखते हैं, जागरण करते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं।
महाशिवरात्रि कब आती है|Mahashivratri kab Aati Hai
हर साल महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आती है। यह तिथि आम तौर पर फरवरी या मार्च महीने में आती है।
शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है|why is Shivratri Celebrated
शिवरात्रि मनाने के पीछे अनेक कारण और मान्यताएं हैं। कुछ प्रमुख कारणों में शामिल हैं:
- शिव का तांडव: यह भी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव (Lord Shiva) ने तांडव नृत्य किया था। तांडव नृत्य का तात्पर्य है कि भगवान शिव ने सृष्टि के विनाश का नृत्य किया था।
- आत्मचिंतन और आध्यात्मिक उन्नति: शिवरात्रि को आत्मचिंतन और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी मनाया जाता है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं, भगवान शिव की पूजा करते हैं और ध्यान करते हैं।
महाशिवरात्रि व्रत कब है|Mahashivratri vrat kab Hai
महाशिवरात्रि (Mahashivratri) 8 मार्च को मनाई जाएगी। यह त्योहार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं, भगवान शिव की पूजा करते हैं और ध्यान करते हैं।
महाशिवरात्रि व्रत विधि क्या है? (Mahashivratri ki vrat vidhi kya hai?)
महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का व्रत भगवान शिव (Bhagwan Shiv) की पूजा और उपासना का अत्यंत महत्वपूरण दिन है। इसे शास्त्रों में विशेष स्थान प्राप्त है और इसे धूमधाम से मनाया जाता है। महाशिवरात्रि की व्रत विधि निम्नलिखित 7 बिंदुओं में दी गई है:
- निर्जल उपवासी रहना– महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के दिन उपवासी रहना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह दिन उपवास और तप का होता है। श्रद्धालु दिनभर पानी भी नहीं पीते हैं और रातभर जागकर भगवान शिव की पूजा करते हैं।
- शिवलिंग की स्थापना- इस दिन शिवलिंग का पूजन विशेष रूप से किया जाता है। श्रद्धालु स्वच्छ व साफ स्थान पर शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक करते हैं। इससे पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
- ध्यान और जाप- महाशिवरात्रि (Mahashivratri) की रात भर शिव मंत्रों का जाप करना चाहिए, खासकर “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का। इससे मानसिक शांति मिलती है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
- शिव की पूजा- शिवलिंग पर दूध, जल, शहद, फूल, बेलपत्र, चंदन और फल चढ़ाने से शिवजी प्रसन्न होते हैं। इन पदार्थों का एक-एक करके चढ़ाना चाहिए।
- रातभर जागरण– महाशिवरात्रि (Mahashivratri) की रात जागरण करना अति महत्वपूर्ण है। भक्त रात्रि में भजन, कीर्तन और शिव स्तुति करते हैं। जागरण से आत्मिक शांति मिलती है और शिवजी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- ध्यान और संकल्प- इस दिन ध्यान और संकल्प का विशेष महत्व है। व्रति को संकल्प लेकर व्रत करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। मन, वचन और क्रिया से शिवजी की आराधना की जानी चाहिए।
- ब्राह्मणों को भोजन और दान- व्रत के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना और उन्हें दान देना पुण्यकारी माना जाता है। यह शास्त्रों में भी बताया गया है कि व्रत के अंत में दान करना विशेष लाभकारी होता है।
इन विधियों के अनुसार महाशिवरात्रि का व्रत करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।
शिवरात्रि व्रत कथा pdf Download|Shivratri vrat katha pdf Download
महाशिवरात्रि के व्रत की कथा हम आपसे साझा कर रहे हैं अगर आप चाहे तो इस कथा को Pdf में डाउनलोड कर सकते हैं, और जब चाहे तब इसे पढ़ सकते हैं।
महाशिवरात्रि की कथा|Maha shivratri katha in Hindi
सबसे पवित्र हिंदू त्योहारों में से एक, महाशिवरात्रि, भगवान शिव और मां पार्वती के विवाह और उनसे जुड़ी कई अन्य लौकिक घटनाओं का स्मरण कराती है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस रात भगवान शिव ने अपनी दिव्य पत्नी मां शक्ति से दूसरी बार विवाह किया था। यह उनके दिव्य मिलन के उत्सव में है कि उस दिन को ‘भगवान शिव की रात’ के रूप में मनाया जाता है। जबकि भगवान शिव पुरुष का प्रतीक हैं – जो कि सचेतनता है, माँ पार्वती प्रकृति का प्रतीक हैं – जो प्रकृति है। इस चेतना और ऊर्जा का मिलन सृजन को बढ़ावा देता है.
महाशिवरात्रि की कथा हिंदी में|Maha shivratri vrat katha in Hindi
महाशिवरात्रि (Mahashivratri) हिन्दू धर्म (Hindu Religion) के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, और इसकी धूमधाम से मनाए जाने के पीछे कई वजहों में से शिव-पार्वती विवाह की पौराणिक कथा का विशेष स्थान है। माता सती के रूप में भगवान शिव को पति मान चुकीं पार्वती, उनके पुनर्जन्म के बाद राजा हिमवान और रानी मैना की पुत्री के रूप में जन्म लेती हैं। बचपन से ही उनका मन शिवजी में रम जाता है और वे उन्हें ही अपने पति के रूप में पाने का संकल्प कर लेती हैं।
शिवजी (Shivaji) को प्रसन्न करने के लिए पार्वती कठोर तपस्या करती हैं। वह हिमालय (Himalaya) की कठोर परिस्थितियों को सहन करती हैं, अन्न-जल त्याग देकर केवल पत्ते खाकर रहती हैं, और ध्यान में लीन होकर शिवजी की आराधना करती हैं। उनकी तपस्या से देवता तक विचलित हो जाते हैं। पार्वती की तपस्या को भंग करने के लिए, परम शिव विभिन्न रूप धारकर उनके सामने आते हैं। लेकिन पार्वती अटल रहती हैं। उनका दृढ़ संकल्प और अटूट प्रेम देखकर अंततः शिवजी प्रसन्न हो जाते हैं और उन्हें स्वीकार कर लेते हैं।
महाशिवरात्रि भगवान शिव और माता पार्वती के बीच दिव्य प्रेम का उत्सव है। यह जीवन में समर्पण, प्रेम और कर्तव्यनिष्ठा के महत्व को भी दर्शाता है।
महाशिवरात्रि व्रत कथा (Mahashivratri Vrat Katha)
एक समय की बात है, चित्रभानु नामक एक शिकारी अपने परिवार की आजीविका के लिए शिकार किया करता था। हालांकि, वह साहूकार का कर्ज समय पर चुकता नहीं कर पाया, जिससे साहूकार ने उसे शिव मठ में बंदी बना लिया। उस दिन शिवरात्रि थी और चतुर्दशी के दिन उसने शिवरात्रि के व्रत की कथा सुनी। शाम होते ही साहूकार ने उसे बुलाकर ऋण चुकाने के बारे में पूछा, जिसके बाद शिकारी फिर से शिकार की तलाश में निकल पड़ा। भूख और थकान से वह दूर-दराज के जंगल में पहुँच गया और अंधेरा होते ही उसने रात वहीं बिताने का निश्चय किया।
उसने एक पेड़ पर चढ़ने का निर्णय लिया, लेकिन जब वह चढ़ रहा था, तो पेड़ की टहनियाँ टूटकर शिवलिंग पर गिरने लगीं, जो बेलपत्र से ढका हुआ था। शिकारी को इस बात का कोई एहसास नहीं हुआ, लेकिन इस अनजाने कृत्य से ही उसका शिवरात्रि व्रत शुरू हो गया। कुछ समय बाद, एक हिरणी तालाब पर पानी पीने आई। शिकारी उसे मारने ही वाला था, तब हिरणी ने निवेदन किया कि वह गर्भवती है और उसे अपनी संतान को जन्म देने का समय चाहिए। शिकारी ने उसकी बात मानी और उसे जाने दिया। इस प्रकार, वह अनजाने में प्रथम प्रहर की पूजा भी कर चुका था।
कुछ देर बाद, एक और हिरणी आई। शिकारी ने जैसे ही उसे मारने के लिए धनुष चढ़ाया, उसने शिकारी से कहा, “मैं अभी हाल ही में ऋतु से निवृत्त हुई हूं और अपने प्रिय की तलाश में हूं। मुझे जाने दो, मैं बाद में तुम्हारे पास आकर तुम्हें समर्पित हो जाऊंगी।” शिकारी ने फिर उसे भी छोड़ दिया, और इस प्रकार उसने द्वितीय प्रहर की पूजा पूरी की।
रात का आखिरी पहर समाप्त हो रहा था, जब एक और हिरणी अपने बच्चों के साथ आई। उसने भी शिकारी से जीवनदान की प्रार्थना की, और शिकारी ने उसे भी जाने दिया। इस तरह से उसने तृतीय प्रहर की पूजा भी अनजाने में ही पूरी कर ली।
सुबह के समय, एक हिरण शिकारी के पास आया, और शिकारी ने सोचा कि अब वह इसे नहीं जाने देगा। लेकिन हिरण ने कहा, “तुमने उन तीनों को छोड़कर धर्म का पालन किया है, मुझे भी जाने दो। मैं जल्द ही तुम्हारे सामने वापस आऊंगा।” शिकारी ने उसे भी जाने दिया।
इस तरह, अनजाने में ही शिकारी ने शिवरात्रि का व्रत पूरा किया। इसके फलस्वरूप, उसका सामना शिवगणों से हुआ और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई। जब मृत्यु का समय आया और यमदूत उसे लेने आए, तो शिवगणों ने उन्हें वापस भेज दिया और चित्रभानु को शिवलोक में स्थान दिया। शिवजी की कृपा से चित्रभानु ने अपने पिछले जन्म की यादें संजो लीं और शिवरात्रि के व्रत का महत्व समझा, जिसे उसने अपने अगले जन्म में भी पालन किया।
इस अनोखी कथा से यह सिद्ध होता है कि शिवरात्रि का व्रत केवल श्रद्धा से किया गया नहीं, बल्कि अनजाने में भी, सही उद्देश्य और नैतिकता से किया गया व्रत भी मोक्ष की प्राप्ति दिला सकता है।
महाशिवरात्रि आरती (Mahashivratri Aarti)
महाशिवरात्रि की आरती- ॐ जय गंगाधर जय हर जय गिरिजाधीशा
ॐ जय गंगाधर जय हर जय गिरिजाधीशा। त्वं मां पालय नित्यं कृपया जगदीशा॥ हर…॥
कैलासे गिरिशिखरे कल्पद्रमविपिने। गुंजति मधुकरपुंजे कुंजवने गहने॥
कोकिलकूजित खेलत हंसावन ललिता। रचयति कलाकलापं नृत्यति मुदसहिता ॥ हर…॥
तस्मिंल्ललितसुदेशे शाला मणिरचिता। तन्मध्ये हरनिकटे गौरी मुदसहिता ॥
क्रीडा रचयति भूषारंचित निजमीशम्। इंद्रादिक सुर सेवत नामयते शीशम् ॥ हर…॥
बिबुधबधू बहु नृत्यत नामयते मुदसहिता। किन्नर गायन कुरुते सप्त स्वर सहिता ॥
चिनकत थे थे चिनकत मृदंग वादयते। क्वण क्वण ललिता वेणुं मधुरं नाटयते ॥हर…॥
रुण रुण चरणे रचयति नूपुरमुज्ज्वलिता। चक्रावर्ते भ्रमयति कुरुते तां धिक तां ॥
तां तां लुप चुप तां तां डमरू वादयते। अंगुष्ठांगुलिनादं लासकतां कुरुते ॥ हर…॥
कपूर्रद्युतिगौरं पंचाननसहितम्। त्रिनयनशशिधरमौलिं विषधरकण्ठयुतम्॥
सुन्दरजटायकलापं पावकयुतभालम्। डमरुत्रिशूलपिनाक करधृतनृकपालम् ॥ हर…॥
मुण्डै रचयति माला पन्नगमुपवीतम्। वामविभागे गिरिजारूपं अतिललितम् ॥
सुन्दरसकलशरीरे कृतभस्माभरणम्। इति वृषभध्वजरूपं तापत्रयहरणं ॥ हर…।।
शंखनिनादं कृत्या झल्लरि नादयते। नीराजयते ब्रह्मा वेदऋचां पठते ॥
महाशिवरात्रि की कथा हिंदी में पीडीएफ|Mahashivratri katha pdf Download
महाशिवरात्रि व्रत कथा PDF Download | View KathaWhat is the Difference Between Shivratri and Maha Shivratri?
हिंदू धर्म में भगवान शिव को समर्पित दो महत्वपूर्ण त्योहार हैं: शिवरात्रि और महाशिवरात्रि। हालांकि दोनों ही भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मनाई जाती हैं, उनके पीछे की मान्यताएं, परंपराएं और महत्त्वपूर्णता में अंतर मिलता है।
- शिवरात्रि: हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि (अमावस्या के बाद 14वें दिन) को शिवरात्रि मनाई जाती है। यानी साल में कुल 12 शिवरात्रि होती हैं।
- महाशिवरात्रि: हिंदू कैलेंडर के हिसाब से फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को ही महाशिवरात्रि मनाई जाती है। यह साल में सिर्फ एक बार आती है और इसे शिवरात्रियों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
हम महाशिवरात्रि का व्रत क्यों रखते हैं ?। Why do we Fast for Maha Shivratri?
महाशिवरात्रि का व्रत भगवान शिव (Lord Shiva) के प्रति भक्ति और समर्पण व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। यह व्रत आध्यात्मिक जागरण, मन की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए भी किया जाता है। महाशिवरात्रि का व्रत रखने के पीछे कई धार्मिक और वैज्ञानिक कारण हैं , मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन व्रत रखकर भक्त इस पवित्र विवाह का स्मरण करते हैं और शिव-पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
शिवरात्रि पर कितने घंटे का व्रत रखना चाहिए । For How Many Hours Should One Fast on Shivratri?
शिवरात्रि पर व्रत की अवधि भक्तों की इच्छा और क्षमता पर निर्भर करती है। मुख्य रूप से तीन प्रकार के व्रत रखे जाते हैं:
- पूर्ण व्रत: इस व्रत में 24 घंटे तक बिना कुछ खाए-पिए व्रत रखा जाता है। यह सबसे कठिन व्रत माना जाता है।
- फलाहार व्रत: इस व्रत में 24 घंटे तक केवल फल, दूध, और जल ग्रहण किया जाता है। यह व्रत पूर्ण व्रत से थोड़ा आसान होता है।
- निर्जल व्रत: इस व्रत में 24 घंटे तक बिना पानी पिए व्रत रखा जाता है। यह व्रत केवल अनुभवी भक्तों द्वारा ही रखा जाना चाहिए।
महाशिवरात्रि व्रत नियम ।Maha Shivratri Fast Rules in hindi
महाशिवरात्रि का व्रत (Mahashivratri vrat) भगवान शिव (Bhagwan Shiv) की आराधना का एक अद्वितीय अवसर है, जो विशेष रूप से चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन शिव भक्तों के लिए कुछ खास नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है:
- प्रातःकाल स्नान: महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के दिन सुबह उठकर स्नान करना आवश्यक है। यदि संभव हो, तो गंगा स्नान करना श्रेष्ठ माना जाता है, अन्यथा गंगा जल से स्नान करना भी पुण्यकारी होता है।
- उपवास: इस दिन भक्तों को उपवास रखने की परंपरा है। वे अन्न (अनाज) और शुद्ध नमक से बचते हुए तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा और तम्बाकू से दूर रहते हैं।
- शुद्धता का पालन: व्रत के दौरान शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। यह न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और आत्मिक शुद्धता को भी महत्व देता है। ब्रह्मचर्य का पालन करना, विवाद से बचना और सत्य बोलना इन नियमों का हिस्सा है।
- मंत्रों का जप: इस दिन, विशेष रूप से महा मृत्युंजय मंत्र या “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करना चाहिए। यह न केवल भगवान शिव को प्रसन्न करता है, बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करता है।
जागरण: महाशिवरात्रि (Mahashivratri) की रात को जागते हुए बिताना अत्यंत महत्वपूर्ण है। भक्त रात भर शिव की भक्ति में लीन रहते हैं, भजन
Summary
महाशिवरात्रि, भगवान शिव के प्रति समर्पण और भक्ति का एक पवित्र त्योहार, आध्यात्मिक उन्नति और आत्म-साक्षात्कार का अवसर प्रदान करता है। यह रात्रि भगवान शिव की दिव्य कृपा प्राप्त करने का एक विशेष समय माना जाता है, जब वे अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। महाशिवरात्रि के पावन त्योहार से संबंधित यह लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रों के साथ अवश्य साझा करें साथ ही हमारे अन्य आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें।
FAQ’s
Q. महाशिवरात्रि का महत्व क्या है?
Ans. महाशिवरात्रि को भगवान शिव के विवाह और अंधकासुर पर विजय प्राप्त करने का प्रतीक माना जाता है।
Q. भारत के अलावा, महाशिवरात्रि किन देशों में मनाई जाती है?
Ans. महाशिवरात्रि नेपाल, श्रीलंका, मॉरीशस, फिजी, मलेशिया, सिंगापुर और इंडोनेशिया में भी मनाई जाती है।
Q. महाशिवरात्रि के दिन किस भोग का भोग लगाया जाता है?
Ans. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को फल, फूल, दूध, दही, घी, शहद और मिठाई का भोग लगाया जाता है।
Q. महाशिवरात्रि का व्रत कैसे रखा जाता है?
Ans. व्रत रखने वाले लोग दिन भर उपवास करते हैं और रात में शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।
Q. महाशिवरात्रि के दिन क्या किया जाता है?
Ans. लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं, जागरण करते हैं और शिव मंदिरों में दर्शन करते हैं।